ETV Bharat / state

Teachers Day 2023: यमुना खादर इलाके में झोपड़ी में स्कूल चलाकर बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहे सतेंद्र

शिक्षक दिवस के अवसर पर हम आप को एक ऐसे शिक्षक के बारे में बता रहे हैं, जो अभावग्रस्त बच्चों को पढ़ा रहे हैं. वह यमुना खादर के इलाके में रहने वाले अभावग्रस्त बच्चों को शिक्षा देकर उनमें ज्ञान की अलख जगा रहे हैं. शिक्षक सतेंद्र बताते हैं कि उनके स्कूल में 200 से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 5, 2023, 11:31 AM IST

a

नई दिल्ली: शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बावजूद बहुत से बच्चे ऐसे हैं, जो अभी भी कई समस्याओं के चलते स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. उनके माता-पिता इतने सक्षम नहीं हैं कि वह उन्हें स्कूल भेज सकें. ऐस शिक्षकों को शिक्षक दिवस के अवसर पर याद करना जरूरी हो जाता है, जो ऐसे अभावग्रस्त बच्चों को पढ़ा रहे हैं. ऐसे ही यमुना खादर के इलाके में रहने वाले अभावग्रस्त बच्चों को शिक्षा देकर उनमें ज्ञान की अलख जगा रहे हैं वह शिक्षक सतेंद्र पाल.

सतेंद्र पाल ने साल 2015 में यमुना खादर में जो दिल्ली के अक्षरधाम के नजदीक स्थित यमुना के किनारे से लेकर के डीएनडी फ्लाईओवर के बीच का इलाका है, उसमें झोपड़ी बनाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. उन्होंने इस स्कूल को पंचशील शिक्षण संस्थान नाम दिया है. बीते आठ साल से लगातार सतेंद्र का यह प्रयास जारी है. मयूर विहार फेस-1 मेट्रो स्टेशन के सामने स्थित पुस्ता रोड पर बड़ी संख्या में खेती करने वाले लोग रहते हैं, जो उत्तर प्रदेश और बिहार की अलग-अलग जगह से आकर के यहां बसे हैं. उनके बच्चे यहां बिना पढ़ाई लिखाई किए ही उनका खेती में हाथ बंटाते थे और अपना जीवन यापन करते थे.

इसको देखकर सतेंद्र के मन में यह आया कि इन बच्चों के माता-पिता तो अनपढ़ होने की वजह से यहां खादर के बाढ़ प्रभावित इलाके में रहकर खेती करने को मजबूर हैं, लेकिन इन बच्चों की उम्र तो अभी पढ़ने की है. यह पढ़ लिखकर अपने पसंद के क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकते हैं. इसलिए सतेंद्र ने उनको शिक्षित करने का निर्णय लिया. उन्होंने बताया कि वह खुद उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की बिसौली तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव के रहने वाले हैं. यहां इस इलाके में बहुत सारे परिवार बदायूं जिले के ही निवासी हैं.

उन्होंने बताया कि जब वह साल 2007 में पहली बार दिल्ली घूमने आए तब वह यमुना खादर के इलाके में पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि इन बच्चों का पढ़ना लिखना भी जरूरी है. अगर इन्हें इनके घर के पास ही पढ़ाई की सुविधा मिल जाए तो यह पढ़ सकते हैं. इसके बाद सतेंद्र ने चार बच्चों के साथ पढ़ाई की शुरुआत की. फिर धीरे-धीरे उनका यह कारवां बढ़ता गया. सतेंद्र बताते हैं कि आज उनके स्कूल में 200 से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं. हाल ही में 10 जुलाई को आई बाढ़ की वजह से कुछ बच्चे गांव जाने की वजह से कम हो गए. जल्द ही वह भी वापस आ जाएंगे.

सतेंद्र ने बताया कि उन्होंने खुद अपनी पढ़ाई अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के अंतर्गत संचालित एक स्कूल से की है. उनके पिता भी किसान हैं. वह पढ़े-लिखे भी नहीं हैं, लेकिन उन्होंने उनको पढ़ाने में कोई कमी नहीं रखी. इसलिए अब वह इन खेती करने वाले परिवारों के बच्चों को भी पढ़ा लिखा कर सफल होते देखना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि वह सुबह 8 से 11 बजे तक और शाम को 4 से 7 बजे तक यहां बच्चों को पढ़ाते हैं. प्ले से लेकर 10वीं कक्षा तक के बच्चे इस समय उनके स्कूल में पढ़ रहे हैं. उनके साथ 10 से 12 अन्य वालंटियर भी हैं, जो समय निकालकर बच्चों को पढ़ाने आते हैं. इसके अलावा कुछ समाजसेवी लोगों द्वारा भी बच्चों को स्टेशनरी उपलब्ध करा कर मदद की जाती है.

ये भी पढ़ें : Teacher's Day पर दिल्ली की आरती कानूनगो को मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2023, जानिए उनके बारे में

उन्होंने बताया कि यमुना खादर का इलाका होने की वजह से यहां पर पक्का निर्माण करने की अनुमति नहीं है. इसलिए झोपड़ी बनाकर ही स्कूल चला रहे हैं. जब भी बाढ़ आती है तो बच्चों की पढ़ाई लिखाई बाधित हो जाती है. पूरा इलाका पानी में डूब जाता है. अभी बीते दो महीने में भी बाढ़ के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित रही. क्योंकि यहां 2 फीट से ज्यादा पानी भर गया था. पानी खत्म होने के बाद फिर से बच्चों ने स्कूल आना शुरू किया है. बच्चों में भी पढ़ के प्रति लगन है. उन्होंने बताया कि यहां पर पढ़ने वाले बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए भी वह सरकारी स्कूलों में दाखिला कराते हैं, जिससे उन्हें पढ़ाई के लिए प्रमाण पत्र भी मिल सके. सतेंद्र ने बताया कि अभी तक यहां स्कूल चलाकर वह तीन से पांच हजार बच्चों को पढ़ा चुके हैं. प्ले से आठवीं तक के बच्चों से 200 रुपये और इससे ऊपर की कक्षा के बच्चों से 250 रुपये प्रतिमाह फीस लेकर इस पैसे से कुछ वालंटियर को खर्च के लिए पैसे दिए जाते हैं. साथ ही स्कूल के लिए आवश्यक चीजें जैसे ब्लैक बोर्ड, चौक आदि की व्यवस्था की जाती है.

ये भी पढ़ें : Teacher's Day: शिक्षक दिवस पर स्टेट टीचर अवार्ड पाने वालों की सूची जारी, जानिए, किन्हें किस कैटेगरी में मिलेगा अवार्ड

a

नई दिल्ली: शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बावजूद बहुत से बच्चे ऐसे हैं, जो अभी भी कई समस्याओं के चलते स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. उनके माता-पिता इतने सक्षम नहीं हैं कि वह उन्हें स्कूल भेज सकें. ऐस शिक्षकों को शिक्षक दिवस के अवसर पर याद करना जरूरी हो जाता है, जो ऐसे अभावग्रस्त बच्चों को पढ़ा रहे हैं. ऐसे ही यमुना खादर के इलाके में रहने वाले अभावग्रस्त बच्चों को शिक्षा देकर उनमें ज्ञान की अलख जगा रहे हैं वह शिक्षक सतेंद्र पाल.

सतेंद्र पाल ने साल 2015 में यमुना खादर में जो दिल्ली के अक्षरधाम के नजदीक स्थित यमुना के किनारे से लेकर के डीएनडी फ्लाईओवर के बीच का इलाका है, उसमें झोपड़ी बनाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. उन्होंने इस स्कूल को पंचशील शिक्षण संस्थान नाम दिया है. बीते आठ साल से लगातार सतेंद्र का यह प्रयास जारी है. मयूर विहार फेस-1 मेट्रो स्टेशन के सामने स्थित पुस्ता रोड पर बड़ी संख्या में खेती करने वाले लोग रहते हैं, जो उत्तर प्रदेश और बिहार की अलग-अलग जगह से आकर के यहां बसे हैं. उनके बच्चे यहां बिना पढ़ाई लिखाई किए ही उनका खेती में हाथ बंटाते थे और अपना जीवन यापन करते थे.

इसको देखकर सतेंद्र के मन में यह आया कि इन बच्चों के माता-पिता तो अनपढ़ होने की वजह से यहां खादर के बाढ़ प्रभावित इलाके में रहकर खेती करने को मजबूर हैं, लेकिन इन बच्चों की उम्र तो अभी पढ़ने की है. यह पढ़ लिखकर अपने पसंद के क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकते हैं. इसलिए सतेंद्र ने उनको शिक्षित करने का निर्णय लिया. उन्होंने बताया कि वह खुद उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की बिसौली तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव के रहने वाले हैं. यहां इस इलाके में बहुत सारे परिवार बदायूं जिले के ही निवासी हैं.

उन्होंने बताया कि जब वह साल 2007 में पहली बार दिल्ली घूमने आए तब वह यमुना खादर के इलाके में पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि इन बच्चों का पढ़ना लिखना भी जरूरी है. अगर इन्हें इनके घर के पास ही पढ़ाई की सुविधा मिल जाए तो यह पढ़ सकते हैं. इसके बाद सतेंद्र ने चार बच्चों के साथ पढ़ाई की शुरुआत की. फिर धीरे-धीरे उनका यह कारवां बढ़ता गया. सतेंद्र बताते हैं कि आज उनके स्कूल में 200 से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं. हाल ही में 10 जुलाई को आई बाढ़ की वजह से कुछ बच्चे गांव जाने की वजह से कम हो गए. जल्द ही वह भी वापस आ जाएंगे.

सतेंद्र ने बताया कि उन्होंने खुद अपनी पढ़ाई अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के अंतर्गत संचालित एक स्कूल से की है. उनके पिता भी किसान हैं. वह पढ़े-लिखे भी नहीं हैं, लेकिन उन्होंने उनको पढ़ाने में कोई कमी नहीं रखी. इसलिए अब वह इन खेती करने वाले परिवारों के बच्चों को भी पढ़ा लिखा कर सफल होते देखना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि वह सुबह 8 से 11 बजे तक और शाम को 4 से 7 बजे तक यहां बच्चों को पढ़ाते हैं. प्ले से लेकर 10वीं कक्षा तक के बच्चे इस समय उनके स्कूल में पढ़ रहे हैं. उनके साथ 10 से 12 अन्य वालंटियर भी हैं, जो समय निकालकर बच्चों को पढ़ाने आते हैं. इसके अलावा कुछ समाजसेवी लोगों द्वारा भी बच्चों को स्टेशनरी उपलब्ध करा कर मदद की जाती है.

ये भी पढ़ें : Teacher's Day पर दिल्ली की आरती कानूनगो को मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2023, जानिए उनके बारे में

उन्होंने बताया कि यमुना खादर का इलाका होने की वजह से यहां पर पक्का निर्माण करने की अनुमति नहीं है. इसलिए झोपड़ी बनाकर ही स्कूल चला रहे हैं. जब भी बाढ़ आती है तो बच्चों की पढ़ाई लिखाई बाधित हो जाती है. पूरा इलाका पानी में डूब जाता है. अभी बीते दो महीने में भी बाढ़ के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित रही. क्योंकि यहां 2 फीट से ज्यादा पानी भर गया था. पानी खत्म होने के बाद फिर से बच्चों ने स्कूल आना शुरू किया है. बच्चों में भी पढ़ के प्रति लगन है. उन्होंने बताया कि यहां पर पढ़ने वाले बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए भी वह सरकारी स्कूलों में दाखिला कराते हैं, जिससे उन्हें पढ़ाई के लिए प्रमाण पत्र भी मिल सके. सतेंद्र ने बताया कि अभी तक यहां स्कूल चलाकर वह तीन से पांच हजार बच्चों को पढ़ा चुके हैं. प्ले से आठवीं तक के बच्चों से 200 रुपये और इससे ऊपर की कक्षा के बच्चों से 250 रुपये प्रतिमाह फीस लेकर इस पैसे से कुछ वालंटियर को खर्च के लिए पैसे दिए जाते हैं. साथ ही स्कूल के लिए आवश्यक चीजें जैसे ब्लैक बोर्ड, चौक आदि की व्यवस्था की जाती है.

ये भी पढ़ें : Teacher's Day: शिक्षक दिवस पर स्टेट टीचर अवार्ड पाने वालों की सूची जारी, जानिए, किन्हें किस कैटेगरी में मिलेगा अवार्ड

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.