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नई शिक्षा नीति को लेकर शफी देहलवी ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल

नई शिक्षा नीति 2020 को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं. इसी बीच मिशन एजुकेशन के अध्यक्ष शफी देहलवी ने कहा कि जो तरीके पहले से चले आ रहे थे, उसे ही नाम बदल कर दोबारा शुरू कर दिया गया.

shafi dehalvi raised questions on government intention regarding new education policy
शफी देहलवी
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Published : Aug 16, 2020, 3:41 PM IST

नई दिल्लीः नई शिक्षा नीति 2020 को लेकर मिशन एजुकेशन के अध्यक्ष शफी देहलवी ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा को निजी हाथों में देना चाहती है. शफी देहलवी ने कहा कि भारत में मैकाले की शिक्षा नीति चली आ रही थी, लेकिन धीरे-धीरे इसे कारोबार बना दिया गया. उन्होंने कहा कि शिक्षा अब दो स्टैंडर्ड की हो गई है, सरकारी और निजी.

शफी देहलवी ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल

शिक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि लोग स्कूलों के खिलाफ कोर्ट जाते हैं, लेकिन आजतक स्कूलों की मॉनिटरिंग के लिए कमीशन नहीं बनाया गया है. उन्होंने कहा कि कई बार मांग की गई है कि देश में नेशनल एजुकेशन कमीशन होना चाहिए, जो स्कूलों के एजुकेशन सिस्टम पर नजर रखे.

शफी देहलवी ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत 5वीं तक की शिक्षा मातृभाषा में देने के लिए कहा गया है, लेकिन आगे की रूपरेखा तैयार नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि जो तरीके पहले से चले आ रहे थे, उसी को दोबारा शुरू कर दिया गया. कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र को पहले साल में मार्कशीट दी जाती थी. अब उसे सर्टिफिकेट देने की बात कही जा रही है, ये सब पुराने नियम हैं. इस नई पॉलिसी में नया कुछ नहीं है.

नई दिल्लीः नई शिक्षा नीति 2020 को लेकर मिशन एजुकेशन के अध्यक्ष शफी देहलवी ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा को निजी हाथों में देना चाहती है. शफी देहलवी ने कहा कि भारत में मैकाले की शिक्षा नीति चली आ रही थी, लेकिन धीरे-धीरे इसे कारोबार बना दिया गया. उन्होंने कहा कि शिक्षा अब दो स्टैंडर्ड की हो गई है, सरकारी और निजी.

शफी देहलवी ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल

शिक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि लोग स्कूलों के खिलाफ कोर्ट जाते हैं, लेकिन आजतक स्कूलों की मॉनिटरिंग के लिए कमीशन नहीं बनाया गया है. उन्होंने कहा कि कई बार मांग की गई है कि देश में नेशनल एजुकेशन कमीशन होना चाहिए, जो स्कूलों के एजुकेशन सिस्टम पर नजर रखे.

शफी देहलवी ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत 5वीं तक की शिक्षा मातृभाषा में देने के लिए कहा गया है, लेकिन आगे की रूपरेखा तैयार नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि जो तरीके पहले से चले आ रहे थे, उसी को दोबारा शुरू कर दिया गया. कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र को पहले साल में मार्कशीट दी जाती थी. अब उसे सर्टिफिकेट देने की बात कही जा रही है, ये सब पुराने नियम हैं. इस नई पॉलिसी में नया कुछ नहीं है.

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