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सौरभ भारद्वाज का उपराज्यपाल पर हमला, कहा- दिल्लीवालों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित नहीं एलजी

दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली में गरीबों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए संवेदनशील होते तो दिल्ली सरकार के अस्पतालों में कम्प्यूटरीकृत ओपीडी काउंटर सेवाओं को अचानक बंद करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की होती.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 12, 2023, 6:53 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में आम आदमी पार्टी से स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सोमवार को स्वस्थ्य सेवाओं को लेकर उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर कई आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल को दिल्ली के नागरिकों के स्वास्थ्य की चिंता थी तो उन्होंने विधानसभा समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर कार्रवाई शुरू की होती, जिसमें पाया गया था कि उनके पसंदीदा अधिकारी भुगतान में देरी के दोषी थे. साथ ही मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर भी मुफ्त प्रयोगशाला परीक्षण बंद करने की साजिश में शामिल थे, जिसके परिणामस्वरूप मोहल्ला क्लीनिक में इलाज कराने आने वाले गरीब मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ा. आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को इलाज का खर्च अपनी जेब से वहन करना पड़ता था. जिन रोगियों के पास पैसा नहीं था उनकी हालत बिगड़ गई.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा की अगर उपराज्यपाल दिल्ली में गरीबों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए संवेदनशील होते तो दिल्ली सरकार के अस्पतालों में कम्प्यूटरीकृत ओपीडी काउंटर सेवाओं को अचानक बंद करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की होती. मरीज अस्पतालों में मुफ्त इलाज कराना चाहते हैं. मरीजों और उनके परिचारकों को ओपीडी पंजीकरण के बाद परामर्श के लिए घंटों लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ा. उपराज्यपाल को उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए थी, जिन्होंने जानबूझकर दिल्ली सरकार के कल्याणकारी कार्यों/योजनाओं को रोक दिया था. उपराज्यपाल ने कोई कार्रवाई नहीं की. जिससे मुझे यह विश्वास करने पर मजबूर होना पड़ा कि वह उन अधिकारियों को संरक्षण दे रहे हैं, जो दिल्ली के नागरिकों के कल्याण के खिलाफ काम कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल को बताना चाहिए कि मई 2023 में फार्मेसी काउंसिल के लिए नामांकित सदस्यों को अधिसूचित क्यों नहीं किया गया. उपराज्यपाल नाखुश हैं क्योंकि मैंने प्रगति मैदान में भारत मंडपम में जलभराव की ओर इशारा किया था. हमने इस तथ्य को उजागर किया है कि जी20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली सरकार को कोई धन उपलब्ध नहीं कराया गया था.

ये भी पढ़ें : G20 Summit के आयोजन से दिल्लीवालों को मिली कई सौगातें, 'भारत मंडपम' से लेकर 'इंटीग्रेटेड टनल तक, जानें लाभ

नई दिल्ली: दिल्ली में आम आदमी पार्टी से स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सोमवार को स्वस्थ्य सेवाओं को लेकर उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर कई आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल को दिल्ली के नागरिकों के स्वास्थ्य की चिंता थी तो उन्होंने विधानसभा समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर कार्रवाई शुरू की होती, जिसमें पाया गया था कि उनके पसंदीदा अधिकारी भुगतान में देरी के दोषी थे. साथ ही मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर भी मुफ्त प्रयोगशाला परीक्षण बंद करने की साजिश में शामिल थे, जिसके परिणामस्वरूप मोहल्ला क्लीनिक में इलाज कराने आने वाले गरीब मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ा. आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को इलाज का खर्च अपनी जेब से वहन करना पड़ता था. जिन रोगियों के पास पैसा नहीं था उनकी हालत बिगड़ गई.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा की अगर उपराज्यपाल दिल्ली में गरीबों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए संवेदनशील होते तो दिल्ली सरकार के अस्पतालों में कम्प्यूटरीकृत ओपीडी काउंटर सेवाओं को अचानक बंद करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की होती. मरीज अस्पतालों में मुफ्त इलाज कराना चाहते हैं. मरीजों और उनके परिचारकों को ओपीडी पंजीकरण के बाद परामर्श के लिए घंटों लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ा. उपराज्यपाल को उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए थी, जिन्होंने जानबूझकर दिल्ली सरकार के कल्याणकारी कार्यों/योजनाओं को रोक दिया था. उपराज्यपाल ने कोई कार्रवाई नहीं की. जिससे मुझे यह विश्वास करने पर मजबूर होना पड़ा कि वह उन अधिकारियों को संरक्षण दे रहे हैं, जो दिल्ली के नागरिकों के कल्याण के खिलाफ काम कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल को बताना चाहिए कि मई 2023 में फार्मेसी काउंसिल के लिए नामांकित सदस्यों को अधिसूचित क्यों नहीं किया गया. उपराज्यपाल नाखुश हैं क्योंकि मैंने प्रगति मैदान में भारत मंडपम में जलभराव की ओर इशारा किया था. हमने इस तथ्य को उजागर किया है कि जी20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली सरकार को कोई धन उपलब्ध नहीं कराया गया था.

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