नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व विधायक चौधरी मतीन अहमद ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाए हैं. उन्होंने इमामों को चुनाव से पहले सिर्फ दो महीने की सैलरी दिए जाने पर सवाल उठाया.
पीड़ितों तक कुछ नहीं पहुंचा चंदा
दिल्ली दंगा पीड़ितों की मदद के नाम पर वक्फबोर्ड ने मोटा चंदा इकट्ठा किया लेकिन पीड़ितों तक कुछ नहीं पहुंचा.उन्होंने मस्जिद के इमामों को नसीहत करते हुए मस्जिदों को सियासत का अखाड़ा न बनाए जाने का भी आह्वान किया.
महज दो महीने की सैलरी दी गई
पूर्व विधायक और वरिष्ठ कांग्रेस नेता चौधरी मतीन अहमद ने अपने निवास पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड ने एक हजार इमामों को तनख्वाह देने के मामले में चुनाव से पहले महज दो महीने की सैलरी दी गई, तब से अब तक कुछ नहीं दिया गया.
ऐसा लगता है कि इमामों को चुनाव में इस्तेमाल करने को सैलरी दी गई. उन्होंने कहा कि दिल्ली में हुए दंगों के दौरान सरकार बैठी रही. अगर वह चाहती तो डीएम के जरिए फौज बुला सकते थे, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की.