नई दिल्लीः छत्रसाल स्टेडियम पर हुई सागर धनखड़ की हत्या ( (Sagar Murder Case) ) के मामले में सुशील की किस्मत, जहां खराब निकली तो, वहीं दिल्ली पुलिस (Delhi Police) खुशकिस्मत रही. इस मामले में सबसे बड़ा साक्ष्य, वह वीडियो (Sagar Murder Video Evidence) है, जिसमें सुशील कथित तौर पर सागर की पिटाई कर रहा है. यह वीडियो और उसे बनाने वाला दोनों ही पुलिस को मौके पर मिल गए थे. अगर यह शख्स एवं वीडियो वाला मोबाइल पुलिस को मौके से नहीं मिलता, तो पुलिस के लिए हत्याकांड में सुशील के खिलाफ साक्ष्य जुटाना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता.
जानकारी के अनुसार, चार मई की रात छत्रसाल स्टेडियम में, जब सागर धनखड़ को पीटा जा रहा था, वहां पर लगभग 15 पहलवान एवं बदमाश मौजूद थे. इनमें से प्रिंस मारपीट का वीडियो बना रहा था, जिसे बाद में अन्य पहलवानों के बीच दहशत बनाने के लिए दिखाया जाता. पुलिस, जब सायरन बजाते हुए, वहां पहुंची तो सुशील कुमार (Sushil Kumar) सहित सभी आरोपी भाग निकले, लेकिन जिस प्रिंस ने यह वीडियो बनाया था, वह नहीं भाग सका. प्रिंस पास में मौजूद एक गाड़ी में जाकर छिप गया था.
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तलाशी अभियान के दौरान पुलिस ने, उसे गाड़ी से निकाला. पुलिस को लगा कि शायद, वह भी मारपीट का शिकार हुआ है और बचने के लिए छिप गया था. जब उससे पूछताछ हुई तो पता चला कि वह सुशील का साथी है. उसके मोबाइल को, जब खंगाला गया, तो पिटाई का वीडियो भी मिल गया, जो इस हत्याकांड में सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य है. इसके बाद प्रिंस ने बयान में भी झगड़े की पूरी जानकारी दी. यह बात पुलिस के अधिकारी भी मान रहे हैं कि अगर प्रिंस फरार हो गया होता, तो सुशील के खिलाफ अहम साक्ष्य नहीं होता.
अदालत में वीडियो महत्वपूर्ण साक्ष्य बनेगा
अधिवक्ता दीपक चौधरी (Advocate Deepak Choudhary) ने बताया कि सागर हत्याकांड मामले में, यह कहना बिल्कुल ठीक होगा कि सुशील की किस्मत खराब थी, जिसके चलते यह वीडियो पुलिस के हाथ लग गया. यह वीडियो इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य है. अदालत के समक्ष अगर, इसके सत्यता की पुष्टि हो गई, तो सुशील कुमार के लिए यह गले की फांस बन सकता है. यह बात भी महत्वपूर्ण है कि वीडियो वाला मोबाइल एवं इसे बनाने वाला दोनों हो मौके पर पुलिस को मिल गए थे. इस वीडियो की एफएसएल रिपोर्ट भी आ चुकी है, जिसमें इससे किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं होने की पुष्टि हुई है. दीपक चौधरी ने बताया कि अगर यह वीडियो पुलिस को नहीं मिला होता, तो उनके लिए सुशील पर लगे आरोप को साबित करना बहुत ही मुश्किल हो जाता.
सबूत मिटाने की भी मिल सकती है सजा
अधिवक्ता दीपक चौधरी ने बताया कि इस मामले में पुलिस अदालत के समक्ष बोल चुकी है कि सुशील ने जांच में सहयोग नहीं किया. उसके कपड़े एवं मोबाइल भी पुलिस बरामद नहीं कर सकी. इसके चलते आने वाले समय में पुलिस एफआईआर में सबूत नष्ट करने की धारा को भी जोड़ सकती है. इस धारा के जुड़ने से सुशील की परेशानियां और बढ़ सकती हैं. हत्या के मामले में, जहां सुशील को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है, तो वहीं सबूत नष्ट करने के मामले में सात साल तक की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही हत्या के मामले में सुशील को उम्रकैद की सजा हो सकती है. उन्हें लगता है कि अगर सुशील जांच में सहयोग करता, तो उसके लिए बेहतर होता.