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अनुसूचित जाति के लोगों को धर्मांतरण करने पर आरक्षण देना गलत : पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान

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Published : Mar 5, 2023, 7:18 AM IST

नोएडा स्थित गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें क्या धर्मांतरण हुए लोगों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए, विषय पर चर्चा हुई. इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने कहा कि धर्मांतरण हुए लोगों को आरक्षण दिया जाना गलत है.

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धर्मांतरण करने पर आरक्षण

नई दिल्ली/नोएडा : विश्व संवाद केंद्र एवं गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस गोष्ठी का आयोजन गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में किया गया, जिसमें अनुसूचित जाति के जो लोग मुसलमान या ईसाई हो गए हैं उन्हें क्या दलित आरक्षण में शामिल करना चाहिए. इस विषय पर यह गोष्ठी आयोजित की गई. दो दिन चलने वाली इस गोष्ठी में पूर्व न्यायाधीश, उपकुलपति व राजनयिकों सहित शिक्षा क्षेत्र के 150 से अधिक लोगों ने भाग लिया.

इस गोष्ठी में बोलते हुए विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि आरक्षण का आधार अस्पष्टता व इसके कारण उत्पन्न पिछड़ापन है. मुस्लिमों व ईसाइयों में जातिगत भेद व उत्पीड़न तो हो सकता है पर अस्पृश्यता नहीं है. वैसे भी मुस्लिमों को अन्य पिछड़ा वर्ग व आर्थिक आधार पर कमजोर लोगों को दिए जाने वाला आरक्षण भी प्राप्त है. उन्हें अल्पसंख्यक को को दी जाने वाली सुविधाएं भी प्राप्त हैं. इसीलिए उन्हें अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए.

कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए. कार्यक्रम में उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा कि धर्मांतरण हुए लोगों को आरक्षण दिया जाना गलत है. उन्होंने आरक्षण का विरोध करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति के जो लोग धर्मांतरण करके मुसलमान और ईसाई बन गए हैं उनकी पहचान कर उन्हें आरक्षण से वंचित किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें : केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान के सीएम पर किया मानहानि का केस, सुनवाई सोमवार को

कार्यक्रम की अध्यक्षता व पूर्व राज्यसभा सदस्य नरेंद्र जाधव ने कहा कि हिंदू समाज के अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण में किसी प्रकार की कमी या उनका हिस्सा काटा नहीं जाना चाहिए. यदि अन्य धर्मावलंबियों के लिए सरकार को कुछ करना आवश्यक लगता है तो वह उनके लिए अलग से व्यवस्था बनाए. इसके पूर्व गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति रविंद्र कुमार सिन्हा ने भी सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और कहा कि आरक्षण और धर्मांतरण दोनों अलग-अलग मुद्दे हैं. धर्मांतरण के बाद आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए.

ये भी पढ़ें : Delhi poster war: पोस्टर वार शुरू, BJP ने CM अरविंद केजरीवाल को बताया शराब घोटाले का सरगना

नई दिल्ली/नोएडा : विश्व संवाद केंद्र एवं गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस गोष्ठी का आयोजन गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में किया गया, जिसमें अनुसूचित जाति के जो लोग मुसलमान या ईसाई हो गए हैं उन्हें क्या दलित आरक्षण में शामिल करना चाहिए. इस विषय पर यह गोष्ठी आयोजित की गई. दो दिन चलने वाली इस गोष्ठी में पूर्व न्यायाधीश, उपकुलपति व राजनयिकों सहित शिक्षा क्षेत्र के 150 से अधिक लोगों ने भाग लिया.

इस गोष्ठी में बोलते हुए विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि आरक्षण का आधार अस्पष्टता व इसके कारण उत्पन्न पिछड़ापन है. मुस्लिमों व ईसाइयों में जातिगत भेद व उत्पीड़न तो हो सकता है पर अस्पृश्यता नहीं है. वैसे भी मुस्लिमों को अन्य पिछड़ा वर्ग व आर्थिक आधार पर कमजोर लोगों को दिए जाने वाला आरक्षण भी प्राप्त है. उन्हें अल्पसंख्यक को को दी जाने वाली सुविधाएं भी प्राप्त हैं. इसीलिए उन्हें अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए.

कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए. कार्यक्रम में उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा कि धर्मांतरण हुए लोगों को आरक्षण दिया जाना गलत है. उन्होंने आरक्षण का विरोध करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति के जो लोग धर्मांतरण करके मुसलमान और ईसाई बन गए हैं उनकी पहचान कर उन्हें आरक्षण से वंचित किया जाना चाहिए.

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कार्यक्रम की अध्यक्षता व पूर्व राज्यसभा सदस्य नरेंद्र जाधव ने कहा कि हिंदू समाज के अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण में किसी प्रकार की कमी या उनका हिस्सा काटा नहीं जाना चाहिए. यदि अन्य धर्मावलंबियों के लिए सरकार को कुछ करना आवश्यक लगता है तो वह उनके लिए अलग से व्यवस्था बनाए. इसके पूर्व गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति रविंद्र कुमार सिन्हा ने भी सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और कहा कि आरक्षण और धर्मांतरण दोनों अलग-अलग मुद्दे हैं. धर्मांतरण के बाद आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए.

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