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Eco Friendly Startup: एक अखबार से 20 पेंसिल बना रहे दो दोस्त, जानें पर्यावरण को कैसे कर रहे सुरक्षित - स्टार्टअप का नाम ईको ड्रा रखा गया

दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च विश्वविद्यालय (डीपीएसआरयू) के एलाइड हेल्थ साइंस विभाग के दो फैकल्टी सदस्य ने एक ऐसा स्टार्टअप शुरू किया है जिसमें पेंसिल, पेन, नोटबुक बनाने के लिए पेपर का इस्तेमाल करते हैं. इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा. पेपर से बने पेंसिल के खत्म होने के बाद इसे मिट्टी के गमले में डाल दिया जाए तो पौधे उग आएंगे.

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Published : Jun 23, 2023, 10:01 AM IST

Updated : Jun 23, 2023, 5:40 PM IST

ईको ड्रा स्टार्टअप के संस्थापक से बातचीत

नई दिल्ली: आजकल अपना भविष्य बचाने के लिए हमें पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए कहा जा रहा है. लेकिन सबसे दुखद बात यह है कि यह सिर्फ किताबों में ही रह गया है. हम अपने पर्यावरण की रक्षा करने में मदद नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसे नष्ट कर रहे हैं. पर्यावरण को बचाने में सबसे अहम भूमिका पेड़ों की है. इसके महत्व को समझते हुए दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च विश्वविद्यालय (डीपीएसआरयू) के एलाइड हेल्थ साइंस विभाग के दो फैकल्टी सदस्य ने एक स्टार्टअप की शुरुआत की है.

इस स्टार्टअप के तहत छात्र कबाड़ में बेचे जाने वाले पेपर और सब्जी के बीज और सर्टिफाइड गम, जिलेटिन की मदद से पेंसिल, नोटबुक, पेन और फाइल फोल्डर बना रहे हैं. हाल ही में विश्वविद्यालय में आयोजित हुए स्टार्टअप कान्क्लेव में सुनील कुमार और शुभम सिन्हा के इस आइडिया को काफी सराहा गया था. इस स्टार्टअप का नाम ईको ड्रा रखा गया है. इसके फाउंडर सुनील का कहना है कि प्रतिवर्ष करीब 200 करोड़ पेंसिल बनाने के लिए लगभग पांच लाख 82 हजार पेड़ काटे जाते हैं. इससे पर्यावरण का काफी नुकसान हो रहा है. लेकिन हमारे द्वारा बनाए गए पेंसिल प्रकृति के साथ गिव एंड टेक नियम का पालन करते हैं. पेंसिल के पीछे तुलसी, सूरजमुखी, बैंगन, टमाटर और हरी धनिया के बीज लगाए गए हैं. पेंसिल खत्म होने पर इन बीज को मिट्टी या गमले में डाल दिया जाए तो पौधे उग जाते हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

दोनों साथी एक साल से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. फंड न होने के चलते उन्होंने प्लास्टिक की बजाय रद्दी पेपर को पुन: इस्तेमाल करने का सोचा. इसके बाद दोनों ने न्यूजपेपर के कागज से पेंसिल बनाई लेकिन इन पेंसिल में हार्डनेस की कमी थी. इसके लिए उन्होंने डाक्टर सर्टिफाइड गम का इस्तेमाल किया, जिससे लिखते समय अगर बच्चा इसे खा भी ले तो उसे कोई नुकसान न हो.

एक न्यूजपेपर से 20 पेंसिल बना रहे हैं सुनील
सुनील बताते हैं कि ईको ड्रा द्वारा बनाई गई पेंसिल की लंबाई सात इंच है. ऐसे में वह पांच रुपये के एक न्यूजपेपर से करीब 20 पेंसिल बनाते है. इसके अलावा इसे बनाने के लिए गम, रबिंग, एडिबल कलर और सीड्स का इस्तेमाल करके इसकी कुल लागत छह रुपये पचास पैसे के करीब बैठती है, जिसे मार्केट में वह 10 रुपये की बेच रहे हैं. फिलहाल इसे कालेज और पर्यावरण प्रदर्शनी में बेचा जा रहा है.

सुनील कुमार स्टार्टअप के लिए मिला सम्मान
सुनील कुमार स्टार्टअप के लिए मिला सम्मान

नोटबुक के कवर में सूरजमुखी और तुलसी के बीज
ईको ड्रा द्वारा बनाई गई नोटबुक को रिसाइकिल न्यूजपेपर के पल्प से तैयार किया गया है. इसके कवर में सूरजमुखी और तुलसी का बीज इस्तेमाल किया गया है ताकि नोटबुक भर जाने के बाद यह भी पर्यावरण में मिल जाए. हर नोटबुक में यह बताया गया है कि कैसे वह इसे अगर मिट्टी में मिला देते हैं तो वह सूरजमुखी और तुलसी के पौधे लग जाएगा.

टूथब्रश और कंघी बनाने पर कर रहे हैं विचार
ईको ड्रा के को फाउंडर शुभम सिन्हा बताते हैं कि वह कागज की मदद से टूथब्रश और कंघी बनाने पर विचार कर रहे हैं. अभी जिस गम के साथ वह पेन और पेंसिल बना रहे हैं, उसकी मजबूती अच्छी है और इसी के साथ वह अन्य उत्पाद बना सकते हैं. उन्होंने बताया कि जानवर और इंसान का जीवन पेड़ पर निर्भर है. इसलिए हमारा उद्देश्य है कि हम पेड़ को कटने से रोकें.

ये भी पढ़ेंः Biodegradable Sanitary Pads: एग्रो वेस्ट से तैयार किया बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी पैड, पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद

ये भी पढ़ेंः Cloth made from plants: रायपुर में पौधों से कपड़ा तैयार, बिना AC गर्मी में भी आपको रखेगा ठंडा, जानिए इसकी खासियत

ये भी पढ़ेंः बेमिसाल : 90 की उम्र में देखा आत्मनिर्भर बनने का सपना, 94 की उम्र में कमा रहीं डेढ़ लाख महीना

ईको ड्रा स्टार्टअप के संस्थापक से बातचीत

नई दिल्ली: आजकल अपना भविष्य बचाने के लिए हमें पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए कहा जा रहा है. लेकिन सबसे दुखद बात यह है कि यह सिर्फ किताबों में ही रह गया है. हम अपने पर्यावरण की रक्षा करने में मदद नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसे नष्ट कर रहे हैं. पर्यावरण को बचाने में सबसे अहम भूमिका पेड़ों की है. इसके महत्व को समझते हुए दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च विश्वविद्यालय (डीपीएसआरयू) के एलाइड हेल्थ साइंस विभाग के दो फैकल्टी सदस्य ने एक स्टार्टअप की शुरुआत की है.

इस स्टार्टअप के तहत छात्र कबाड़ में बेचे जाने वाले पेपर और सब्जी के बीज और सर्टिफाइड गम, जिलेटिन की मदद से पेंसिल, नोटबुक, पेन और फाइल फोल्डर बना रहे हैं. हाल ही में विश्वविद्यालय में आयोजित हुए स्टार्टअप कान्क्लेव में सुनील कुमार और शुभम सिन्हा के इस आइडिया को काफी सराहा गया था. इस स्टार्टअप का नाम ईको ड्रा रखा गया है. इसके फाउंडर सुनील का कहना है कि प्रतिवर्ष करीब 200 करोड़ पेंसिल बनाने के लिए लगभग पांच लाख 82 हजार पेड़ काटे जाते हैं. इससे पर्यावरण का काफी नुकसान हो रहा है. लेकिन हमारे द्वारा बनाए गए पेंसिल प्रकृति के साथ गिव एंड टेक नियम का पालन करते हैं. पेंसिल के पीछे तुलसी, सूरजमुखी, बैंगन, टमाटर और हरी धनिया के बीज लगाए गए हैं. पेंसिल खत्म होने पर इन बीज को मिट्टी या गमले में डाल दिया जाए तो पौधे उग जाते हैं.

ईटीवी भारत GFX
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दोनों साथी एक साल से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. फंड न होने के चलते उन्होंने प्लास्टिक की बजाय रद्दी पेपर को पुन: इस्तेमाल करने का सोचा. इसके बाद दोनों ने न्यूजपेपर के कागज से पेंसिल बनाई लेकिन इन पेंसिल में हार्डनेस की कमी थी. इसके लिए उन्होंने डाक्टर सर्टिफाइड गम का इस्तेमाल किया, जिससे लिखते समय अगर बच्चा इसे खा भी ले तो उसे कोई नुकसान न हो.

एक न्यूजपेपर से 20 पेंसिल बना रहे हैं सुनील
सुनील बताते हैं कि ईको ड्रा द्वारा बनाई गई पेंसिल की लंबाई सात इंच है. ऐसे में वह पांच रुपये के एक न्यूजपेपर से करीब 20 पेंसिल बनाते है. इसके अलावा इसे बनाने के लिए गम, रबिंग, एडिबल कलर और सीड्स का इस्तेमाल करके इसकी कुल लागत छह रुपये पचास पैसे के करीब बैठती है, जिसे मार्केट में वह 10 रुपये की बेच रहे हैं. फिलहाल इसे कालेज और पर्यावरण प्रदर्शनी में बेचा जा रहा है.

सुनील कुमार स्टार्टअप के लिए मिला सम्मान
सुनील कुमार स्टार्टअप के लिए मिला सम्मान

नोटबुक के कवर में सूरजमुखी और तुलसी के बीज
ईको ड्रा द्वारा बनाई गई नोटबुक को रिसाइकिल न्यूजपेपर के पल्प से तैयार किया गया है. इसके कवर में सूरजमुखी और तुलसी का बीज इस्तेमाल किया गया है ताकि नोटबुक भर जाने के बाद यह भी पर्यावरण में मिल जाए. हर नोटबुक में यह बताया गया है कि कैसे वह इसे अगर मिट्टी में मिला देते हैं तो वह सूरजमुखी और तुलसी के पौधे लग जाएगा.

टूथब्रश और कंघी बनाने पर कर रहे हैं विचार
ईको ड्रा के को फाउंडर शुभम सिन्हा बताते हैं कि वह कागज की मदद से टूथब्रश और कंघी बनाने पर विचार कर रहे हैं. अभी जिस गम के साथ वह पेन और पेंसिल बना रहे हैं, उसकी मजबूती अच्छी है और इसी के साथ वह अन्य उत्पाद बना सकते हैं. उन्होंने बताया कि जानवर और इंसान का जीवन पेड़ पर निर्भर है. इसलिए हमारा उद्देश्य है कि हम पेड़ को कटने से रोकें.

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Last Updated : Jun 23, 2023, 5:40 PM IST
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