नई दिल्ली: राजधानी स्थित अमर कॉलोनी में दोबारा सीलिंग करने को लेकर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम नेताओं ने साफ इंकार कर दिया है. निगम नेताओं का मानना है कि निगम महज आदेशों का पालन करती है, लेकिन फिर भी लोगों के दिमाग में यही होता है कि निगम उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है. चुनाव सर पर है ऐसे में ये साफ किया गया है कि किसी भी सूरत में सीलिंग नहीं होने देंगे.
पिछले दिनों सबसे बड़ी सीलिंग की कार्रवाई को लेकर चर्चा का केंद्र बनी अमर कॉलोनी में एक बार फिर सीलिंग की तलवार लटक रही है. लैंड एंड डेवलपमेंट ऑफिस की ओर से किए गए सर्वे में ऐसी लगभग ढाई हजार इमारतों की लिस्ट मॉनिटरिंग कमेटी और दक्षिण दिल्ली नगर निगम को सौंपी गई है जहां उल्लंघन हो रहा है.
कुछ इमारतों को 48 घंटे के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए भी कहा गया है. जानकारी के मुताबिक, यहां ऐसी भी इमारतें हैं जिनका कन्वर्जन चार्ज भरा जा चुका है और जो मिक्स लैंड रोड पर हैं. सीलिंग का काम दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को सौंपा गया है लेकिन निगम नेता इसके विरोध में हैं.
गत दिन इस बात को लेकर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में भाजपा नेताओं ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई. यहां कहा गया कि सील करना निगम का काम है लेकिन सीलिंग के पहले मामले लंबित होने के बाद एक बार फिर लोगों के लिए सीलिंग झेलना मुमकिन नहीं है. भाजपा नेताओं ने कहा कि वो कभी सीलिंग के पक्ष में नहीं रहे और अगर वो आदेशों का पालन कर रहे हैं तो लोगों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए.
ईटीवी भारत से बातचीत में स्थाई समिति अध्यक्षा शिखा राय ने कहा कि मॉनिटरिंग कमेटी और एलएंडडीओ के सामने पहले तो ये बात साफ होनी चाहिए कि अगर मिक्स्ड यूज लैंड पर भी सीलिंग होगी तो इसका क्या फायदा है. 48 घंटे के नोटिस के बाद सीलिंग की कार्रवाई पर राय ने कहा कि निगम किसी भी सूरत में सीलिंग नहीं करेगी और इस संबंध में अधिकारियों को भी आदेश दे दिए गए हैं.
बता दें कि इससे पहले साल 2018 में 7000 से ज्यादा इमारतों पर सीलिंग की कार्रवाई की गई थी. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की स्थाई समिति बैठक में पिछले दिनों ये मुद्दा भी सामने आया था कि महीनों पहले सील हुई इमारतों की सील खुलवाने के लिए लोग अब भी दर दर की ठोकरें खा रहे हैं. चुनाव सर पर है ऐसे में भाजपा नेता ये संदेश बिल्कुल नहीं देना चाहते कि वो सीलिंग के समर्थन में हैं.