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तिहाड़ जेल के अधीक्षक और उपाधीक्षक के दफ्तर में सीसीटीवी लगाने का निर्देश

दिल्ली की साकेत कोर्ट ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक और उपाधीक्षक के दफ्तर में सीसीटीवी लगाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने ये निर्देश मोनू नाम के एक कैदी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.

directs  to install CCTV in Tihar Jail
directs to install CCTV in Tihar Jail
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Published : Jul 30, 2022, 12:47 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की साकेत कोर्ट ने तिहाड़ जेल के महानिदेशक को निर्देश दिया है कि वो जेल अधीक्षक और जेल उपाधीक्षक के दफ्तर में सीसीटीवी लगाएं. एडिशनल सेशंस जज सोनू अग्निहोत्री ने कहा कि सीसीटीवी लगाने से कैदियों की झूठी मारपीट की शिकायतों को दूर करने में मदद मिलेगी.

दरअसल मोनू नामक एक कैदी ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि पिछले मार्च महीने में जेल उपाधीक्षक के दफ्तर में उसे लोहे के झूले में बांधकर एक घंटे से ज्यादा पिटाई की गई. कोर्ट ने कहा कि जेल उपाधीक्षक के दफ्तर में पिटाई के वाकये इसके पहले भी सामने आ चुके हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर जेल अधिकारियों के दफ्तर में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे तो झूठे आरोपों से निपटने में मदद मिलेगी और दफ्तर के कामकाज में पारदर्शिता भी आएगी.

डीजी ने कोर्ट में पेश अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जेल अधीक्षक और उपाधीक्षक के दफ्तरों में सीसीटीवी लगाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि इन दफ्तरों में अतिथियों के स्वागत के साथ विदेशी कैदियों से पूछताछ के लिए भी किया जाता है. इसलिए इनमें कैमरे नहीं लगाए गए हैं.

इस पर कोर्ट ने कहा कि यहां ऑडियो रिकार्डिंग करने की बात नहीं की जा रही है. जो भी रिकॉर्डिंग होगी, उन पर जेल प्राधिकारियों का पूरा नियंत्रण होगा. सीसीटीवी लगाने से न केवल कोर्ट का न्यायिक समय बचेगा बल्कि जेल अधिकारियों की ऊर्जा भी बचेगी.

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नई दिल्ली: दिल्ली की साकेत कोर्ट ने तिहाड़ जेल के महानिदेशक को निर्देश दिया है कि वो जेल अधीक्षक और जेल उपाधीक्षक के दफ्तर में सीसीटीवी लगाएं. एडिशनल सेशंस जज सोनू अग्निहोत्री ने कहा कि सीसीटीवी लगाने से कैदियों की झूठी मारपीट की शिकायतों को दूर करने में मदद मिलेगी.

दरअसल मोनू नामक एक कैदी ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि पिछले मार्च महीने में जेल उपाधीक्षक के दफ्तर में उसे लोहे के झूले में बांधकर एक घंटे से ज्यादा पिटाई की गई. कोर्ट ने कहा कि जेल उपाधीक्षक के दफ्तर में पिटाई के वाकये इसके पहले भी सामने आ चुके हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर जेल अधिकारियों के दफ्तर में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे तो झूठे आरोपों से निपटने में मदद मिलेगी और दफ्तर के कामकाज में पारदर्शिता भी आएगी.

डीजी ने कोर्ट में पेश अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जेल अधीक्षक और उपाधीक्षक के दफ्तरों में सीसीटीवी लगाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि इन दफ्तरों में अतिथियों के स्वागत के साथ विदेशी कैदियों से पूछताछ के लिए भी किया जाता है. इसलिए इनमें कैमरे नहीं लगाए गए हैं.

इस पर कोर्ट ने कहा कि यहां ऑडियो रिकार्डिंग करने की बात नहीं की जा रही है. जो भी रिकॉर्डिंग होगी, उन पर जेल प्राधिकारियों का पूरा नियंत्रण होगा. सीसीटीवी लगाने से न केवल कोर्ट का न्यायिक समय बचेगा बल्कि जेल अधिकारियों की ऊर्जा भी बचेगी.

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