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मीटू पर बोलना अपराध नहीं: प्रिया रमानी - प्रिया रामानी मानहानि केस

राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान पत्रकार प्रिया रामानी ने कहा कि मीटू पर बोलना कोई अपराध नहीं है, बल्कि मीटू ने महिलाओं को बोलने के लिए एक प्लेटफार्म दिया है. बता दें कि पत्रकार प्रिया रामानी के खिलाफ पूर्व मंत्री एमजे अकबर ने मानहानि का मामला दर्ज किया हुआ है.

Priya Ramani
Priya Ramani
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Published : Dec 14, 2020, 8:11 PM IST

Updated : Dec 14, 2020, 9:12 PM IST

नई दिल्ली: पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से दायर मानहानि के मामले पर सुनवाई के दौरान पत्रकार प्रिया रमानी की ओर से कहा गया कि मीटू के बारे में बोलना अपराध नहीं है. बल्कि ये एक हिम्मत की बात है. प्रिया रमानी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय की कोर्ट से कहा कि इसके बारे में बोलकर किसी की मानहानि नहीं की गई है. मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी.



मीटू ने महिलाओं को एक प्लेटफार्म दिया

सुनवाई के दौरान रेबेका जॉन ने कहा कि वे ये मानती हैं कि मीटू ने महिलाओं को एक प्लेटफार्म दिया. यह अभियान 2018 में भारत आया. उन्होंने कहा कि मीटू पर बोलना अपराध नहीं है बल्कि यह एक हिम्मत की बात है. इन बातों के लिए किसी के खिलाफ अवमानना का मामला नहीं चलाया जाना चाहिए. कई महिलाओं ने इसके बारे में बोला है. जॉन ने कहा कि एमजे अकबर के बारे में कई महिलाओं ने बोला, उन्होंने कहा कि बचाव पक्ष की गवाह गजाला वहाब ने अपने बयान में कहा है कि उन्होंने प्रिया रमानी के पहले ही 6 अक्टूबर 2018 को ट्वीट किया था. जॉन ने कहा कि प्रिया रमानी ने जनता के हित में बोला है.

रमानी के पहले भी महिला पत्रकारों ने आरोप लगाए

पिछले 10 दिसंबर को सुनवाई के दौरान प्रिया रमानी की ओर से कहा गया था कि वे उच्च संपादकीय पदों पर रही हैं और उनकी प्रतिष्ठा भी एमजे अकबर की तरह है. रेबेका जॉन ने कहा था कि उनके बयानों को उनकी छवि के संदर्भ में देखा जाना चाहिए. जॉन ने कहा था कि अकबर ने कहा है कि रमानी के 8 अक्टूबर 2018 के ट्वीट के बाद बवाल मच गया. लेकिन इस ट्वीट के पहले भी कई युवा पत्रकारों ने अकबर के बारे में ट्वीट किया था. रमानी पहली नहीं थी. कुछ महिला पत्रकारों ने दूसरे लोगों के खिलाफ भी आरोप लगाए थे. जिनके खिलाफ आरोप लगे थे वे बड़े पदों पर हैं.

बीस साल छोटी महिला से रिलेशनशिप में थे अकबर

पिछले 5 दिसंबर को रेबेका जॉन ने कहा था कि अकबर ने 23 साल पहले एक महिला से सहमति पूर्वक अपने संबंधों को स्वीकार किया था. अकबर की पत्नी ने कहा था कि उस महिला के सार्वजनिक स्वीकृति के उनकी पारिवारिक जीवन तबाह हो गई है. उन्होंने कहा कि हमारा ये बताने का मतलब है कि इतनी अच्छी छवि का दावा करने वाले व्यक्ति ऐसा करेगा. आखिर वो बीस साल छोटी महिला के साथ रिलेशनशिप में कैसे हो सकते हैं. जॉन ने कहा कि अकबर को यह भी याद नहीं है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें अवमानना का दोषी पाया था. वो अब राजनीतिज्ञ हो गए हैं जो पहले पत्रकार थे.



2018 में दायर किया था मामला

एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था. 25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे.

नई दिल्ली: पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से दायर मानहानि के मामले पर सुनवाई के दौरान पत्रकार प्रिया रमानी की ओर से कहा गया कि मीटू के बारे में बोलना अपराध नहीं है. बल्कि ये एक हिम्मत की बात है. प्रिया रमानी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय की कोर्ट से कहा कि इसके बारे में बोलकर किसी की मानहानि नहीं की गई है. मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी.



मीटू ने महिलाओं को एक प्लेटफार्म दिया

सुनवाई के दौरान रेबेका जॉन ने कहा कि वे ये मानती हैं कि मीटू ने महिलाओं को एक प्लेटफार्म दिया. यह अभियान 2018 में भारत आया. उन्होंने कहा कि मीटू पर बोलना अपराध नहीं है बल्कि यह एक हिम्मत की बात है. इन बातों के लिए किसी के खिलाफ अवमानना का मामला नहीं चलाया जाना चाहिए. कई महिलाओं ने इसके बारे में बोला है. जॉन ने कहा कि एमजे अकबर के बारे में कई महिलाओं ने बोला, उन्होंने कहा कि बचाव पक्ष की गवाह गजाला वहाब ने अपने बयान में कहा है कि उन्होंने प्रिया रमानी के पहले ही 6 अक्टूबर 2018 को ट्वीट किया था. जॉन ने कहा कि प्रिया रमानी ने जनता के हित में बोला है.

रमानी के पहले भी महिला पत्रकारों ने आरोप लगाए

पिछले 10 दिसंबर को सुनवाई के दौरान प्रिया रमानी की ओर से कहा गया था कि वे उच्च संपादकीय पदों पर रही हैं और उनकी प्रतिष्ठा भी एमजे अकबर की तरह है. रेबेका जॉन ने कहा था कि उनके बयानों को उनकी छवि के संदर्भ में देखा जाना चाहिए. जॉन ने कहा था कि अकबर ने कहा है कि रमानी के 8 अक्टूबर 2018 के ट्वीट के बाद बवाल मच गया. लेकिन इस ट्वीट के पहले भी कई युवा पत्रकारों ने अकबर के बारे में ट्वीट किया था. रमानी पहली नहीं थी. कुछ महिला पत्रकारों ने दूसरे लोगों के खिलाफ भी आरोप लगाए थे. जिनके खिलाफ आरोप लगे थे वे बड़े पदों पर हैं.

बीस साल छोटी महिला से रिलेशनशिप में थे अकबर

पिछले 5 दिसंबर को रेबेका जॉन ने कहा था कि अकबर ने 23 साल पहले एक महिला से सहमति पूर्वक अपने संबंधों को स्वीकार किया था. अकबर की पत्नी ने कहा था कि उस महिला के सार्वजनिक स्वीकृति के उनकी पारिवारिक जीवन तबाह हो गई है. उन्होंने कहा कि हमारा ये बताने का मतलब है कि इतनी अच्छी छवि का दावा करने वाले व्यक्ति ऐसा करेगा. आखिर वो बीस साल छोटी महिला के साथ रिलेशनशिप में कैसे हो सकते हैं. जॉन ने कहा कि अकबर को यह भी याद नहीं है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें अवमानना का दोषी पाया था. वो अब राजनीतिज्ञ हो गए हैं जो पहले पत्रकार थे.



2018 में दायर किया था मामला

एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था. 25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे.

Last Updated : Dec 14, 2020, 9:12 PM IST
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