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स्पेशल रिपोर्ट: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में क्या है पीने के पानी की व्यवस्था ?

दिल्ली सरकार समेत एमसीडी और केंद्र सरकार के अंडर आने वाले हजारों स्कूल में लाखों छात्र पढ़ते हैं, लेकिन क्या सभी छात्रों को स्कूलों में पीने के पानी समेत बुनियादी सुविधाएं मिल पाती हैं. देखिए खास रिपोर्ट...

Special report on other basic facilities including drinking water in government schools of Delhi
स्कूलों में पीने के पानी समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं को लेकर खास रिपोर्ट
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Published : Oct 20, 2020, 5:29 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में फिलहाल कोरोना वायरस के चलते सभी स्कूल कॉलेज इंस्टीट्यूट बंद है, लेकिन इसी बीच सवाल यह उठता है कि क्या राजधानी दिल्ली में आज आजादी के 70 साल बाद भी सभी स्कूलों में पीने के पानी समेत अन्य बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने छात्रों, उनके माता-पिता और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों से बात की.

स्पेशल रिपोर्ट.

दो शिफ्ट में चलने वाले स्कूलों में पानी की परेशानी

दिल्ली के सरकारी स्कूलों के टीचर्स एसोसिएशन के डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी संतराम ने कहा कि हालांकि मौजूदा समय में दिल्ली के सरकारी स्कूलों की स्थिति पहले से बेहतर हुई है, लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि हालात बिल्कुल सुधर गए हैं.

उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों में दो शिफ्ट में स्कूल चलते हैं यानी कि सुबह के समय छात्राएं और दोपहर में छात्र पढ़ने के लिए आते हैं. ऐसे में वहां पर पीने के पानी की कमी देखने को मिलती है. क्योंकि दोपहर में दूसरी शिफ्ट में जब छात्र आते हैं, तो पानी खत्म हो जाता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कई स्कूलों में वाटर कूलर लगाए गए हैं, लेकिन स्कूल की बिल्डिंग के सभी फ्लोर पर यह वाटर कूलर नहीं लगे हैं. जिसके कारण छात्रों को पीने के पानी के लिए परेशानी होती है.

15 सौ से ज्यादा एक ही स्कूल में पढ़ते हैं छात्र

संतराम ने कहा कि जो आरओ और वाटर कूलर स्कूलों में लगाए जाते हैं, उनकी सर्विसिंग नहीं हो पाती है. जिसके चलते वह खराब हो जाते हैं और गंदा पानी देने लगते हैं. यदि एक स्कूल में 15 सौ से ज्यादा छात्र हैं और केवल आधे घंटे का लंच ब्रेक होता है, उस समय एक ही वाटर कूलर से इतने सारे बच्चे पानी नहीं पी पाते.

पहले स्कूल में नहीं थी पीने के पानी की सुविधा

इसके साथ ही गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल नंबर 3 कालकाजी में पढ़ने वाली दसवीं क्लास की छात्रा सोनम ने कहा कि कुछ साल पहले स्कूल झोपड़ी से बिल्डिंग में तब्दील हुआ है. अब पानी की सुविधा है, लेकिन पहले स्कूल में पीने के पानी की कोई सुविधा नहीं थी. जिसके लिए हमें घर से ही दो दो पानी की बोतल भर कर ले जानी पड़ती थी, क्योंकि एक पानी की बोतल खत्म हो जाती थी, ऐसे में बच्चों को पानी के लिए बहुत परेशान होना पड़ता था, इसके अलावा दक्षिण दिल्ली स्थित रानी झांसी स्कूल की नौवीं क्लास की छात्रा सोनिया ने कहा कि उनके स्कूल में पीने के पानी के लिए आरओ लगा हुआ है, लेकिन कई बार उसमें पानी नहीं आता है, ऐसे में घर से पानी लेकर जाना पड़ता है.

पहले से बेहतर हुए हैं सरकारी स्कूलों के हालात

इसके अलावा अभिभावक शेर सिंह ने कहा कि उनके बच्चे दक्षिणी दिल्ली स्थित गोविंदपुरी के एमसीडी स्कूल में पढ़ते थे. जहां पर बच्चों को कई बार गंदा पानी पीने के लिए मिलता था. हालांकि अभी उनके बच्चे उस स्कूल में नहीं पड़ते हैं और शायद स्कूल में भी स्थिति बेहतर हो गई है. दिल्ली सरकार की तरफ से भी कई स्कूलों में व्यवस्था की गई है, लेकिन अभी भी सभी स्कूलों में पीने के पानी को लेकर इंतजाम सही नहीं है.

दिल्ली में हजारों स्कूल में लाखों छात्र

बता दें कि राजधानी दिल्ली में दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले 1000 से ज्यादा स्कूल है. इसके अलावा एमसीडी के अंतर्गत आने वाले स्कूलों की संख्या 1700 है. वहीं एनडीएमसी के अंतर्गत 68 स्कूल है और केंद्रीय विद्यालय 46 है. इन सभी स्कूलों में मिलाकर लाखों बच्चे स्कूलों में पढ़ते हैं. जिनके लिए पीने के पानी समेत कई बुनियादी सुविधाओं की उन्हें रोजाना आवश्यकता होती है, लेकिन अगर स्थिति पर गौर किया जाए तो आज भी हर बच्चे को वह बुनियादी सुविधा नहीं मिल पाती हैं जिसके लह हकदार हैं.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में फिलहाल कोरोना वायरस के चलते सभी स्कूल कॉलेज इंस्टीट्यूट बंद है, लेकिन इसी बीच सवाल यह उठता है कि क्या राजधानी दिल्ली में आज आजादी के 70 साल बाद भी सभी स्कूलों में पीने के पानी समेत अन्य बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने छात्रों, उनके माता-पिता और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों से बात की.

स्पेशल रिपोर्ट.

दो शिफ्ट में चलने वाले स्कूलों में पानी की परेशानी

दिल्ली के सरकारी स्कूलों के टीचर्स एसोसिएशन के डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी संतराम ने कहा कि हालांकि मौजूदा समय में दिल्ली के सरकारी स्कूलों की स्थिति पहले से बेहतर हुई है, लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि हालात बिल्कुल सुधर गए हैं.

उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों में दो शिफ्ट में स्कूल चलते हैं यानी कि सुबह के समय छात्राएं और दोपहर में छात्र पढ़ने के लिए आते हैं. ऐसे में वहां पर पीने के पानी की कमी देखने को मिलती है. क्योंकि दोपहर में दूसरी शिफ्ट में जब छात्र आते हैं, तो पानी खत्म हो जाता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कई स्कूलों में वाटर कूलर लगाए गए हैं, लेकिन स्कूल की बिल्डिंग के सभी फ्लोर पर यह वाटर कूलर नहीं लगे हैं. जिसके कारण छात्रों को पीने के पानी के लिए परेशानी होती है.

15 सौ से ज्यादा एक ही स्कूल में पढ़ते हैं छात्र

संतराम ने कहा कि जो आरओ और वाटर कूलर स्कूलों में लगाए जाते हैं, उनकी सर्विसिंग नहीं हो पाती है. जिसके चलते वह खराब हो जाते हैं और गंदा पानी देने लगते हैं. यदि एक स्कूल में 15 सौ से ज्यादा छात्र हैं और केवल आधे घंटे का लंच ब्रेक होता है, उस समय एक ही वाटर कूलर से इतने सारे बच्चे पानी नहीं पी पाते.

पहले स्कूल में नहीं थी पीने के पानी की सुविधा

इसके साथ ही गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल नंबर 3 कालकाजी में पढ़ने वाली दसवीं क्लास की छात्रा सोनम ने कहा कि कुछ साल पहले स्कूल झोपड़ी से बिल्डिंग में तब्दील हुआ है. अब पानी की सुविधा है, लेकिन पहले स्कूल में पीने के पानी की कोई सुविधा नहीं थी. जिसके लिए हमें घर से ही दो दो पानी की बोतल भर कर ले जानी पड़ती थी, क्योंकि एक पानी की बोतल खत्म हो जाती थी, ऐसे में बच्चों को पानी के लिए बहुत परेशान होना पड़ता था, इसके अलावा दक्षिण दिल्ली स्थित रानी झांसी स्कूल की नौवीं क्लास की छात्रा सोनिया ने कहा कि उनके स्कूल में पीने के पानी के लिए आरओ लगा हुआ है, लेकिन कई बार उसमें पानी नहीं आता है, ऐसे में घर से पानी लेकर जाना पड़ता है.

पहले से बेहतर हुए हैं सरकारी स्कूलों के हालात

इसके अलावा अभिभावक शेर सिंह ने कहा कि उनके बच्चे दक्षिणी दिल्ली स्थित गोविंदपुरी के एमसीडी स्कूल में पढ़ते थे. जहां पर बच्चों को कई बार गंदा पानी पीने के लिए मिलता था. हालांकि अभी उनके बच्चे उस स्कूल में नहीं पड़ते हैं और शायद स्कूल में भी स्थिति बेहतर हो गई है. दिल्ली सरकार की तरफ से भी कई स्कूलों में व्यवस्था की गई है, लेकिन अभी भी सभी स्कूलों में पीने के पानी को लेकर इंतजाम सही नहीं है.

दिल्ली में हजारों स्कूल में लाखों छात्र

बता दें कि राजधानी दिल्ली में दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले 1000 से ज्यादा स्कूल है. इसके अलावा एमसीडी के अंतर्गत आने वाले स्कूलों की संख्या 1700 है. वहीं एनडीएमसी के अंतर्गत 68 स्कूल है और केंद्रीय विद्यालय 46 है. इन सभी स्कूलों में मिलाकर लाखों बच्चे स्कूलों में पढ़ते हैं. जिनके लिए पीने के पानी समेत कई बुनियादी सुविधाओं की उन्हें रोजाना आवश्यकता होती है, लेकिन अगर स्थिति पर गौर किया जाए तो आज भी हर बच्चे को वह बुनियादी सुविधा नहीं मिल पाती हैं जिसके लह हकदार हैं.

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