नई दिल्ली: दिल्ली के साकेत कोर्ट ने टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड मामले में चार दोषियों अमित शुक्ला, रवि कपूर, बलबीर मलिक और अजय कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. जबकि एक आरोपी अजय सेठी को तीन साल की सजा सुनाई है.
दरअसल, सौम्या विश्वनाथन के परिवार को न्याय के लिए कोर्ट के चक्कर काटते हुए 15 साल का समय बीत गया. आखिरकार, आज उनका न्याय के लिए वर्षों का इंतजार खत्म हुआ है. इस हत्याकांड का खुलासा करने में पुलिस को 6 महीने का समय लग गया था और सबूत पेश करने में 13 साल का वक्त.
सबूत पेश होने के बाद भी अरोपितों को दोषी ठहरने में 3 साल और लग गए. कुल 15 साल के दौरान इस मामले में 325 तारीखें पड़ी. इन तारीखों पर सुनवाई हुई और मामला आगे बढ़ता चला गया. आईए जानते हैं इस हत्याकांड की जांच की किस तरह शुरुआत हुई. किस तरह जांच आगे बढ़ी और एक अन्य हत्या के मामले में गिरफ्तार आरोपितों के कबूलनामे के बाद सौम्या विश्वनाथन की हत्या का खुलासा हुआ.
बता दें कि 30 सितंबर 2008 की सुबह पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की कार में घर लौटते समय गोली मार का हत्या कर दी गई थी. शुरुआत में पुलिस ने दावा किया था कि उनकी हत्या के पीछे का मकसद डकैती था. हालांकि, पुलिस ने पांच आरोपितों रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक, अजय कुमार और अजय शेट्टी को उनकी हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था.
मार्च 2009 से ही आरोपी पुलिस हिरासत में है. आरोपी बलजीत, रवि कपूर और अमित शुक्ला को पहले 2009 में आईटी एग्जीक्यूटिव जिगीषा घोष की हत्या में दोषी ठहराया गया था. पुलिस ने बताया था कि जिगिषा घोष की हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार की बारामदगी से ही विश्वनाथन की हत्या के मामले का पर्दाफाश हुआ था.