नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी में पहली कट-ऑफ लिस्ट जारी होने के बाद से ही कॉलेजों में दाखिला प्रक्रिया की दौड़ शुरू हो गई है. विश्वविद्यालय प्रशासन जहां इस बार दाखिले के दौरान छात्रों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने का दावा कर रहा था, वहीं दाखिले की शुरुआत में ही इन दावों की पोल खुलती नजर आ रही है.
दाखिला शुरू होने के बाद ही छात्रों की परेशानियों का दौर भी शुरू हो गया. डीयू के अंतर्गत आने वाले आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज में बीएससी में एडमिशन लेने वाले छात्र जसवीर सिंह यादव ने बेस्ट फोर में इनफॉर्मेटिक प्रैक्टिस को शामिल किया था, जोकि कंप्यूटर साइंस ही है.
'यूनिवर्सिटी से लिखवाकर लाएं'
फिर भी कॉलेज प्रशासन उसे मुख्य विषय मानने से इनकार कर रहा है. हालांकि उन्हें कॉलेज ने प्रोविजनल के आधार पर दाखिला तो दे दिया, लेकिन उन्हें विश्वविद्यालय से ये लिखवा कर लाने के लिए कह दिया कि ये विषय कंप्यूटर साइंस ही होता है.
छात्र ने की शिकायत
वहीं कालकाजी में स्थित आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज में एडमिशन ले रहे उत्तर प्रदेश के इटावा के रहने वाले छात्र जसवीर सिंह यादव ने बताया कि कॉलेज ने प्रोस्पेक्टस में लिस्ट-ए में सब्जेक्ट को कंप्यूटर साइंस/इनफॉर्मेटिक प्रैक्टिस के तौर पर शामिल किया है.
कॉलेज प्रशासन दाखिले के दौरान ये मानने से इनकार कर रहा है कि कंप्यूटर साइंस और इनफॉर्मेटिक्स प्रैक्टिस एक ही विषय है. वहीं इस पूरे मामले को लेकर छात्र जसवीर ने दिल्ली विश्वविद्यालय दाखिला समिति के शिकायत प्रकोष्ठ में शिकायत भी की है, जहां पर उन्हें उम्मीद है कि उनकी बात का हल निकल जाएगा.
'छात्रों को परेशान ना करें कॉलेज'
बता दें कि सीबीएसई बोर्ड में इनफॉर्मेटिक प्रैक्टिस और कंप्यूटर साइंस एक ही विषय होते हैं, बस उनके नाम अलग-अलग हैं. वहीं मालूम हो कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने दाखिला प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही ये स्पष्ट कर दिया था कि कुछ ऐसे विषय हैं जिनके नाम अलग हैं, लेकिन उनके विषय वस्तु एक हैं और उस आधार पर कॉलेज छात्र को दाखिला देने के दौरान परेशान ना करें.