नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में शुक्रवार को 'जैविक कृषि और उसके महत्व' पर महामना मदन मोहन मालवीय सभागार में संगोष्टी आयोजित की गई. इस दौरान पूर्व राज्यसभा सांसद एवं जैविक खेती के जानकार आर के सिन्हा ने कहा कि खेती में देसी गाय का गोबर और गौ मूत्र का उपयोग करना चाहिए, जिससे कृषि भूमि और उपजाऊ बन सके.
उन्होंने कहा कि अगर समय के अनुसार अपने खानपान और खेती की पद्धति में बदलाव नहीं लाया गया तो इसके परिणाण आने वाली पीढ़ी को भुगतने होंगे. वहीं अगर हवन की भस्म खेत में डाल दें तो उसका बहुत अच्छा परिणाम देखने को मिल सकता है. रासायनों के उपयोग ने पर्यावरण को बहुत बड़े पैमाने पर खराब किया है. उन्होंने कहा कि जैविक खेती में कीटनाशकों, ग्रोथ हार्मोन और जीवों के जेनेटिक प्रोविजन के बजाय प्राकृतिक साधनों का उपयोग करके फसलों और पशुधन का उत्पादन शामिल है.
उनके अलावा अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद् के अध्यक्ष लेफ्ट. जनरल (रि.) वी. के. चतुर्वेदी ने अपने संबोधन में कहा कि वसुधैव कुटुंबकम् हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है. वहीं हमारा खानपान भी प्राचीन समय से ही बहुत समृद्ध रहा है. हमारे बचपन में मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जाता था, जो कि बहुत अच्छा था. वहीं हंसराज कॉलेज की प्राचार्य डॉ. रमा ने कहा कि यह बहुत गर्व का विषय है अब भारत बदल रहा है और इस संगोष्टी में हम सभी हिंदी भाषा में बात कर रहे हैं.
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