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CM केजरीवाल को बड़ा झटका, LG ने सरकार के 400 सलाहकार, विशेषज्ञ, फेलो को किया बर्खास्त

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सोमवार को बड़ा झटका लगा है. LG वीके सक्सेना ने सरकार के विभिन्न विभागों, निगमों, बोर्डों, सोसाइटियों, पीएसयू में विशेषज्ञ के रूप में तैनात 400 लोगों की सेवाओं को समाप्त कर दिया है. इनकी नियुक्ति को अवैध करार दिया है. वहीं, दिल्ली सरकार ने इसे गैरकानूनी कार्रवाई करार दिया है.

Delhi government
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Published : Jul 3, 2023, 9:09 PM IST

Updated : Jul 3, 2023, 9:19 PM IST

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) शासित दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों, निगमों, बोर्डों, सोसाइटियों, पीएसयू में विशेषज्ञ के रूप में लगे सालों से कार्यरत लगभग 400 निजी लोगों की सेवाएं समाप्त कर दी गई है. यह सभी फेलो, सहयोगी, सलाहकार, उप. सलाहकार, विशेषज्ञ, वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी, सलाहकार आदि जैसे महत्वपूर्ण पदों पर अलग-अलग विभागों में तैनात थे. इन सभी की नियुक्ति को उपराज्यपाल कार्यालय ने अवैध करार दिया है.

उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इन सभी की नियुक्ति को रद करने के आदेश दिए हैं. आरोप है कि इन सभी की नियुक्ति गैर-पारदर्शी तरीके से और सक्षम प्राधिकारी की अनिवार्य मंजूरी प्राप्त किए बिना हुई थी. इनकी नियुक्ति में डीओपीटी द्वारा निर्धारित एससी/एसटी/ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षण नीति का पालन नहीं किया गया था. कई चयनित उम्मीदवार पात्रता मानदंड (शैक्षिक योग्यता/कार्य अनुभव) को पूरा नहीं कर रहे थे. दिल्ली सरकार ने अपने विभिन्न विभागों, एजेंसियों में सलाहकार, विशेषज्ञ, वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी, परामर्शदाता आदि पदों पर तैनात थे.

LG की मंजूरी नहीं ली गई थीः सेवा विभाग ने पाया कि ऐसे कई निजी व्यक्ति पदों के लिए जारी विज्ञापनों में निर्धारित पात्रता मानदंड (शैक्षिक योग्यता/कार्य अनुभव) को भी पूरा नहीं करते हैं. संबंधित प्रशासनिक विभागों ने भी इन निजी व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत कार्य अनुभव प्रमाण पत्रों की सत्यता को सत्यापित नहीं किया, जो कई मामलों में हेराफेरी और हेरफेर में पाए गए. उपराज्यपाल ने सेवा विभाग के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, जिसमें दिल्ली सरकार के सभी विभाग, निगम, बोर्ड, सोसायटी, अन्य स्वायत्त निकाय अपने प्रशासनिक नियंत्रण के तहत ऐसे लोगों की नियुक्तियों को तुरंत समाप्त किया जाए. जिनमें एलजी, सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी नहीं ली गई है.

यह भी पढ़ेंः RRTS Fund Dispute: SC ने दिल्ली सरकार से विज्ञापनों पर खर्च राशि का मांगा ब्योरा

हालांकि, आदेश में कहा गया है कि यदि कोई प्रशासनिक विभाग इस तरह की व्यस्तताओं को जारी रखना उचित समझता है, तो वह उचित औचित्य के साथ विस्तृत मामलों का प्रस्ताव कर सकता है और उन्हें विचार और अनुमोदन के लिए उपराज्यपाल के पास भेजा जाएगा.

आरक्षण रोस्टर का नहीं किया गया पालनः यह आदेश सेवा विभाग ने 23 विभागों, स्वायत्त निकायों, पीएसयू से प्राप्त जानकारी के बाद जारी किया है. सेवा विभाग ने जांच में पाया कि ऐसे निजी लोगों को विशेषज्ञों के रूप में नियुक्त किया है. यह भी पाया गया कि 45 दिनों या उससे अधिक समय तक चलने वाली अस्थायी नियुक्तियों में आरक्षण के लिए डीओपीटी के आदेश (15 मई 2018) द्वारा निर्धारित एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण के प्रावधानों का भी इन संलग्नताओं में पालन नहीं किया गया है.

सेवा विभाग ने यह पाया कि पर्यावरण, पुरातत्व, दिल्ली अभिलेखागार, महिला एवं बाल विकास और उद्योग जैसे विभागों ने इन निजी व्यक्तियों को नियुक्त करने से पहले सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी नहीं ली है. सेवा विभाग द्वारा जांच के दौरान यह पाया गया कि पुरातत्व, पर्यावरण, दिल्ली अभिलेखागार, महिला एवं बाल विकास और उद्योग के 5 विभागों में 69 व्यक्ति बिना मंजूरी के कार्यरत थे.

इन विभागों में नियुक्तिः इसी प्रकार, 13 बोर्ड व स्वायत्त निकाय, जिनमें 155 व्यक्ति कार्यरत थे, ने भी आवश्यक अनुमोदन नहीं लिया और दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर (डीएआरसी), डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन ऑफ दिल्ली में 187 व्यक्तियों की नियुक्ति के बारे में सेवा विभाग को कोई जानकारी नहीं दी गई. हालांकि, उपराज्यपाल की मंजूरी से 4 विभागों- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, खाद्य सुरक्षा, इंदिरा गांधी अस्पताल और परिवहन में 11 व्यक्तियों को लगाया गया था. उपराज्यपाल ने यह भी नोट किया कि मुख्यमंत्री शहरी नेता फैलोशिप कार्यक्रम से संबंधित कैबिनेट नोट, जिससे ऐसे 50 अध्येता (36)/एसोसिएट अध्येता (14) लगे थे. 2018 में और वर्ष 2021 में सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित किया गया था. उपराज्यपाल ने निर्देश दिया कि सभी संबंधितों को सेवा विभाग के निर्देशों का पालन करना चाहिए, अन्यथा संबंधित प्रशासनिक सचिव के खिलाफ विभागीय कार्यवाही (डीपी) सहित उचित कार्रवाई शुरू की जा सकती है.

दिल्ली सरकार ने बताया गैरकानूनीः LG के फैसले के बाद दिल्ली सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. कहा है कि एलजी के पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है. वह गैरकानूनी और संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं. उनका एकमात्र उद्देश्य दिल्ली सरकार को पंगु बनाने के लिए हर दिन नए तरीके खोजना है ताकि दिल्ली के लोगों को परेशानी हो. ये फेलो आईआईएम अहमदाबाद, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, एनएएलएसएआर, जेएनयू, एनआईटी, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, कैम्ब्रिज आदि जैसे शीर्ष कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से थे और विभिन्न विभागों में उत्कृष्ट काम कर रहे थे.

इन सभी को उचित प्रक्रिया और प्रशासनिक मानदंडों का पालन करते हुए काम पर रखा गया था, लेकिन एलजी दिल्ली को पूरी तरह से बर्बाद करने पर तुले हैं. उन्होंने इन 400 प्रतिभाशाली युवा पेशेवरों को केवल इसलिए दंडित करने का फैसला किया क्योंकि उन्होंने दिल्ली सरकार के साथ जुड़ने का फैसला किया था. जब एलजी ने यह फैसला लिया तो प्राकृतिक न्याय के किसी सिद्धांत का पालन नहीं किया गया. एक भी कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया, किसी भी स्तर पर कोई स्पष्टीकरण या स्पष्टीकरण नहीं मांगा गया. इस असंवैधानिक फैसले को अदालत में चुनौती दी जाएगी.

ये वास्तव में सीएम अरविंद केजरीवाल के सबसे पसंदीदा व्यक्ति थेः दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में नियुक्त किए गए 400 तथाकथित विशेषज्ञों को बर्खास्त करने का स्वागत किया है और कहा है कि यह लंबे समय से लंबित कार्रवाई थी.

उन्होंने कहा कि ये 400 नियुक्त लोग कोई विशेषज्ञ नहीं थे, वे वास्तव में सीएम अरविंद केजरीवाल के सबसे पसंदीदा व्यक्ति थे. सचदेवा ने कहा कि यह नियुक्तियां अपने आप में एक बड़ा भ्रष्टाचार भी थी और इसमें मुख्य मंत्री एवं सरकार के बड़े मंत्रियों की भूमिका रही होगी. उनमें से अधिकांश शैक्षिक योग्यता पूरी नहीं करते थे और उनकी नियुक्ति में निर्धारित नौकरी आरक्षण मानदंडों का भी उल्लंघन किया गया था. सचदेवा ने कहा है कि उनकी बर्खास्तगी पर्याप्त नहीं है, दिल्ली सरकार को समय के साथ उन्हें दिया गया वेतन वापस वसूल करना चाहिए.

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) शासित दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों, निगमों, बोर्डों, सोसाइटियों, पीएसयू में विशेषज्ञ के रूप में लगे सालों से कार्यरत लगभग 400 निजी लोगों की सेवाएं समाप्त कर दी गई है. यह सभी फेलो, सहयोगी, सलाहकार, उप. सलाहकार, विशेषज्ञ, वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी, सलाहकार आदि जैसे महत्वपूर्ण पदों पर अलग-अलग विभागों में तैनात थे. इन सभी की नियुक्ति को उपराज्यपाल कार्यालय ने अवैध करार दिया है.

उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इन सभी की नियुक्ति को रद करने के आदेश दिए हैं. आरोप है कि इन सभी की नियुक्ति गैर-पारदर्शी तरीके से और सक्षम प्राधिकारी की अनिवार्य मंजूरी प्राप्त किए बिना हुई थी. इनकी नियुक्ति में डीओपीटी द्वारा निर्धारित एससी/एसटी/ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षण नीति का पालन नहीं किया गया था. कई चयनित उम्मीदवार पात्रता मानदंड (शैक्षिक योग्यता/कार्य अनुभव) को पूरा नहीं कर रहे थे. दिल्ली सरकार ने अपने विभिन्न विभागों, एजेंसियों में सलाहकार, विशेषज्ञ, वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी, परामर्शदाता आदि पदों पर तैनात थे.

LG की मंजूरी नहीं ली गई थीः सेवा विभाग ने पाया कि ऐसे कई निजी व्यक्ति पदों के लिए जारी विज्ञापनों में निर्धारित पात्रता मानदंड (शैक्षिक योग्यता/कार्य अनुभव) को भी पूरा नहीं करते हैं. संबंधित प्रशासनिक विभागों ने भी इन निजी व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत कार्य अनुभव प्रमाण पत्रों की सत्यता को सत्यापित नहीं किया, जो कई मामलों में हेराफेरी और हेरफेर में पाए गए. उपराज्यपाल ने सेवा विभाग के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, जिसमें दिल्ली सरकार के सभी विभाग, निगम, बोर्ड, सोसायटी, अन्य स्वायत्त निकाय अपने प्रशासनिक नियंत्रण के तहत ऐसे लोगों की नियुक्तियों को तुरंत समाप्त किया जाए. जिनमें एलजी, सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी नहीं ली गई है.

यह भी पढ़ेंः RRTS Fund Dispute: SC ने दिल्ली सरकार से विज्ञापनों पर खर्च राशि का मांगा ब्योरा

हालांकि, आदेश में कहा गया है कि यदि कोई प्रशासनिक विभाग इस तरह की व्यस्तताओं को जारी रखना उचित समझता है, तो वह उचित औचित्य के साथ विस्तृत मामलों का प्रस्ताव कर सकता है और उन्हें विचार और अनुमोदन के लिए उपराज्यपाल के पास भेजा जाएगा.

आरक्षण रोस्टर का नहीं किया गया पालनः यह आदेश सेवा विभाग ने 23 विभागों, स्वायत्त निकायों, पीएसयू से प्राप्त जानकारी के बाद जारी किया है. सेवा विभाग ने जांच में पाया कि ऐसे निजी लोगों को विशेषज्ञों के रूप में नियुक्त किया है. यह भी पाया गया कि 45 दिनों या उससे अधिक समय तक चलने वाली अस्थायी नियुक्तियों में आरक्षण के लिए डीओपीटी के आदेश (15 मई 2018) द्वारा निर्धारित एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण के प्रावधानों का भी इन संलग्नताओं में पालन नहीं किया गया है.

सेवा विभाग ने यह पाया कि पर्यावरण, पुरातत्व, दिल्ली अभिलेखागार, महिला एवं बाल विकास और उद्योग जैसे विभागों ने इन निजी व्यक्तियों को नियुक्त करने से पहले सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी नहीं ली है. सेवा विभाग द्वारा जांच के दौरान यह पाया गया कि पुरातत्व, पर्यावरण, दिल्ली अभिलेखागार, महिला एवं बाल विकास और उद्योग के 5 विभागों में 69 व्यक्ति बिना मंजूरी के कार्यरत थे.

इन विभागों में नियुक्तिः इसी प्रकार, 13 बोर्ड व स्वायत्त निकाय, जिनमें 155 व्यक्ति कार्यरत थे, ने भी आवश्यक अनुमोदन नहीं लिया और दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर (डीएआरसी), डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन ऑफ दिल्ली में 187 व्यक्तियों की नियुक्ति के बारे में सेवा विभाग को कोई जानकारी नहीं दी गई. हालांकि, उपराज्यपाल की मंजूरी से 4 विभागों- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, खाद्य सुरक्षा, इंदिरा गांधी अस्पताल और परिवहन में 11 व्यक्तियों को लगाया गया था. उपराज्यपाल ने यह भी नोट किया कि मुख्यमंत्री शहरी नेता फैलोशिप कार्यक्रम से संबंधित कैबिनेट नोट, जिससे ऐसे 50 अध्येता (36)/एसोसिएट अध्येता (14) लगे थे. 2018 में और वर्ष 2021 में सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित किया गया था. उपराज्यपाल ने निर्देश दिया कि सभी संबंधितों को सेवा विभाग के निर्देशों का पालन करना चाहिए, अन्यथा संबंधित प्रशासनिक सचिव के खिलाफ विभागीय कार्यवाही (डीपी) सहित उचित कार्रवाई शुरू की जा सकती है.

दिल्ली सरकार ने बताया गैरकानूनीः LG के फैसले के बाद दिल्ली सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. कहा है कि एलजी के पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है. वह गैरकानूनी और संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं. उनका एकमात्र उद्देश्य दिल्ली सरकार को पंगु बनाने के लिए हर दिन नए तरीके खोजना है ताकि दिल्ली के लोगों को परेशानी हो. ये फेलो आईआईएम अहमदाबाद, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, एनएएलएसएआर, जेएनयू, एनआईटी, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, कैम्ब्रिज आदि जैसे शीर्ष कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से थे और विभिन्न विभागों में उत्कृष्ट काम कर रहे थे.

इन सभी को उचित प्रक्रिया और प्रशासनिक मानदंडों का पालन करते हुए काम पर रखा गया था, लेकिन एलजी दिल्ली को पूरी तरह से बर्बाद करने पर तुले हैं. उन्होंने इन 400 प्रतिभाशाली युवा पेशेवरों को केवल इसलिए दंडित करने का फैसला किया क्योंकि उन्होंने दिल्ली सरकार के साथ जुड़ने का फैसला किया था. जब एलजी ने यह फैसला लिया तो प्राकृतिक न्याय के किसी सिद्धांत का पालन नहीं किया गया. एक भी कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया, किसी भी स्तर पर कोई स्पष्टीकरण या स्पष्टीकरण नहीं मांगा गया. इस असंवैधानिक फैसले को अदालत में चुनौती दी जाएगी.

ये वास्तव में सीएम अरविंद केजरीवाल के सबसे पसंदीदा व्यक्ति थेः दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में नियुक्त किए गए 400 तथाकथित विशेषज्ञों को बर्खास्त करने का स्वागत किया है और कहा है कि यह लंबे समय से लंबित कार्रवाई थी.

उन्होंने कहा कि ये 400 नियुक्त लोग कोई विशेषज्ञ नहीं थे, वे वास्तव में सीएम अरविंद केजरीवाल के सबसे पसंदीदा व्यक्ति थे. सचदेवा ने कहा कि यह नियुक्तियां अपने आप में एक बड़ा भ्रष्टाचार भी थी और इसमें मुख्य मंत्री एवं सरकार के बड़े मंत्रियों की भूमिका रही होगी. उनमें से अधिकांश शैक्षिक योग्यता पूरी नहीं करते थे और उनकी नियुक्ति में निर्धारित नौकरी आरक्षण मानदंडों का भी उल्लंघन किया गया था. सचदेवा ने कहा है कि उनकी बर्खास्तगी पर्याप्त नहीं है, दिल्ली सरकार को समय के साथ उन्हें दिया गया वेतन वापस वसूल करना चाहिए.

Last Updated : Jul 3, 2023, 9:19 PM IST
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