ETV Bharat / state

हंसराज कॉलेज में 'जैविक कृषि और उसके महत्व' विषयक संगोष्ठी का किया गया आयोजन

दिल्ली के हंसराज कॉलेज में शुक्रवार को जैविक कृषि और उसके महत्व विषयक एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान पूर्व राज्यसभा सांसद आर के सिन्हा सहित अन्य लोगों ने जैविक कृषि पर व्याख्यान दिए.

Hansraj College delhi
Hansraj College delhi
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 13, 2023, 10:21 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में शुक्रवार को 'जैविक कृषि और उसके महत्व' पर महामना मदन मोहन मालवीय सभागार में संगोष्टी आयोजित की गई. इस दौरान पूर्व राज्यसभा सांसद एवं जैविक खेती के जानकार आर के सिन्हा ने कहा कि खेती में देसी गाय का गोबर और गौ मूत्र का उपयोग करना चाहिए, जिससे कृषि भूमि और उपजाऊ बन सके.

उन्होंने कहा कि अगर समय के अनुसार अपने खानपान और खेती की पद्धति में बदलाव नहीं लाया गया तो इसके परिणाण आने वाली पीढ़ी को भुगतने होंगे. वहीं अगर हवन की भस्म खेत में डाल दें तो उसका बहुत अच्छा परिणाम देखने को मिल सकता है. रासायनों के उपयोग ने पर्यावरण को बहुत बड़े पैमाने पर खराब किया है. उन्होंने कहा कि जैविक खेती में कीटनाशकों, ग्रोथ हार्मोन और जीवों के जेनेटिक प्रोविजन के बजाय प्राकृतिक साधनों का उपयोग करके फसलों और पशुधन का उत्पादन शामिल है.

उनके अलावा अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद् के अध्यक्ष लेफ्ट. जनरल (रि.) वी. के. चतुर्वेदी ने अपने संबोधन में कहा कि वसुधैव कुटुंबकम् हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है. वहीं हमारा खानपान भी प्राचीन समय से ही बहुत समृद्ध रहा है. हमारे बचपन में मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जाता था, जो कि बहुत अच्छा था. वहीं हंसराज कॉलेज की प्राचार्य डॉ. रमा ने कहा कि यह बहुत गर्व का विषय है अब भारत बदल रहा है और इस संगोष्टी में हम सभी हिंदी भाषा में बात कर रहे हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में शुक्रवार को 'जैविक कृषि और उसके महत्व' पर महामना मदन मोहन मालवीय सभागार में संगोष्टी आयोजित की गई. इस दौरान पूर्व राज्यसभा सांसद एवं जैविक खेती के जानकार आर के सिन्हा ने कहा कि खेती में देसी गाय का गोबर और गौ मूत्र का उपयोग करना चाहिए, जिससे कृषि भूमि और उपजाऊ बन सके.

उन्होंने कहा कि अगर समय के अनुसार अपने खानपान और खेती की पद्धति में बदलाव नहीं लाया गया तो इसके परिणाण आने वाली पीढ़ी को भुगतने होंगे. वहीं अगर हवन की भस्म खेत में डाल दें तो उसका बहुत अच्छा परिणाम देखने को मिल सकता है. रासायनों के उपयोग ने पर्यावरण को बहुत बड़े पैमाने पर खराब किया है. उन्होंने कहा कि जैविक खेती में कीटनाशकों, ग्रोथ हार्मोन और जीवों के जेनेटिक प्रोविजन के बजाय प्राकृतिक साधनों का उपयोग करके फसलों और पशुधन का उत्पादन शामिल है.

उनके अलावा अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद् के अध्यक्ष लेफ्ट. जनरल (रि.) वी. के. चतुर्वेदी ने अपने संबोधन में कहा कि वसुधैव कुटुंबकम् हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है. वहीं हमारा खानपान भी प्राचीन समय से ही बहुत समृद्ध रहा है. हमारे बचपन में मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जाता था, जो कि बहुत अच्छा था. वहीं हंसराज कॉलेज की प्राचार्य डॉ. रमा ने कहा कि यह बहुत गर्व का विषय है अब भारत बदल रहा है और इस संगोष्टी में हम सभी हिंदी भाषा में बात कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें-बीजेपी ने सीएम केजरीवाल पर बोला हमला, कहा- शिक्षा मॉडल पूरी तरह से विफल

यह भी पढ़ें-DSGMC कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने बोले- सिख गुरुओं ने कुर्बानी देकर इंसानियत के धर्म को निभाया

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.