नई दिल्ली: किसान आंदोलन के शुरुआती दिनों में आंदोलन को मिल रहे आम आदमी पार्टी के समर्थन को पंजाब चुनाव से जोड़कर देखा गया. दिल्ली के बाद पंजाब ही वो राज्य है, जहां आम आदमी पार्टी मजबूत स्थिति में है और 2022 में भी चुनाव लड़ने वाली है. चूंकि आंदोलन में शामिल किसानों की एक बड़ी संख्या पंजाब से है, इसलिए आंदोलन को समर्थन के जरिए आम आदमी पार्टी पंजाब में अपनी पैठ और मजबूत करना चाहती थी.
'आंदोलन के समर्थन का सियासी फायदा'
लेकिन किसान आंदोलन को समर्थन का आम आदमी पार्टी को फायदा उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में भी दिखने लगा. खासतौर पर गाजीपुर में बैठे किसानों के लिए दिल्ली सरकार द्वारा की गई पानी-शौचालय की व्यवस्था ने पश्चिमी यूपी के कई किसान नेताओं को आम आदमी पार्टी के करीब ला दिया. गाजीपुर में जब राकेश टिकैत के आंसू टपके और किसान आंदोलन ने एक नई करवट ली, तब आम आदमी पार्टी ने भी रणनीति बदल दी.
'मेरठ में आज है किसान महापंचायत'
उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों में जारी किसान महापंचायत और उनमें उमड़ रही अथाह भीड़ के बीच आम आदमी पार्टी ने पश्चिमी यूपी के केंद्र मेरठ में किसान महापंचायत की घोषणा की. आज यह महापंचायत हो रही है, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल मौजूद रहेंगे. केजरीवाल इस महापंचायत को सम्बोधित करेंगे. अरविंद केजरीवाल का यह सम्बोधन ऐसे समय में होने जा रहा है, जब वे दो दिन पहले ही गुजरात से लौटे हैं.
'दो दिन पहले सूरत में थे केजरीवाल'
सूरत के निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी कांग्रेस को शून्य पर समेटकर भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. अरविंद केजरीवाल दो दिन पहले सूरत से इसी का जश्न मानकर लौटे हैं. हालांकि यह उस जीत का जश्न कम और आगामी 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार का शंखनाद ज्यादा था. वहां केजरीवाल भाजपा पर खूब बरसे और दिल्ली मॉडल का हवाला देते हुए गुजरातियों से आम आर्मी पार्टी के समर्थन की अपील की.
'पंचायत से लेकर विधानसभा तक की लड़ाई'
भाजपा-कांग्रेस और उत्तर प्रदेश के अन्य दलों पर कुछ वैसा ही हमला और यूपी की जनता से कुछ वैसे ही वादे आज मेरठ के इस किसान महापंचायत के मंच से भी हो सकते हैं. यह महापंचायत इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आम आदमी पार्टी अगले महीने होने वाले उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव लड़ रही है, वहीं 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने की भी घोषणा कर चुकी है. हालांकि इस महापंचायत को गैर सियासी कहा जाता रहा है.
'पश्चिमी यूपी के किसानों से मिले थे केजरीवाल'
लेकिन इसका सियासी संकेत इसकी घोषणा के समय ही स्पष्ट हो गया था. वो सियासी मकसद तब और साफ हुआ, जब 21 फरवरी को अरविंद केजरीवाल ने पश्चिमी यूपी के किसान नेताओं और खाप चौधरियों के साथ दिल्ली विधानसभा में बैठक की. इसमें जाट महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित जाखड़ से लेकर, भारतीय किसान आंदोलन के अध्यक्ष कुलदीप त्यागी और बतिशा खाप, गुलिया खाप जैसे कई खापों के नेता भी शामिल रहे थे.
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'महीनों से पसीना बहा रहे संजय सिंह'
उस बैठक के बाद इन सभी नेताओं ने उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी के समर्थन की बात कही थी. यह समर्थन आम आदमी पार्टी के लिए देश के सबसे बड़े राज्य में पैठ बनाने का बड़ा मौका साबित हो सकता है और इसी मौके को अपना बनाने के मकसद से आज मेरठ में सीएम केजरीवाल मंच संभालेंगे. आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह आज की इस महापंचायत के लिए महीनों से यूपी में पसीना बहा रहे हैं.
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'21 मार्च को पंजाब की महापंचायत में केजरीवाल'
संजय सिंह ने इसे मेरठ की क्रांतिभूमि में किसान क्रांति की संज्ञा दी है. वे नरेश टिकैत के साथ कई किसान महापंचायत में शामिल हो चुके हैं. देखने वाली बात होगी कि आम आदमी पार्टी की यह किसान महापंचायत कितनी सफल होती है. क्योंकि इसकी सफलता पार्टी के लिए यूपी में चुनावी माहौल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, वहीं इसका असर बहुत हद तक 21 मार्च को पंजाब में होने वाली महापंचायत पर हो सकता है, जहां केजरीवाल जाने वाले हैं.