नई दिल्ली: दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने यमुना पुश्ता के जवाहर श्रमिक स्थल पर स्थित आठ शेल्टर होम को गिराए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने इस संबंध में डूसिब के सीईओ को पत्र लिखकर जवाब मांगा है. पत्र में सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 10 मार्च की रात सभी शेल्टर होम को तोड़ा गया है. तोड़ने से पहले यहां रहने वाले लोगों को न तो कोई नोटिस दिया गया और न ही उनके रहने के लिए वैकल्पिक जगह व्यवस्था की गई.
समाजसेवी सुनील अलेडिया ने सौरभ भारद्वाज से मिलकर इसकी शिकायत की थी, जिसके बाद सौरभ भारद्वाज ने डूसिब की सीईओ को पत्र लिखकर उनसे पूरी जानकारी मांगी है.सौरभ भारद्वाज ने अधिकारियों से पूछा है कि जो शेल्टर होम तोड़े गए हैं वे कितने महीने पहले बने थे. उनको बनाने में क्या लागत आई थी और उन्हें तोड़ने से पहले वहां रहने वाले लोगों को कहां स्थानान्तरित किया गया है.
ये भी पढ़ें: AAP Cabinet: दिल्ली में केजरीवाल सरकार शुरू कर सकती मोहल्ला बस सेवा, जानिए वजह
उनके रहने की व्यवस्था की गई है या नहीं. शेल्टर होम को तोड़ने से पहले आखिर सरकार से अनुमति क्यों नहीं ली गई. तोड़े गए शेल्टर होम में से एक तो ऐसा था जो सिर्फ 2 माह पहले ही बनाया गया था. कुछ शेल्टर होम का तो हाल ही में उपराज्यपाल ने निरीक्षण भी किया था. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ये शेल्टर होम सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के दिशा निर्देश के अनुसार बने हुए थे फिर डूसिब ने आखिर इनको क्यों तोड़ दिया.
सुनील का आरोप है कि डूसिब अधिकरियों ने शेल्टर होम तोड़ते समय उसका पूरा सामान बर्बाद कर दिया जबकि यह शेल्टर होम एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता था. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण शेल्टर होम का पूरा सामान बर्बाद हो गया और वह कहीं और इस्तेमाल नहीं हो सकेगा.
ये भी पढ़ें: महाठग सुकेश की याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट ने सुनवाई से किया मना, 31 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेजा