नई दिल्ली: केंद्र और दिल्ली सरकार की अलग-अलग नीतियों के विरोध में शुक्रवार को दिल्ली के टैक्सी चालकों ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया. इन्होंने कहा कि सरकार ट्रैफिक चालान से लेकर सीट बेल्ट तक के नियमों में टैक्सी चालकों का हित नहीं देख रही है और महंगे-महंगे जुर्माने देकर उन्हें परेशान किया जा रहा है. इनका कहना है कि 10 दिन के भीतर अगर इनके हित में फैसला नहीं लिया गया तो देश भर में टैक्सियां सड़क पर खड़ी कर दी जाएंगी.
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'हमारे हितों के खिलाफ बनाए गए कानून'
सर्वोदय ड्राइवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कमलजीत गिल ने कहा कि सरकार ओला और उबर जैसी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए तो काम कर रही है लेकिन देश के टैक्सी चालकों के विषय में बिलकुल नहीं सोच रही है. दिल्ली में टैक्सी चालकों के लिए 40 किलोमीटर प्रतिघंटे की लिमिट है.
इससे ऊपर जाने पर ऑटोमैटिक चालान आ जाते हैं. रात के समय में सवारियां देश चलाने के लिए कहती है और अगर ऐसा नहीं होता है तो खराब रेटिंग मिलती है. वहीं पीछे बैठने वालों के लिए भी अब सीट बेल्ट का नियम बना दिया गया है. ऐसा अगर नहीं होता है तो ड्राइवर को भुगतान करना पड़ेगा. ये कहां का इंसाफ है.
'निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा रही सरकार'
दिल्ली टैक्सी टूरिस्ट ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सम्राट ने कहा कि मौजूदा समय में स्पीड गवर्नर पैनिक बटन और परमिट रिन्युअल के नाम पर हज़ारों रुपये वसूले जा रहे हैं जबकि असल में इन चीजों की कीमतें बहुत कम होती हैं.
उन्होंने कहा कि हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट की फीसदी 1200 रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक कर दी गई है जबकि पिछले साल तक ये प्लेट मात्र 250 रुपये तक की थी उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों ही निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा रहे हैं जबकि टैक्सी चालकों की समस्या लगातार बढ़ रही है.
टैक्सी चालकों ने सरकार को दिया 10 दिन का अल्टीमेटम
टैक्सी चालकों ने कहा कि मौजूदा समय में उन्होंने सरकारों को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया है. इस दौरान अगर उनके हित में कदम नहीं उठाए गए तो देश भर में टैक्सियों को सड़क पर खड़ा कर दिया जाएगा. ये हड़ताल नहीं होगी लेकिन इसके बाद ये संघर्ष तेजी से आगे बढ़ेगा.
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