नई दिल्ली: 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में आरोपित कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को अग्रिम जमानत मिली. इसके बाद सिख समुदाय में काफी आक्रोश है. मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जारी समन के अनुसार जगदीश को पांच अगस्त को पेश होना है. अग्रिम जमानत मिलने के बाद अब उनके सिर से गिरफ्तार होने का खतरा खत्म हो गया. टाइटलर को यह कोर्ट की ओर से मिली एक बड़ी राहत है. सिख समुदाय का कहना है कि यह फैसला सिख समुदाय के लिए अन्याय है.
शर्तों के साथ मिली जमानतः विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने जमानत देते हुए टाइटलर पर कुछ शर्तें लगाई हैं. न्यायाधीश ने कहा कि वह केस से संबंधित सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और बिना अनुमति देश छोड़ कर बाहर नहीं जाएगें. दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी की प्रधान हरमीत सिंह कालका ने जगदीश टाइटलर को जमानत दिए जाने खेद जताया है.
उन्होंने कहा कि यह भारतीय न्यायशास्त्र के लिए एक काला दिन है. हमें उम्मीद थी कि हमें इंसाफ मिलेगा. सिख कॉम पिछले 39 साल से इंसाफ की लड़ाई लड़ रही है, लेकिन जिस तरह से आज एक आरोपी को जमानत दी गई है, हम उससे हतोत्साहित हैं. कालका ने कहा कि हम लोगों के साथ यह अन्याय है और इसके खिलाफ हम हाई कोर्ट में जाकर अपील करेंगे.
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क्या था मामलाः प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के एक दिन बाद 1 नवंबर, 1984 को दिल्ली के पुल बंगश इलाके में तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी. इसके अलावा एक गुरुद्वारे में भी आग लगा दी गई थी. टाइटलर पर पुल बंगश मामले में एक भीड़ का नेतृत्व करने का आरोप है. इससे पहले एक बार सीबीआई ने मामले में नेता को क्लीनचिट दे दी थी, लेकिन 4 दिसंबर 2015 को न्यायमूर्ति जीटी नानावती के आदेश के बाद सिख दंगे की जांच फिर से शुरू हो गई थी. उस दौरान तीन मामलो की जांच शुरू हुई थी, जिसमें यह मामला भी शामिल था.
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