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Special Interview: NSD के छात्र से लेकर स्थायी निदेशक बनने तक का सफर, जानिए सुप्रसिद्ध कलाकार चितरंजन त्रिपाठी की सफलता की कहानी

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी प्रतिष्ठित, एनएसडी के पूर्व छात्र रह चुके हैं. साल 2007 में अपनी फिल्म 'धौली एक्सप्रेस' के साथ ओडिया फिल्म उद्योग में आए. साथ ही उन्होंने उड़िया और हिंदी फिल्मों में काम करते हुए कई हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों में अभिनय और निर्देशन किया है. ETV भारत से उन्होंने खास बातचीत की. आइये जानते हैं उनके सफर के बारे में.... Special Conversation with actor Chittaranjan Tripathi, National School of Drama

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 3, 2023, 2:32 PM IST

चितरंजन त्रिपाठी की सफलता की कहानी

नई दिल्ली: एक कुशल निर्देशक, लेखक, अभिनेता और संगीतकार चितरंजन त्रिपाठी को कुछ ही समय पहले राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) का स्थायी निदेशक नियुक्त किया गया. करीब 5 साल तक यह पद खाली पड़ा था. त्रिपाठी की नियुक्त से NSD को काफी उम्मीद है. वहीं, उनका कहना है कि वे हॉस्टल और बिल्डिंग में सुधार को लेकर काम करेंगे. वर्तमान में NSD में 30 सीट हैं आने वाले साल में इसे बढ़ाया जाएगा. 'ETV भारत' से खास बातचीत के दौरान उन्होंने कई अहम जानकारी दी. आइए जानतें हैं NSD में निदेशक के पद पर नियुक्ति के बाद वह क्या खास करेंगे?

सवाल : वेब सीरीज की दुनिया में लोगों के नाम में से स्टार फेम की चाह को कुछ कम किया है?

जवाब : देखिए, सभी अभिनेता स्टार फेम की चाह लेकर नहीं घूमते हैं. उनको लगता है जो भी उनके अंदर काबिलियत है उसको कैसे लोगों तक पहुंचाया जाये? वेब सीरीज जिसको ओवर-द-टॉप (OTT) भी कहा जाता है. लोगों तक अपनी बात पहुंचने के लिए OTT एक बहुत बड़ा माध्यम है, क्योंकि इसको लोग अपनी सुविधा के मुताबिक कभी भी कहीं भी देख सकते हैं. ये मोबाइल, लैपटॉप और स्मार्ट टीवी पर उपलब्ध है. वेब सीरीज को आप कहीं भी काम करते हुए भी देख सकते हैं. OTT बड़े पैमाने तक आसानी से लोगों तक पहुंचने का बेहतरीन माध्यम है. यह कलाकारों के लिए बहुत अच्छी बात है कि वे इससे कलाकार अपनी काबिलियत को आसानी से लोगों तक पंहुचा पा रहे हैं. एक अभिनेता होने के कारण मुझे लगता है कि OTT के आने से कलाकारों, लेखकों, क्रू में काम करने वाले लोगों के काम बढ़ा है. सब से बड़ी बात है कि OTT के माध्यम से लोगों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है.

NSD में नाटक का मंचन
NSD में नाटक का मंचन

सवाल: सोशल मीडिया और शार्ट्स-रील्स की दुनिया ने हर किसी को स्टार बना दिया है. आपको क्या लगता है उनका भविष्य कैसा है?

जवाब: इसमें ज्यादातर नई पीढ़ी के युवा बच्चे शामिल हैं और अब मैं बच्चा नहीं रहा. लेकिन मेरा मानना है, जो लोग रील के जरिये नाम, काम और पैसा कमा रहे हैं, जब तक वो समाज में कोई बाधा या नकारात्मकता न फैलाएं, तब तक ठीक है. जिनके पास रील बनाने का हुनर है, अगर वह सकारात्मक वातावरण में सकारात्मक मनोरंजन जनता के लिए परोस रहे हैं, जिससे उनको फेम और पैसा भी मिल रहा है तो यह अच्छी बात है.

सवाल : NSD में निदेशक के पद पर नियुक्ति के बाद क्या कुछ खास बदलाव किए जायेंगे?

जवाब : इसको कैसे किया जायेगा ये बताना मुश्किल है, क्योंकि NSD केवल एक गतिविधि तक सीमित नहीं है. NSD की कई नई शाखाएं हैं, प्रदर्शनों की सूची है, बहुत बड़ी स्टूडेंट कम्युनिटी है, जहां हमेशा रंग मंच का अभ्यास होता रहता है. इन सभी को एकीकृत करके इसको आधुनिकता और विज्ञान का आधार देते हुए बढ़ाना मुख्य उद्देश्य है.

NSD में नाटक कर रहे बाल कलाकार
NSD में नाटक कर रहे बाल कलाकार

सवाल: पहले जो NSD के निदेशक थे उन्होंने NSD की बिल्डिंग और हॉस्टल के पुनर्निर्माण की बात कही थी. क्या आपके कार्यकाल में नए ढांचे का निर्माण हो पायेगा?

जवाब: NSD के पूर्व निदेशक बिल्डिंग और हॉस्टल के पुनर्निर्माण को लेकर जो भी बात कही, उसकी मुझे जानकारी नहीं है. मैंने उनका वक्तव्य नहीं सुना है. हां, NSD की प्लानिंग में यह शामिल जरूर है कि हॉस्टल और बिल्डिंग का सुधार किया जायेगा. इसको एक सही दिशा और गति में आगे बढ़ाया जा रहा है. जब होगा, जो भी होगा, बेस्ट होगा.

सवाल: आपके NSD के निदेशक बनने के बाद यहां के छात्रों को कितनी खुशी है?

जवाब: स्टूडेंट, स्टाफ और आर्टिस्ट सभी ने बहुत खुले दिल से मेरा स्वागत किया. यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि अगर में अपने मदर इंस्टीट्यूट में निदेशक के पद पर हूं. इसके विकास के लिए सबका हाथ और सब का साथ बहुत जरुरी है. मुझे लगता है हम सभी लोग मिलकर इसको आगे बढ़ा सकते हैं.

यह भी पढ़ें- Special Interview: घर का खाना खाएं, तभी रहेगा फिट इंडिया, पढ़ें सिंगर दलेर मेहंदी से खास बातचीत

सवाल: नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में स्टूडेंट सीट की लिमिट कब तक बढ़ेगी?

जवाब : NSD में स्टूडेंट सीट को बढ़ाया जा रहा है. जब मैंने NSD से पढाई की थी, तब 20 सीट ही हुआ करती थी. धीरे धीरे इन सीट्स को बढ़ाया गया. लेकिन एक बात को ध्यान रखने की जरुरत है NSD कोई इतिहास की क्लास नहीं है, जहां एक साथ 100 बच्चों को पढ़ाया जा सके. रंगमंच ऐसी कला है, जिसमें व्यक्तिगत शिक्षा पर जोर दिया जाता है. रंगमंच में डांस, ड्रामा, साहित्य, दर्शन, बेसिक स्किल्स, आदि चीजें शामिल हैं. इन सभी को निखारने के लिए व्यक्तिगत अटेंशन की जरुरत होती है. अगर इसकी संख्या को बढ़ा दिया जायेगा, तो यह भी इतिहास की कक्षा बन जाएगी.

रंगमंच में अभ्यास आधारित शिक्षा का होना बहुत जरुरी है. अगर स्टूडेंट्स सीट को ज्यादा बढ़ा दिए जायेगा, तो उसके लिए बड़े इंफ्रस्ट्रचर की भी जरूरत होगी. इसके अलावा रंगमंच की शिक्षा देने वाले अनुभवी शिक्षकों की संख्या में भी इजाफा करना होगा. उसके लिए बड़ा बजट और अधिक स्टूडेंट्स की आवश्यकता होगी. हालांकि, जिस तरह से NSD धीरे धीरे स्टूडेंट सीट बढ़ाता आया है, उसी गति में आगे भी बढ़ाया जायेगा. वर्तमान में NSD में 30 सीट हैं. अगर लोग यह उम्मीद कर रहे हैं इस संख्या को अगले वर्ष तक 60 कर दिए जाये तो उपरोक्त पहलुओं को देखते हुए एक विस्तृत इंफ्रास्ट्रक्टर की जरुरत होगी. यह बिलकुल आसान काम नहीं हैं.

सवाल: क्या आज की जेनरेशन के बच्चों में रंगमंच की शिक्षा ग्रहण करने का रुझान है?

जवाब: हाँ बिलकुल, अगर ऐसा नहीं होता तो इतनी बड़ी संख्या में बच्चे NSD में एडमिशन लेने न आ रहे होते. बच्चों के अंदर आज भी रंग मंच के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाए का इंटरेस्ट है.

सवाल: बहुत से एक्टर्स काम नहीं मिलने से तनाव में आ जाते हैं. उनको क्या सलाह देते हैं?

जवाब: तनाव हमारे जीवन का हिस्सा है. इसको जीवन का एक हिस्सा समझ कर इसको बड़ा न बना कर सकारात्मकता के साथ उभारने की कोशिश करनी चाहिए. भगवत गीता में कहा गया है, 'कर्म करो और फल की इच्छा मत करोट. तो हमें अपना कर्म करना चाहिए न कि यह सोचना चाहिए रंग मंच में कितना रोल मिलेगा, कितने बड़े स्टार होंगे. यह सब फल है. मुख्य काम तो कार्य करना है, तो उसको करने की जरुरत है. हर व्यक्ति की जीवन में उठा पटक होती है. मेरा मानना है गीता के उपरोक्त सार से आधार पर ही जीवन को आगे बढ़ाना चाहिए.

यह भी पढ़ें- BJP leader Kapil Mishra special interview: कपिल मिश्रा बोले- जांच के तार सीएम केजरीवाल के घर तक, पढ़ें पूरा इंटरव्यू

चितरंजन त्रिपाठी की सफलता की कहानी

नई दिल्ली: एक कुशल निर्देशक, लेखक, अभिनेता और संगीतकार चितरंजन त्रिपाठी को कुछ ही समय पहले राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) का स्थायी निदेशक नियुक्त किया गया. करीब 5 साल तक यह पद खाली पड़ा था. त्रिपाठी की नियुक्त से NSD को काफी उम्मीद है. वहीं, उनका कहना है कि वे हॉस्टल और बिल्डिंग में सुधार को लेकर काम करेंगे. वर्तमान में NSD में 30 सीट हैं आने वाले साल में इसे बढ़ाया जाएगा. 'ETV भारत' से खास बातचीत के दौरान उन्होंने कई अहम जानकारी दी. आइए जानतें हैं NSD में निदेशक के पद पर नियुक्ति के बाद वह क्या खास करेंगे?

सवाल : वेब सीरीज की दुनिया में लोगों के नाम में से स्टार फेम की चाह को कुछ कम किया है?

जवाब : देखिए, सभी अभिनेता स्टार फेम की चाह लेकर नहीं घूमते हैं. उनको लगता है जो भी उनके अंदर काबिलियत है उसको कैसे लोगों तक पहुंचाया जाये? वेब सीरीज जिसको ओवर-द-टॉप (OTT) भी कहा जाता है. लोगों तक अपनी बात पहुंचने के लिए OTT एक बहुत बड़ा माध्यम है, क्योंकि इसको लोग अपनी सुविधा के मुताबिक कभी भी कहीं भी देख सकते हैं. ये मोबाइल, लैपटॉप और स्मार्ट टीवी पर उपलब्ध है. वेब सीरीज को आप कहीं भी काम करते हुए भी देख सकते हैं. OTT बड़े पैमाने तक आसानी से लोगों तक पहुंचने का बेहतरीन माध्यम है. यह कलाकारों के लिए बहुत अच्छी बात है कि वे इससे कलाकार अपनी काबिलियत को आसानी से लोगों तक पंहुचा पा रहे हैं. एक अभिनेता होने के कारण मुझे लगता है कि OTT के आने से कलाकारों, लेखकों, क्रू में काम करने वाले लोगों के काम बढ़ा है. सब से बड़ी बात है कि OTT के माध्यम से लोगों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है.

NSD में नाटक का मंचन
NSD में नाटक का मंचन

सवाल: सोशल मीडिया और शार्ट्स-रील्स की दुनिया ने हर किसी को स्टार बना दिया है. आपको क्या लगता है उनका भविष्य कैसा है?

जवाब: इसमें ज्यादातर नई पीढ़ी के युवा बच्चे शामिल हैं और अब मैं बच्चा नहीं रहा. लेकिन मेरा मानना है, जो लोग रील के जरिये नाम, काम और पैसा कमा रहे हैं, जब तक वो समाज में कोई बाधा या नकारात्मकता न फैलाएं, तब तक ठीक है. जिनके पास रील बनाने का हुनर है, अगर वह सकारात्मक वातावरण में सकारात्मक मनोरंजन जनता के लिए परोस रहे हैं, जिससे उनको फेम और पैसा भी मिल रहा है तो यह अच्छी बात है.

सवाल : NSD में निदेशक के पद पर नियुक्ति के बाद क्या कुछ खास बदलाव किए जायेंगे?

जवाब : इसको कैसे किया जायेगा ये बताना मुश्किल है, क्योंकि NSD केवल एक गतिविधि तक सीमित नहीं है. NSD की कई नई शाखाएं हैं, प्रदर्शनों की सूची है, बहुत बड़ी स्टूडेंट कम्युनिटी है, जहां हमेशा रंग मंच का अभ्यास होता रहता है. इन सभी को एकीकृत करके इसको आधुनिकता और विज्ञान का आधार देते हुए बढ़ाना मुख्य उद्देश्य है.

NSD में नाटक कर रहे बाल कलाकार
NSD में नाटक कर रहे बाल कलाकार

सवाल: पहले जो NSD के निदेशक थे उन्होंने NSD की बिल्डिंग और हॉस्टल के पुनर्निर्माण की बात कही थी. क्या आपके कार्यकाल में नए ढांचे का निर्माण हो पायेगा?

जवाब: NSD के पूर्व निदेशक बिल्डिंग और हॉस्टल के पुनर्निर्माण को लेकर जो भी बात कही, उसकी मुझे जानकारी नहीं है. मैंने उनका वक्तव्य नहीं सुना है. हां, NSD की प्लानिंग में यह शामिल जरूर है कि हॉस्टल और बिल्डिंग का सुधार किया जायेगा. इसको एक सही दिशा और गति में आगे बढ़ाया जा रहा है. जब होगा, जो भी होगा, बेस्ट होगा.

सवाल: आपके NSD के निदेशक बनने के बाद यहां के छात्रों को कितनी खुशी है?

जवाब: स्टूडेंट, स्टाफ और आर्टिस्ट सभी ने बहुत खुले दिल से मेरा स्वागत किया. यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि अगर में अपने मदर इंस्टीट्यूट में निदेशक के पद पर हूं. इसके विकास के लिए सबका हाथ और सब का साथ बहुत जरुरी है. मुझे लगता है हम सभी लोग मिलकर इसको आगे बढ़ा सकते हैं.

यह भी पढ़ें- Special Interview: घर का खाना खाएं, तभी रहेगा फिट इंडिया, पढ़ें सिंगर दलेर मेहंदी से खास बातचीत

सवाल: नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में स्टूडेंट सीट की लिमिट कब तक बढ़ेगी?

जवाब : NSD में स्टूडेंट सीट को बढ़ाया जा रहा है. जब मैंने NSD से पढाई की थी, तब 20 सीट ही हुआ करती थी. धीरे धीरे इन सीट्स को बढ़ाया गया. लेकिन एक बात को ध्यान रखने की जरुरत है NSD कोई इतिहास की क्लास नहीं है, जहां एक साथ 100 बच्चों को पढ़ाया जा सके. रंगमंच ऐसी कला है, जिसमें व्यक्तिगत शिक्षा पर जोर दिया जाता है. रंगमंच में डांस, ड्रामा, साहित्य, दर्शन, बेसिक स्किल्स, आदि चीजें शामिल हैं. इन सभी को निखारने के लिए व्यक्तिगत अटेंशन की जरुरत होती है. अगर इसकी संख्या को बढ़ा दिया जायेगा, तो यह भी इतिहास की कक्षा बन जाएगी.

रंगमंच में अभ्यास आधारित शिक्षा का होना बहुत जरुरी है. अगर स्टूडेंट्स सीट को ज्यादा बढ़ा दिए जायेगा, तो उसके लिए बड़े इंफ्रस्ट्रचर की भी जरूरत होगी. इसके अलावा रंगमंच की शिक्षा देने वाले अनुभवी शिक्षकों की संख्या में भी इजाफा करना होगा. उसके लिए बड़ा बजट और अधिक स्टूडेंट्स की आवश्यकता होगी. हालांकि, जिस तरह से NSD धीरे धीरे स्टूडेंट सीट बढ़ाता आया है, उसी गति में आगे भी बढ़ाया जायेगा. वर्तमान में NSD में 30 सीट हैं. अगर लोग यह उम्मीद कर रहे हैं इस संख्या को अगले वर्ष तक 60 कर दिए जाये तो उपरोक्त पहलुओं को देखते हुए एक विस्तृत इंफ्रास्ट्रक्टर की जरुरत होगी. यह बिलकुल आसान काम नहीं हैं.

सवाल: क्या आज की जेनरेशन के बच्चों में रंगमंच की शिक्षा ग्रहण करने का रुझान है?

जवाब: हाँ बिलकुल, अगर ऐसा नहीं होता तो इतनी बड़ी संख्या में बच्चे NSD में एडमिशन लेने न आ रहे होते. बच्चों के अंदर आज भी रंग मंच के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाए का इंटरेस्ट है.

सवाल: बहुत से एक्टर्स काम नहीं मिलने से तनाव में आ जाते हैं. उनको क्या सलाह देते हैं?

जवाब: तनाव हमारे जीवन का हिस्सा है. इसको जीवन का एक हिस्सा समझ कर इसको बड़ा न बना कर सकारात्मकता के साथ उभारने की कोशिश करनी चाहिए. भगवत गीता में कहा गया है, 'कर्म करो और फल की इच्छा मत करोट. तो हमें अपना कर्म करना चाहिए न कि यह सोचना चाहिए रंग मंच में कितना रोल मिलेगा, कितने बड़े स्टार होंगे. यह सब फल है. मुख्य काम तो कार्य करना है, तो उसको करने की जरुरत है. हर व्यक्ति की जीवन में उठा पटक होती है. मेरा मानना है गीता के उपरोक्त सार से आधार पर ही जीवन को आगे बढ़ाना चाहिए.

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