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डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु के बाद नेहरू ने क्यों नहीं कराई जांच- जेपी नड्डा - जम्मू कश्मीर

जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी. भाजपा इस दिन को बलिदान दिवस के रूप में मनाती है.

JP Nadda
जेपी नड्डा
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Published : Jun 23, 2020, 8:51 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर मंगलवार की शाम को दिल्ली बीजेपी कार्यालय में कार्यकर्ताओं से वर्चुअल मीटिंग हुई. इस दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि मुखर्जी के बलिदान के बाद उसकी जांच की मांग की गई थी. जवाहरलाल नेहरू ने जांच क्यों नहीं कराई? यह भी बहुत बड़ा रहस्य है.

'श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जवाहर लाल नेहरू से हमेशा रहा मतभेद'
'मुखर्जी एक विचार थे'

बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि 23 जून 1953 को रहस्यमय तरीके से डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु हो गई, खंडित भारत का अखंडता के लिए पहला बलिदान मुखर्जी का था. वह एक विचार थे.

'एक देश में दो निशान, दो प्रधान के खिलाफ थे मुखर्जी'

उन्होंने कहा कि पटना में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि 'मैं जम्मू कश्मीर में परमिट राज को तोड़ने के लिए चलूंगा'. जम्मू कश्मीर बॉर्डर पर पहुंचने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया और जेल में डाल दिया गया. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर में इनर लाइन परमिट के खिलाफ थे और नारा था, एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेगा. तब अस्थाई प्रावधानों के साथ अनुच्छेद 370 लगाया गया. लेकिन शेख अब्दुल्ला के इरादे कुछ और थे और नेहरू जी इसका समर्थन कर रहे थे.

'विशेष दर्जा देने के खिलाफ थे मुखर्जी'

जेपी नड्डा ने कहा कि जब जनसंघ की स्थापना की गई तो डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को संस्थापक अध्यक्ष बनाया गया. डॉ. मुखर्जी ने शुरुआत से जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने की बात का विरोध किया, लेकिन नेहरू जी और शेख अब्दुल्लाह के बीच तब खिचड़ी पक रही थी.

'कोई पद नहीं था उनका लक्ष्य '

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौता में यह तय हुआ कि दोनों देश अपने यहां अल्पसंख्यकों की चिंता करेंगे. डॉ. मुखर्जी ने कहा था कि भारत में मुस्लिम पूरे सम्मान से रह रहे हैं. लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को दिक्कतें हो रही हैं. उन्होंने कहा कि इस समझौते से देश का हित नहीं होगा. आजादी के बाद सारा असम, पंजाब का बहुत बड़ा हिस्सा जाने वाला था. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बहुत बड़ा आंदोलन कर बंगाल, पंजाब और असम को बचाया और यह राज्य भारत की धरती पर रहे. उन्होंने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक बहता प्रवाह थे. मंत्री रहकर मंत्री पद से उन्होंने इस्तीफा भी दिया, कोई पद उनका लक्ष्य नहीं था.


'हम नहीं रुकेंगे. हम नहीं डरेंगे'

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर दिल्ली बीजेपी द्वारा वर्चुअल मीटिंग के आयोजन के लिए उन्होंने पूरे प्रदेश टीम को बधाई दी. उन्होंने कहा कि इस वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से बलिदान दिवस को मनाने से यह तय हुआ कि संक्रमण कितना भी हो हम नहीं रुकेंगे. हम नहीं डरेंगे, हम रहेंगे अपने पथ पर और चलते रहेंगे, चलते रहेंगे. इस मौके पर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ जनसंघ की स्थापना के दौरान रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजय कुमार मल्होत्रा भी मौजूद थे.

नई दिल्ली: भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर मंगलवार की शाम को दिल्ली बीजेपी कार्यालय में कार्यकर्ताओं से वर्चुअल मीटिंग हुई. इस दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि मुखर्जी के बलिदान के बाद उसकी जांच की मांग की गई थी. जवाहरलाल नेहरू ने जांच क्यों नहीं कराई? यह भी बहुत बड़ा रहस्य है.

'श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जवाहर लाल नेहरू से हमेशा रहा मतभेद'
'मुखर्जी एक विचार थे'

बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि 23 जून 1953 को रहस्यमय तरीके से डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु हो गई, खंडित भारत का अखंडता के लिए पहला बलिदान मुखर्जी का था. वह एक विचार थे.

'एक देश में दो निशान, दो प्रधान के खिलाफ थे मुखर्जी'

उन्होंने कहा कि पटना में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि 'मैं जम्मू कश्मीर में परमिट राज को तोड़ने के लिए चलूंगा'. जम्मू कश्मीर बॉर्डर पर पहुंचने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया और जेल में डाल दिया गया. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर में इनर लाइन परमिट के खिलाफ थे और नारा था, एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेगा. तब अस्थाई प्रावधानों के साथ अनुच्छेद 370 लगाया गया. लेकिन शेख अब्दुल्ला के इरादे कुछ और थे और नेहरू जी इसका समर्थन कर रहे थे.

'विशेष दर्जा देने के खिलाफ थे मुखर्जी'

जेपी नड्डा ने कहा कि जब जनसंघ की स्थापना की गई तो डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को संस्थापक अध्यक्ष बनाया गया. डॉ. मुखर्जी ने शुरुआत से जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने की बात का विरोध किया, लेकिन नेहरू जी और शेख अब्दुल्लाह के बीच तब खिचड़ी पक रही थी.

'कोई पद नहीं था उनका लक्ष्य '

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौता में यह तय हुआ कि दोनों देश अपने यहां अल्पसंख्यकों की चिंता करेंगे. डॉ. मुखर्जी ने कहा था कि भारत में मुस्लिम पूरे सम्मान से रह रहे हैं. लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को दिक्कतें हो रही हैं. उन्होंने कहा कि इस समझौते से देश का हित नहीं होगा. आजादी के बाद सारा असम, पंजाब का बहुत बड़ा हिस्सा जाने वाला था. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बहुत बड़ा आंदोलन कर बंगाल, पंजाब और असम को बचाया और यह राज्य भारत की धरती पर रहे. उन्होंने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक बहता प्रवाह थे. मंत्री रहकर मंत्री पद से उन्होंने इस्तीफा भी दिया, कोई पद उनका लक्ष्य नहीं था.


'हम नहीं रुकेंगे. हम नहीं डरेंगे'

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर दिल्ली बीजेपी द्वारा वर्चुअल मीटिंग के आयोजन के लिए उन्होंने पूरे प्रदेश टीम को बधाई दी. उन्होंने कहा कि इस वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से बलिदान दिवस को मनाने से यह तय हुआ कि संक्रमण कितना भी हो हम नहीं रुकेंगे. हम नहीं डरेंगे, हम रहेंगे अपने पथ पर और चलते रहेंगे, चलते रहेंगे. इस मौके पर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ जनसंघ की स्थापना के दौरान रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजय कुमार मल्होत्रा भी मौजूद थे.

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