नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), देश की सबसे चर्चित यूनिवर्सिटीज में से एक है, जहां होने वाली हल्की सी हलचल भी सुर्खियां बटोर लेती है. खासतौर पर यहां होने वाला छात्रसंघ चुनाव, देशभर में चर्चा का विषय बना रहता है. इसके पीछे जेएनयू की लोकप्रियता और पूर्व में घटित घटनाएं हैं. जेएनयू में आखिरी बार छात्रसंघ चुनाव साल 2019 में हुआ था और अभी तक इसे लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा इस बारे में कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं की गई है.
हालांकि, जून में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने छात्रों की समस्या को लेकर जेएनयू प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके बाद छात्रों की मांग मानते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा था कि जल्द ही छात्रसंघ चुनाव कराए जाएंगे. बावजूद इसके जेएनयू द्वारा छात्रसंघ चुनाव टाला जा रहा है. इस मामले में एबीवीपी ने कुछ दिनों पहले जेएनयू वीसी को कुछ दिनों पहले एक नोटिस भी दिया था.
वहीं, हाल में डीयू प्रशासन ने एक नोटिफिकेशन जारी कर बताया है कि वहां 25 सितंबर को छात्रसंघ का चुनाव होगा. वहां तीन साल बाद चुनाव होने जा रहा है. डीयू के छात्रसंघ चुनाव में छात्र संगठन एबीवीपी का दबदबा है. 2019 के चुनाव में एबीवीपी ने वहां तीन सीट जीती थी, जबकि इस बार एबीवीपी चार सीट जीतने का दावा कर रही है. इन सब को देखते हुए अब जेएनयू में भी छात्रसंघ चुनाव के नोटिफिकेशन का इंतजार किया जा रहा है.
वीसी को लिखा लेटर: जेएनयू में एबीवीपी यूनिट के सचिव विकास पटेल ने बताया कि छात्रसंघ चुनाव को लेकर उन्होंने वीसी को लेटर भी लिखा है. उन्होंने कहा कि लंबे समय तक चुनाव के स्थगन से हमारे अधिकारों का हनन हो रहा है. अब तो कोविड की समस्याओं से भी उबर चुके हैं, लेकिन फिर भी जेएनयू प्रशासन चुप है. हमने अपने पत्र के माध्यम से कहा था कि जेएनयू की ओर से किए जा रहे बहाने अब नहीं चलेंगे. अब बहाने का समय खत्म हो गया है और कार्रवाई का समय है. हम उत्सुकता से आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं और हम अब चाहते हैं कि जल्द से जल्द चुनाव को लेकर घोषणा की जाए.
जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष ने साधी चुप्पी: जेएनयू में छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष से पूछा गया कि छात्रसंघ चुनाव में हो रही देरी को देखते हुए उनके संगठन की क्या भूमिका होगी. लेकिन उन्होंने इस मामले में कुछ भी कहने से दूरी बनाई हुई है. 2019 के जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में लेफ्ट की ओर से आइषी घोष अध्यक्ष पद पर जीती थीं. उनके अलावा लेफ्ट के साकेत मून उपाध्यक्ष, सतीश चंद्र यादव महासचिव और के मोहम्मद दानिश सचिव बने थे.
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चुनाव से पहले होती है डिबेट: जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में वोटिंग से पहले डिबेट होता है. इस डिबेट में छात्र संगठन के उम्मीदवार, अपने अपने विचार छात्रों के सामने रखते हैं. इस डिबेट में कॉलेज के छात्रों की विभिन्न समस्या को उठाया जाता है और कहा जाता है कि अगर छात्र उन्हें मौका देंगे तो वह उनकी समस्याएं दूर करेंगे.
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ऐसा होगा जेएनयू में छात्रसंघ चुनाव: सबसे पहले जेएनयू प्रशासन इलेक्शन कमेटी बनाकर कमेटी का नोटिफिकेशन जारी करेगा. इसके बाद कमेटी ही चुनाव के सारे नोटिफिकेशन जारी करेगी. जेएनयू में छात्रसंघ चुनाव कराने का नियम है कि पहले एडमिशन प्रक्रिया पूरी कर ली जाए. हालांकि जेएनयू में अभी पीएचडी एडमिशन पूरा नहीं हुआ है. हाल ही में इस संबंध में नोटिफेकिशन जारी किया गया है. साथ ही स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में दाखिले भी चल रहे हैं. कहा जा रहा है कि अक्टूबर माह तक पीएचडी में दाखिला हो जाएगा. दाखिले के डेढ़ महीन के भीतर चुनाव कराना होता है, लेकिन अगर चुनाव देरी से हुए तो जेएनयू स्टूडेंट यूनियन को तैयारी का कुछ ही समय मिल पाएगा.
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