नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस के ऑपरेशन मिलाप के तहत आउट ऑफ टाउन प्रमोशन पाने वाली एएसआई सीमा ढाका ने आज ये साबित कर दिखाया है कि अगर इरादे पक्के हों तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता. हेड कॉन्स्टेबल से असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर बनीं सीमा ढाका ने 75 दिनों में 76 गुमशुदा बच्चों को उनके परिवार से मिलाया है.
दिल्ली पुलिस कमिश्नर द्वारा चलाई गई थी मुहिम
Etv भारत से खास बातचीत में एएसआई सीमा ढाका ने बताया कि राजधानी दिल्ली में ही लापता बच्चों को उनके परिवार से मिलाने के लिए दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव द्वारा यह ऑपरेशन चलाया गया था, जिसके अंतर्गत उन्होंने हमें निर्देश दिया कि हम बिछड़े बच्चों को उनके माता-पिता से मिलाएं. इसी मुहिम के साथ जुड़कर उन्होंने 75 दिनों में 76 गुमशुदा बच्चों की खोज की.
6 लोगों की टीम के साथ मिलकर बच्चों को ढूंढ निकाला
उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्हें अपने डिपार्टमेंट से पूरी सहायता मिली और समय पुर बादली थाने के एसएचओ द्वारा भी उन्हें 6 लोगों की टीम दी गई, जिनके साथ मिलकर दिन रात एक कर उन्होंने इन बच्चों को ढूंढ निकाला. उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे हमें गुमशुदा बच्चे मिलते गए, वैसे वैसे उन्हें खुद पर और विश्वास होने लगा और इस ऑपरेशन को आगे बढ़ाया.
मोबाइल फोन से किया अधिकतर बच्चों को ट्रेस
सीमा ढाका ने बताया इस पूरे ऑपरेशन के दौरान उन्हें तकनीक की सहायता से बच्चों को ट्रेस करने में बेहद मदद मिली. उन्होंने अधिकतर बच्चे मोबाइल फोन के जरिए ट्रेस किए. अलग-अलग नंबरों से उन्होंने कई बार कस्टमर केयर एजेंट बनकर लोगों से बात की और जानकारी हासिल की.
परिवार की ओर से भी मिला पूरा सहयोग
33 साल की सीमा ढाका उत्तर प्रदेश के शामली से हैं. उन्होंने बताया कि उनके परिवार में पुलिस की नौकरी में कोई नहीं है, वह पहली ऐसी सख्स हैं जिन्होंने पुलिस में नौकरी ज्वाइन की. हालांकि उनके ससुराल में अधिकतर लोग दिल्ली पुलिस में हैं. उन्होंने कहा कि जब यह जिम्मेदारी उन्हें दी गई तो परिवार की तरफ से भी उन्हें पूरा सहयोग मिला.
दूसरे राज्यों से भी सहयोग के लिए आ रहे फोन
एएसआई सीमा ढाका ने कहा कि उनका यह मिशन यही नहीं रुकेगा. वह इसी कड़ी में आगे बढ़ेंगी. और अन्य और गुमशुदा बच्चों को उनके परिवार से मिलाने की कोशिश करेंगी.
उन्होंने कहा कि इस काम के बाद जो कामयाबी मिली है,जिससे उन्हें एक पहचान जरूर मिली है दूसरे राज्यों से भी उन्हें फोन आ रहे हैं. जिसके बाद वह इस जिम्मेदारी को और भी बखूबी से निभाने के लिए तैयार है.