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सूर्यग्रहण आज, जानिए दिल्ली में प्रारंभ और समाप्त होने का समय

पंडित जयप्रकाश शास्त्री(Pandit Jayaprakash Shastri) बताते हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राहु-केतु जब सूर्य का ग्रहण करने वाले होते हैं तब सूर्य ग्रहण लगता है. सूर्य ग्रहण की यह कथा समुद्र मंथन से निकले अमृत के वितरण से जुड़ी हुई है. यह सूर्य ग्रहण देश के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा. दृक पंचांग के अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर, शाम 05:27 बजे से और समापन 25 अक्टूबर, शाम 4:18 बजे होगा. सूतक काल का प्रारंभ 25 अक्टूबर सुबह 3:17 बजे से और समापन शाम 05:42 बजे होगा.

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Published : Oct 25, 2022, 10:14 AM IST

नई दिल्ली: मंगलवार को सूर्यग्रहण लगने जा रहा है. यह आंशिक सूर्य ग्रहण है जो भारत के कई हिस्सों में दिखाई देगा. चंद्रमा जब सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो सूर्य ग्रहण लगता है. इस अवस्था में चंद्रमा सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता है. यह खंडग्रास सूर्य ग्रहण है. सूर्य ग्रहण में सूतक काल का विशेष महत्व होता है. मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण पर किसी भी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित हैं.

पंडित जयप्रकाश शास्त्री बताते हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राहु-केतु जब सूर्य का ग्रहण करने वाले होते हैं तब सूर्य ग्रहण लगता है. सूर्य ग्रहण की यह कथा समुद्र मंथन से निकले अमृत के वितरण से जुड़ी हुई है. यह सूर्य ग्रहण देश के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा. दृक पंचांग के अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर, शाम 05:27 बजे और समापन 25 अक्टूबर, शाम 4:18 बजे होगा. सूतक काल का प्रारंभ 25 अक्टूबर सुबह 3:17 बजे से और समापन शाम 05:42 बजे होगा.

दिल्ली में सूर्य ग्रहण का समय
दिल्ली में आज सूर्य ग्रहण का प्रारंभ शाम 4 बजकर 28 मिनट से होगा और समापन शाम 5 बजकर 30 मिनट पर होगा. स्थान के आधार पर इसके प्रारंभ और समापन के समय में थोड़ा बहुत परिवर्तन संभव है.

क्या होता है सूतक काल
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे या 9 घंटे पूर्व प्रारंभ होता है. सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण समय से 12 घंटे पूर्व प्रारंभ हो जाता है, जबकि चंद्र ग्रहण में सूतक काल 9 घंटे पूर्व प्रारंभ होता है. सूतक काल को एक प्रकार से अशुभ समय मानते हैं, इसमें कोई भी मांगलिक शुभ कार्य नहीं करते हैं. ग्रहण के समापन के कुछ समय बाद सूतक काल का अंत होता है. जिस स्थान पर सूर्य ग्रहण दिखाई देता है, वहां पर सूतक काल मान्य होता है.

पंडित जयप्रकाश शास्त्री बताते हैं सूतक काल के दौरान घर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें. खासकर पूजा स्थल को गंगाजल से साफ करें. इस समयावधि में भोजन पकाना या खाना वर्जित बताया गया है. यदि आपने खाना बना लिया है तो उसमें तुलसी के पत्ते डाल दें. सूर्य ग्रहण के समय सोना नहीं चाहिए, इससे सोने वाला व्यक्ति रोगी हो जाता है. ग्रहण के काल में अपने ईष्ट देवता का ध्यान और उनके मंत्र का जप सर्वश्रेष्ठ है. इसके अलावा सूर्य देवता के मंत्र का जाप करें. ग्रहण के बाद अन्न का दान करना पुण्य प्रदान कर सकता है. सूतक काल समाप्त हो जाए तो घर को साफ करें. सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को भी विशेष ध्यान रखना होता है. उनको किसी काम में नुकीली वस्तुओं जैसे सुई, कैंची, चाकू आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए.

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नई दिल्ली: मंगलवार को सूर्यग्रहण लगने जा रहा है. यह आंशिक सूर्य ग्रहण है जो भारत के कई हिस्सों में दिखाई देगा. चंद्रमा जब सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो सूर्य ग्रहण लगता है. इस अवस्था में चंद्रमा सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता है. यह खंडग्रास सूर्य ग्रहण है. सूर्य ग्रहण में सूतक काल का विशेष महत्व होता है. मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण पर किसी भी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित हैं.

पंडित जयप्रकाश शास्त्री बताते हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राहु-केतु जब सूर्य का ग्रहण करने वाले होते हैं तब सूर्य ग्रहण लगता है. सूर्य ग्रहण की यह कथा समुद्र मंथन से निकले अमृत के वितरण से जुड़ी हुई है. यह सूर्य ग्रहण देश के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा. दृक पंचांग के अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर, शाम 05:27 बजे और समापन 25 अक्टूबर, शाम 4:18 बजे होगा. सूतक काल का प्रारंभ 25 अक्टूबर सुबह 3:17 बजे से और समापन शाम 05:42 बजे होगा.

दिल्ली में सूर्य ग्रहण का समय
दिल्ली में आज सूर्य ग्रहण का प्रारंभ शाम 4 बजकर 28 मिनट से होगा और समापन शाम 5 बजकर 30 मिनट पर होगा. स्थान के आधार पर इसके प्रारंभ और समापन के समय में थोड़ा बहुत परिवर्तन संभव है.

क्या होता है सूतक काल
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे या 9 घंटे पूर्व प्रारंभ होता है. सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण समय से 12 घंटे पूर्व प्रारंभ हो जाता है, जबकि चंद्र ग्रहण में सूतक काल 9 घंटे पूर्व प्रारंभ होता है. सूतक काल को एक प्रकार से अशुभ समय मानते हैं, इसमें कोई भी मांगलिक शुभ कार्य नहीं करते हैं. ग्रहण के समापन के कुछ समय बाद सूतक काल का अंत होता है. जिस स्थान पर सूर्य ग्रहण दिखाई देता है, वहां पर सूतक काल मान्य होता है.

पंडित जयप्रकाश शास्त्री बताते हैं सूतक काल के दौरान घर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें. खासकर पूजा स्थल को गंगाजल से साफ करें. इस समयावधि में भोजन पकाना या खाना वर्जित बताया गया है. यदि आपने खाना बना लिया है तो उसमें तुलसी के पत्ते डाल दें. सूर्य ग्रहण के समय सोना नहीं चाहिए, इससे सोने वाला व्यक्ति रोगी हो जाता है. ग्रहण के काल में अपने ईष्ट देवता का ध्यान और उनके मंत्र का जप सर्वश्रेष्ठ है. इसके अलावा सूर्य देवता के मंत्र का जाप करें. ग्रहण के बाद अन्न का दान करना पुण्य प्रदान कर सकता है. सूतक काल समाप्त हो जाए तो घर को साफ करें. सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को भी विशेष ध्यान रखना होता है. उनको किसी काम में नुकीली वस्तुओं जैसे सुई, कैंची, चाकू आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए.

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