नई दिल्ली: बीते कुछ सालों से दिल्ली में वायु प्रदूषण का मुद्दा लगातार गहराता जा रहा है. सरकार और स्थानीय सिविक एजेंसियों द्वारा प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन इसका असर जमीन पर देखने को नहीं मिल रहा है. दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मुख्य कारक और उनके निदान को लेकर ईटीवी भारत ने सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट में एयर पॉल्यूशन की प्रोग्रामिंग ऑफिसर शाम्भवी शुक्ला से खास बातचीत की.
इन गाड़ियों से निकलने वाले धुएं के कारण दिल्ली में 40 फ़ीसदी वायु प्रदूषण होता है. एक अनुमान के मुताबिक हर दिन दिल्ली की सड़कों पर 12 सौ से 15 सौ नई गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन होता है. लेकिन पुरानी गाड़ियों को सड़क से नहीं हटाया जा रहा. जिस कारण उनसे निकलने वाले धुएं के कारण दिल्ली की आबोहवा दिन प्रतिदिन दूषित होती जा रही है.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट के उपयोग से कम होगा प्रदूषण
प्रदूषण कम करने के उपाय के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में निजी गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर लगाम लगानी होगी क्योंकि दिल्ली में जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ दिन-प्रतिदिन गाड़ियों की संख्या भी बढ़ रही है.
गाड़ियों की संख्या बढ़ने के कारण सड़क पर आए दिन जाम लगते हैं और जाम के दौरान गाड़ियों से ज्यादा मात्र में धुंआ निकलता है. जिस कारण प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी देखने को मिल रहे हैं. अभी के समय दिल्ली में 5000 के करीब बसे हैं. लेकिन जनसंख्या के हिसाब से इनकी संख्या 10 हजार से ज्यादा होनी चाहिए.