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वंशजों को राजनीति से क्यों दूर रखते थे पटेल ?

भारत के लौह पुरुष की उपाधि लेने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन के बारे में पिछले कुछ सालों में कई अफवाहें फैलाई गई हैं. जबकि उसके पीछे की सच्चाई क्या है देखे ये खास रिपोर्ट...

Special report on why did sardar Vallabhbhai Patel keep descendants away from politics
सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन से संबंधित तथ्य
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Published : Dec 16, 2020, 10:26 AM IST

नई दिल्ली: भारत के अलग-अलग टुकड़ों को संजोने की हिम्मत, ताकत और जज्बा दिखाकर लौह पुरुष की उपाधि लेने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि पूरा देश मना रहा है. वहीं सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन से जुड़ी एक रोचक जो अब तक कही जाती है कि वह अपने परिवार को राजनीति से दूर रखना चाहते थे. यहां तक की उन्होंने यह भी कह दिया था कि जब तक वह दिल्ली में हैं, तब तक उनके परिवार के सदस्य दिल्ली में कदम नहीं रखेंगे.

सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन से संबंधित तथ्य

इस बात में कितनी सच्चाई थी इसका पता लगाया ईटीवी भारत ने और इस मसले पर बात की जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इतिहास के प्रोफेसर जावेद आलम से जिन्होंने इसे महज एक अफवाह करार दिया. उन्होंने कहा कि ऐसे कई साक्ष्य मौजूद हैं जो बताते हैं कि सरदार वल्लभभाई पटेल के राजनीतिक जीवन में उनके बच्चों का साथ उन्हें बराबर मिला. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उनकी बेटी मणि बेन पटेल परछाई की तरह उनके साथ ही रहीं. साथ ही उनके बेटे दहिया भाई पटेल भी मुंबई में 18 साल तक बॉम्बे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के सदस्य रहकर राजनीति में सक्रिय रहे.


बच्चों को राजनीति से दूर रखने की बाद महज़ अफवाह

वहीं जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इतिहास के प्रोफेसर जावेद आलम ने बताया कि सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन को लेकर पिछले कुछ सालों में कई अफवाहें फैलाई गई हैं, जिन्हें दूर करने का कभी प्रयास ही नहीं किया गया. जिसमें से सबसे बड़ी अफवाह तो यही है कि उन्होंने अपने बच्चों को कभी भी अपने साथ नहीं रखा. उन्होंने बताया कि यह बात पूरी तरह से गलत है क्योंकि उनकी बेटी मणि बहन पटेल परछाई की तरह उनके साथ रही थी, जबकि उनके बेटे दहिया भाई पटेल 1938 से ही मुंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के सदस्य रहे और 18 साल तक वहां की राजनीतिक मसलों में काफी सक्रिय रहे. साथ ही उन्होंने बताया कि राजनीतिक जीवन से लेकर निजी जीवन में भी सरदार पटेल समय-समय पर बच्चों को जरूरी सलाह दिया करते थे.



सरदार पटेल के राजनीतिक गुणों को उनके बच्चों ने भी अपनाया है

वहीं प्रोफेसर आलम ने कहा कि सरदार पटेल द्वारा कही बात 'जब तक मैं दिल्ली हूं तुम दिल्ली में कदम नहीं रखोगे' जो कि उन्होंने बच्चों को कही थी, उसे बहुत बढ़ा चढ़ाकर बिना उसका तथ्य जाने पेश किया गया. जबकि हकीकत तो यह थी कि सरदार पटेल कभी नहीं चाहते थे कि उनके नाम का या उनके पद का दुरुपयोग हो या कोई उससे जबरन लाभ उठाने की कोशिश करे. यही कारण था कि वह इस तरह की हिदायत दिया करते थे. उन्होंने कहा कि कई ऐसी तस्वीरें हैं जहां पर सरदार पटेल अपनी बेटी अपने बेटे के बच्चों के साथ नजर आते हैं जो फ़ोटो आर्काइव में आज भी सुरक्षित रखी है. उन्होंने कहा कि उनके बच्चों ने उनके राजनीतिक गुण को पूरी तरह से अपनाया है.

नई दिल्ली: भारत के अलग-अलग टुकड़ों को संजोने की हिम्मत, ताकत और जज्बा दिखाकर लौह पुरुष की उपाधि लेने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि पूरा देश मना रहा है. वहीं सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन से जुड़ी एक रोचक जो अब तक कही जाती है कि वह अपने परिवार को राजनीति से दूर रखना चाहते थे. यहां तक की उन्होंने यह भी कह दिया था कि जब तक वह दिल्ली में हैं, तब तक उनके परिवार के सदस्य दिल्ली में कदम नहीं रखेंगे.

सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन से संबंधित तथ्य

इस बात में कितनी सच्चाई थी इसका पता लगाया ईटीवी भारत ने और इस मसले पर बात की जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इतिहास के प्रोफेसर जावेद आलम से जिन्होंने इसे महज एक अफवाह करार दिया. उन्होंने कहा कि ऐसे कई साक्ष्य मौजूद हैं जो बताते हैं कि सरदार वल्लभभाई पटेल के राजनीतिक जीवन में उनके बच्चों का साथ उन्हें बराबर मिला. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उनकी बेटी मणि बेन पटेल परछाई की तरह उनके साथ ही रहीं. साथ ही उनके बेटे दहिया भाई पटेल भी मुंबई में 18 साल तक बॉम्बे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के सदस्य रहकर राजनीति में सक्रिय रहे.


बच्चों को राजनीति से दूर रखने की बाद महज़ अफवाह

वहीं जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इतिहास के प्रोफेसर जावेद आलम ने बताया कि सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन को लेकर पिछले कुछ सालों में कई अफवाहें फैलाई गई हैं, जिन्हें दूर करने का कभी प्रयास ही नहीं किया गया. जिसमें से सबसे बड़ी अफवाह तो यही है कि उन्होंने अपने बच्चों को कभी भी अपने साथ नहीं रखा. उन्होंने बताया कि यह बात पूरी तरह से गलत है क्योंकि उनकी बेटी मणि बहन पटेल परछाई की तरह उनके साथ रही थी, जबकि उनके बेटे दहिया भाई पटेल 1938 से ही मुंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के सदस्य रहे और 18 साल तक वहां की राजनीतिक मसलों में काफी सक्रिय रहे. साथ ही उन्होंने बताया कि राजनीतिक जीवन से लेकर निजी जीवन में भी सरदार पटेल समय-समय पर बच्चों को जरूरी सलाह दिया करते थे.



सरदार पटेल के राजनीतिक गुणों को उनके बच्चों ने भी अपनाया है

वहीं प्रोफेसर आलम ने कहा कि सरदार पटेल द्वारा कही बात 'जब तक मैं दिल्ली हूं तुम दिल्ली में कदम नहीं रखोगे' जो कि उन्होंने बच्चों को कही थी, उसे बहुत बढ़ा चढ़ाकर बिना उसका तथ्य जाने पेश किया गया. जबकि हकीकत तो यह थी कि सरदार पटेल कभी नहीं चाहते थे कि उनके नाम का या उनके पद का दुरुपयोग हो या कोई उससे जबरन लाभ उठाने की कोशिश करे. यही कारण था कि वह इस तरह की हिदायत दिया करते थे. उन्होंने कहा कि कई ऐसी तस्वीरें हैं जहां पर सरदार पटेल अपनी बेटी अपने बेटे के बच्चों के साथ नजर आते हैं जो फ़ोटो आर्काइव में आज भी सुरक्षित रखी है. उन्होंने कहा कि उनके बच्चों ने उनके राजनीतिक गुण को पूरी तरह से अपनाया है.

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