नई दिल्ली: 42 हजार करोड़ के बाइक बोट घोटाले में निदेशकों सहित सात आरोपियों को आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया है. इस मामले में आठ आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. इनमें से कुछ आरोपी कंपनी में निदेशक जबकि कुछ बतौर प्रमोटर कार्यरत थे. आरोपियों ने अकेले दिल्ली के आठ हजार लोगों से लगभग 250 करोड़ रुपये की ठगी की थी.
मामले की जांच के दौरान आर्थिक अपराध शाखा ने कंपनी वे विभिन्न बैंक खातों को खंगाला. उन्हें पता चला कि वह आरबीआई से बतौर एनबीएफसी पंजीकृत नहीं थी. उसे लोगों से रुपये एकत्रित करने का कोई अधिकार नहीं था. उसने अवैध तरीके से लोगों से हजारों करोड़ रुपये एकत्रित कर लिए. उन्हें पता चला कि लखनऊ के प्रवर्तन निदेशालय द्वारा भी इस जालसाजी की जांच की जा रही है. नोएडा सहित अनेक राज्यों में भी कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज है. आरोपियों ने लगभग 42 हजार करोड़ कर घोटाले को अंजाम दिया है.
निदेशकों सहित सात आरोपी हुए गिरफ्तार
इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा ने निदेशकों सहित कुल 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनकी पहचान सुनील कुमार प्रजापति, विनोद कपूर, करण पाल सिंह, ललित कुमार, पुष्पेंद्र सिंह, आदेश भाटी और तरुण शर्मा के रूप में की गई है. यह सभी आरोपी गौतमबुद्ध नगर में दर्ज मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं. जेल में बंद इन आरोपियों की गिरफ्तारी आर्थिक अपराध शाखा ने उनके पास दर्ज एफआईआर में की है. इस मामले में आठ आरोपियों को वह पहले गिरफ्तार कर चुके हैं. इनकी गिरफ्तारी से कुल 15 आरोपी अब तक बाइक बोट घोटाले में गिरफ्तार हो चुके हैं.
ऐसे ठगी को दिया गया अंजाम
कंपनी ने लोगों से कहा कि वह 62000 रुपये एक बाइक के लिए कंपनी में जमा कराएं और इससे उन्हें एक साल तक 9500 रुपए प्रत्येक महीना आमदनी मिलेगी. इस तरह से उन्हें एक साल में लगभग दोगुनी रकम वापस मिल जाएगी. आकर्षक ऑफर होने के चलते लोग बड़ी संख्या में इसमें फंस गए.
उन्होंने अपनी मेहनत का पैसा जमा करा दिया. जनवरी 2019 में कंपनी ने इलेक्ट्रिक बाइक स्कीम निकाली. उन्होंने लोगों से बाइक के लिए 1.24 लाख रुपए जमा कराने के लिए कहा. उन्हें बताया गया कि एक साल तक उन्हें प्रत्येक महीना 17 हजार रुपये मिलेंगे. उन्होंने कुछ लोगों को रुपए भी दिए जिससे उनमें विश्वास जगा. बड़ी संख्या में लोगों ने जब रुपए जमा करा दिए तो यह कंपनी एवं उसके अधिकारी फरार हो गए.