ETV Bharat / state

Delhi Zoo में 18 साल बाद आई खुशखबरी, बाघिन सिद्धि ने दिए 5 शावकों को जन्म, दो सुरक्षित - केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण

दिल्ली चिड़ियाघर में बाघिन सिद्धि ने एक साथ 5 शावकों को जन्म दिया है. इसमें से तीन की मौत हो गई, लेकिन दो सुरक्षित हैं. बताया जा रहा है कि 2005 के बाद अब जाकर किसी रॉयल बंगाल टाइग्रेस ने शावकों को जन्म दिया है.

df
df
author img

By

Published : May 15, 2023, 7:31 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के चिड़ियाघर में 18 साल बाद रॉयल बंगाल टाइग्रेस सिद्धि (बाघिन) ने 5 शावकों को जन्म दिया है. इनमें दो सुरक्षित हैं और अपनी मां के साथ एक ही बाड़े में हैं. वहीं तीन शावक की मौत मां के पेट में ही हो गई है. दिल्ली जू की निदेशक आकांक्षा महाजन ने बताया कि दिल्ली जू में यह इतिहास बना है कि 16 जनवरी 2005 के बाद किसी रॉयल बंगाल टाइग्रेस ने शावकों को जन्म दिया है.

उन्होंने बताया कि वर्तमान में दोनों शावकों की देखभाल उसकी मां सिद्धि कर रही है. वे पूरी तरह से उस पर निर्भर हैं और हम भी दोनों की अच्छी तरह से देखभाल कर रहे हैं. बाघिन व उसके शावकों को सीसीटीवी की निगरानी में रखा गया है. पल-पल मोनिटर किया जा रहा है. इसके लिए गेट कीपर को सख्त हिदायत दी गई है कि वह सभी की कड़ी निगरानी करें.

दिल्ली जू में कितने रॉयल बंगाल टाइगरः महाजन ने बताया कि जू के अंदर फिलहाल 4 वयस्क रॉयल बंगाल टाइगर हैं और इन बाघों के घरेलू नाम करण, सिद्धि, अदिति और बरखा हैं. बाघिन सिद्धि और अदिति जंगली मूल की हैं, जिन्हें गोरेवाड़ा, नागपुर से प्राप्त किया गया था. अब दो शावक के बाद इनकी संख्या 6 हो गई हैं. हालांकि, तीन शावक की मौत नहीं होती तो संख्या 9 हो जाती.

ऐसा रहा है इतिहासः निदेशक ने बताया कि 14 मई 1969 को जूनागढ़ चिड़ियाघर से एक जोड़ी बाघ शावकों के बदले शेर का पहला जोड़ा प्राप्त हुआ था. बाघ के अधिग्रहण के समय से दिल्ली चिड़ियाघर संरक्षण, शिक्षा और प्रदर्शन के लिए रख-रखाव कर रहा है. यहां बाघों ने अच्छा प्रजनन किया है और देश-विदेश के कई चिड़ियाघरों के बदले में भी दिया है.

ये भी पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट 'द केरल स्टोरी’ फिल्म की रिलीज के खिलाफ याचिका पर कल सुनवाई करेगा

2010 में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने गंभीर रूप से लुप्तप्राय जंगली जानवरों की प्रजातियों के समन्वित नियोजित संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम की शुरुआत की, क्योंकि यह राष्ट्रीय चिड़ियाघर नीति 1998 का मुख्य उद्देश्य है. इस समन्वित नियोजित संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम के लिए 73 गंभीर रूप से लुप्तप्राय जंगली जानवरों की प्रजातियों का चयन किया गया और सह प्रत्येक प्रजाति के लिए समन्वय और भाग लेने वाले चिड़ियाघरों की पहचान की गई.

इस राष्ट्रीय समन्वित नियोजित संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम के तहत दिल्ली चिड़ियाघर को टाइगर के लिए एक भाग लेने वाले चिड़ियाघर के रूप में चुना गया है. चिड़ियाघर के बाघों की आबादी के बीच आनुवंशिक विषमयुग्मजी को बनाए रखने के लिए पशु विनिमय कार्यक्रम चलाए गए हैं. बाघों का वर्तमान अधिग्रहण भी बाघों की आनुवंशिक रूप से स्वस्थ आबादी को पुन: उत्पन्न करने के लिए राष्ट्रीय समन्वित नियोजित संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम का एक हिस्सा है.

ये भी पढ़ेंः Maharashtra News : खेलते समय लिफ्ट के दरवाजे में फंसकर 13 साल के बच्चे की मौत

नई दिल्ली: दिल्ली के चिड़ियाघर में 18 साल बाद रॉयल बंगाल टाइग्रेस सिद्धि (बाघिन) ने 5 शावकों को जन्म दिया है. इनमें दो सुरक्षित हैं और अपनी मां के साथ एक ही बाड़े में हैं. वहीं तीन शावक की मौत मां के पेट में ही हो गई है. दिल्ली जू की निदेशक आकांक्षा महाजन ने बताया कि दिल्ली जू में यह इतिहास बना है कि 16 जनवरी 2005 के बाद किसी रॉयल बंगाल टाइग्रेस ने शावकों को जन्म दिया है.

उन्होंने बताया कि वर्तमान में दोनों शावकों की देखभाल उसकी मां सिद्धि कर रही है. वे पूरी तरह से उस पर निर्भर हैं और हम भी दोनों की अच्छी तरह से देखभाल कर रहे हैं. बाघिन व उसके शावकों को सीसीटीवी की निगरानी में रखा गया है. पल-पल मोनिटर किया जा रहा है. इसके लिए गेट कीपर को सख्त हिदायत दी गई है कि वह सभी की कड़ी निगरानी करें.

दिल्ली जू में कितने रॉयल बंगाल टाइगरः महाजन ने बताया कि जू के अंदर फिलहाल 4 वयस्क रॉयल बंगाल टाइगर हैं और इन बाघों के घरेलू नाम करण, सिद्धि, अदिति और बरखा हैं. बाघिन सिद्धि और अदिति जंगली मूल की हैं, जिन्हें गोरेवाड़ा, नागपुर से प्राप्त किया गया था. अब दो शावक के बाद इनकी संख्या 6 हो गई हैं. हालांकि, तीन शावक की मौत नहीं होती तो संख्या 9 हो जाती.

ऐसा रहा है इतिहासः निदेशक ने बताया कि 14 मई 1969 को जूनागढ़ चिड़ियाघर से एक जोड़ी बाघ शावकों के बदले शेर का पहला जोड़ा प्राप्त हुआ था. बाघ के अधिग्रहण के समय से दिल्ली चिड़ियाघर संरक्षण, शिक्षा और प्रदर्शन के लिए रख-रखाव कर रहा है. यहां बाघों ने अच्छा प्रजनन किया है और देश-विदेश के कई चिड़ियाघरों के बदले में भी दिया है.

ये भी पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट 'द केरल स्टोरी’ फिल्म की रिलीज के खिलाफ याचिका पर कल सुनवाई करेगा

2010 में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने गंभीर रूप से लुप्तप्राय जंगली जानवरों की प्रजातियों के समन्वित नियोजित संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम की शुरुआत की, क्योंकि यह राष्ट्रीय चिड़ियाघर नीति 1998 का मुख्य उद्देश्य है. इस समन्वित नियोजित संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम के लिए 73 गंभीर रूप से लुप्तप्राय जंगली जानवरों की प्रजातियों का चयन किया गया और सह प्रत्येक प्रजाति के लिए समन्वय और भाग लेने वाले चिड़ियाघरों की पहचान की गई.

इस राष्ट्रीय समन्वित नियोजित संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम के तहत दिल्ली चिड़ियाघर को टाइगर के लिए एक भाग लेने वाले चिड़ियाघर के रूप में चुना गया है. चिड़ियाघर के बाघों की आबादी के बीच आनुवंशिक विषमयुग्मजी को बनाए रखने के लिए पशु विनिमय कार्यक्रम चलाए गए हैं. बाघों का वर्तमान अधिग्रहण भी बाघों की आनुवंशिक रूप से स्वस्थ आबादी को पुन: उत्पन्न करने के लिए राष्ट्रीय समन्वित नियोजित संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम का एक हिस्सा है.

ये भी पढ़ेंः Maharashtra News : खेलते समय लिफ्ट के दरवाजे में फंसकर 13 साल के बच्चे की मौत

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.