नई दिल्ली/नोएडा : ईकोटेक 3 थाना पुलिस ने तुस्याना गांव में हुए करोड़ों रुपए के भूमि घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है. मामले की जांच में एसआईटी और ईकोटेक 3 कोतवाली पुलिस की संयुक्त टीम ने प्राधिकरण के तत्कालीन प्रबंधक सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. भूमि घोटाले में यह अब तक की बड़ी कार्रवाई है, जिसमें प्राधिकरण के अधिकारी सहित तीन लोगों को जेल भेजा गया. तुस्याना गांव में करोड़ों रुपए की जमीन का फर्जी तरीके से बैनामा कराया गया. फिर प्राधिकरण से उसका करोड़ों रुपये मुआवजा उठाया गया. इसके साथ ही नियमों को ताक पर रख कर प्राधिकरण से मिलने वाले 6 प्रतिशत आवासीय भूखंड को दूसरी जगह आवंटित कराया गया और फिर उसमें कमर्शियल बिल्डिंग बनाई गई.
अपर पुलिस आयुक्त मुख्यालय भारती सिंह ने बताया कि कोतवाली ईकोटेक 3 में सच सेवा ट्रस्ट के द्वारा बीते साल फरवरी 2021 में तुस्याना गांव में भूमि घोटाले को लेकर एक मामला दर्ज कराया गया था. वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर जांच के लिए अप्रैल 2021 में एक SIT की टीम गठित की गई थी. मामले की जांच की गई तो पाया कि तुस्याना गांव के खसरा संख्या 1104 की 20 बीघा जमीन से संबंधित प्रकरण के कागजों में छेड़छाड़ कर षड्यंत्र किया गया है. इसका मुआवजा फर्जी लोगों द्वारा उठा लिया गया तथा किसान आबादी का 6% भूखंड भी लोगों के नाम पर आवंटित कर दिया गया.
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से जो 6 प्रतिशत भूखंड आवंटित की गई, उसे गांव तुगलपुर हल्द्वानी नॉलेज पार्क में स्थानांतरित कर दिया गया. मामले की जांच में कुछ लोगों के नाम प्रकाश में आए. पुख्ता साक्ष्य मिलने पर बुधवार को तीन अभियुक्तों ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन प्रबंधक कैलाश भाटी, कनिष्ठ सहायक कमल सिंह और दीपक पुत्र राजेंद्र निवासी ग्राम मकोड़ा को गिरफ्तार किया गया है. इस मामले में राजेंद्र प्रधान फरार चल रहा है.
साल 2016 में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा इस जमीन का अधिग्रहण किया गया. बैनामा के आधार पर आरोपियों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों व कर्मचारियों से मिलीभगत कर मुआवजा उठा लिया. इसी जमीन के बदले मिलने वाले 6% आबादी भूखंड में भी बड़ा खेल किया गया. घोटाले के मास्टरमाइंड राजेंद्र प्रधान ने प्राधिकरण के अधिकारियों से मिलीभगत कर तुस्याना में आवंटित प्लॉट संख्या 12 को तुगलपुर हाल्दाना नॉलेज पार्क वन में अति महत्वपूर्ण लोकेशन में अपनी पुत्रवधू स्वेतना पत्नी मनोज मधु सिंह के नाम आवंटित करा कर यहां कमर्शियल बिल्डिंग बना ली.
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इस जमीन के घोटाले के पूरे खेल में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन प्रभारी प्रबंधक कैलाश भाटी एवं कर्मचारी कमल सिंह की अहम भूमिका पाई गई. वहीं फर्जी दस्तावेज तैयार करने में राजेंद्र प्रधान के बेटे दीपक की भी संलिप्तता पाई गई. इस मामले की जांच कर रही एसआईटी भू-माफिया व प्राधिकरण के अधिकारियों के गठजोड़ को खंगालने में लगी है. इस जमीन के बदले प्राधिकरण से करीब 100 करोड़ का मुआवजा ले लिया गया. कुछ ग्रामीणों ने 2008 में तत्कालीन जिलाधिकारी बीएन सिंह से इस मामले की शिकायत की थी, जिसमें उन्होंने बताया कि भू-माफियाओं ने सरकारी जमीन का मुआवजा उठा लिया है.
जिलाधिकारी ने मामले की जांच का आदेश दिया. जांच में शिकायत सही पाई गई, जिसके बाद वर्ष 2019 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने रिपोर्ट शासन को कार्रवाई के लिए भेज दी. इसके बाद इस मामले में शासन ने एक हाई पावर कमेटी का गठन किया, जो इस मामले में जांच कर रही है. अभी तक इस मामले में 3 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. मास्टरमाइंड राजेंद्र प्रधान अभी फरार है वही प्राधिकरण के अन्य अधिकारी व कर्मचारी भी जांच के घेरे में है.
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