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'जेटली को वकील नहीं सीए बनाना चाहते थे उनके पिता', सुनिए 'अरुण' के अनसुने किस्से - ETV BHARAT

अरुण जेटली पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं. आज भले वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन तमाम लोग उनसे जुड़ी यादें साझा कर रहे हैं. नेताओं ने भी अपने-अपने तरीके से अरुण जेटली को याद किया.

नेताओं ने अरुण जेटली को याद किया ETV BHARAT
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Published : Aug 26, 2019, 9:58 AM IST

नई दिल्ली: अरुण जेटली पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं और अब बची हैं तो केवल उनसे जुड़ी यादें. अरुण जेटली से किसी न किसी तरह से जुड़े रहे तमाम लोग उनके साथ अपनी यादें साझा कर रहे हैं.

राजनीति के साथ-साथ अरुण जेटली वकालत के पेशे का भी एक बड़ा नाम रहे. लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि अरुण जेटली के पिता उन्हें वकील नहीं, सीए बनाना चाहते थे. यह बात ईटीवी भारत से साझा की सीए इंस्टिट्यूट के पूर्व प्रेजिडेंट नवीन एनडी गुप्ता ने.

सुनिए 'अरुण' के अनसुने किस्से

ईटीवी भारत से बातचीत में नवीन एनडी गुप्ता ने बताया कि सीए इंस्टिट्यूट के प्रेसिडेंट के तौर पर कई बार उनका वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलना जुलना होता था और बातचीत में वे बेहद आत्मीयता से पेश आते थे.

इसी क्रम में उन्होंने बताया था कि आप भी सीए हैं और मेरे भी पिताजी चाहते थे कि मैं भी सीए बनूं, लेकिन मुझे लगता था कि सीए बनना बहुत मुश्किल होगा और वकील बनना उतना मुश्किल नहीं है. इसलिए मैंने वकालत का रास्ता चुना.

AAP के राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता और पार्टी नेता राघव चड्ढा ने भी अपने-अपने तरीके से अरुण जेटली को याद किया.

राघव चड्ढा ने बताया कि एक मामले में उन्होंने मेरे ऊपर भी मानहानि का मुकदमा दायर किया था, लेकिन उसके तुरंत कुछ दिनों बाद ही जब उनसे मुलाकात हुई, तो वे बेहद आत्मीयता से मिले.

जेटली की शख्सियत और व्यक्तित्व की इसी पहचान ने आज पूरे देश को गमगीन कर दिया है. आज भले वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन तमाम लोग उनसे जुड़ी यादें साझा कर रहे हैं.

नई दिल्ली: अरुण जेटली पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं और अब बची हैं तो केवल उनसे जुड़ी यादें. अरुण जेटली से किसी न किसी तरह से जुड़े रहे तमाम लोग उनके साथ अपनी यादें साझा कर रहे हैं.

राजनीति के साथ-साथ अरुण जेटली वकालत के पेशे का भी एक बड़ा नाम रहे. लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि अरुण जेटली के पिता उन्हें वकील नहीं, सीए बनाना चाहते थे. यह बात ईटीवी भारत से साझा की सीए इंस्टिट्यूट के पूर्व प्रेजिडेंट नवीन एनडी गुप्ता ने.

सुनिए 'अरुण' के अनसुने किस्से

ईटीवी भारत से बातचीत में नवीन एनडी गुप्ता ने बताया कि सीए इंस्टिट्यूट के प्रेसिडेंट के तौर पर कई बार उनका वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलना जुलना होता था और बातचीत में वे बेहद आत्मीयता से पेश आते थे.

इसी क्रम में उन्होंने बताया था कि आप भी सीए हैं और मेरे भी पिताजी चाहते थे कि मैं भी सीए बनूं, लेकिन मुझे लगता था कि सीए बनना बहुत मुश्किल होगा और वकील बनना उतना मुश्किल नहीं है. इसलिए मैंने वकालत का रास्ता चुना.

AAP के राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता और पार्टी नेता राघव चड्ढा ने भी अपने-अपने तरीके से अरुण जेटली को याद किया.

राघव चड्ढा ने बताया कि एक मामले में उन्होंने मेरे ऊपर भी मानहानि का मुकदमा दायर किया था, लेकिन उसके तुरंत कुछ दिनों बाद ही जब उनसे मुलाकात हुई, तो वे बेहद आत्मीयता से मिले.

जेटली की शख्सियत और व्यक्तित्व की इसी पहचान ने आज पूरे देश को गमगीन कर दिया है. आज भले वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन तमाम लोग उनसे जुड़ी यादें साझा कर रहे हैं.

Intro:अरुण जेटली पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं और अब बची हैं, तो केवल उनसे जुड़ी यादें. अरुण जेटली से किसी न किसी तरह से जुड़े रहे तमाम लोग उनके साथ की अपनी यादें ताजा कर रहे हैं. इसी क्रम में हमने कुछ ऐसे लोगों से बातचीत की, जिनसे अरुण जेटली से जुड़ी एक अनसुनी कहानी निकलकर सामने आई.


Body:नई दिल्ली: राजनीति के साथ-साथ अरुण जेटली वकालत के पेशे का भी एक बड़ा नाम रहे. लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि अरुण जेटली के पिता उन्हें वकील नहीं, सीए बनाना चाहते थे. यह बात ईटीवी भारत से साझा की सीए इंस्टिट्यूट के पूर्व प्रेजिडेंट नवीन एनडी गुप्ता ने.

ईटीवी भारत से बातचीत में नवीन एनडी गुप्ता ने बताया कि सीए इंस्टिट्यूट के प्रेसिडेंट के तौर पर कई बार उनका वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलना जुलना होता था और बातचीत में वे बेहद आत्मीयता से पेश आते थे. इसी क्रम में उन्होंने बताया था कि आप भी सीए हैम और मेरे भी पिताजी चाहते थे कि मैं यह भी सीए बनूं, लेकिन मुझे लगता था कि सीए बनना बहुत मुश्किल होगा और वकील बनना उतना मुश्किल नहीं है. इसलिए मैंने वकालत का रास्ता चुना.

इसी क्रम में ईटीवी भारत ने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता और पार्टी नेता राघव चड्ढा से भी अरुण जेटली से जुड़ी यादों को लेकर बातचीत की. इन दोनों नेताओं ने भी अपने-अपने तरीके से अरुण जेटली को याद किया. राघव चड्ढा ने बताया कि एक मामले में उन्होंने मेरे ऊपर भी मानहानि का मुकदमा दायर किया था, लेकिन उसके तुरंत कुछ दिनों बाद ही जब उनसे मुलाकात हुई, तो वे बेहद आत्मीयता से मिले.


Conclusion:अरुण जेटली की शख्सियत और व्यक्तित्व की इसी पहचान ने आज पूरे देश को गमगीन कर दिया है. आज भले वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन तमाम लोग उनसे जुड़ी यादें साझा कर रहे हैं.
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