नई दिल्ली: आरएमएल अस्पताल के कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ इस कोरोना काल में अपने नियोक्ता कंपनी के शोषण के शिकार हो रहे हैं. एक तो सुविधाएं और वेतन कम मिल रही है और जो मिल रही है. उनमें भी कटौती की जा रही है.
सैलरी से बिना बताए काटे 3000 रुपए
अस्पताल के कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ का आरोप है कि जुलाई महीने की सैलरी अगस्त महीने के आखिरी में दी गई है. इसमें भी हर स्टाफ की सैलरी से 3000 रुपये की अघोषित कटौती की गई है. सैलरी कटौती को लेकर कांट्रेक्चुअल स्टाफ में रोष का माहौल है.
आरएमएल हॉस्पिटल में डाटा एंट्री ऑपरेटर के तौर पर काम करने वाले प्रेम शंकर ने बताया कि इस कोरोना काल में जब पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ सहानुभूति रखने के बजाय उनकी आजीविका का एकमात्र साधन महीने के अंत में मिलने वाली सैलरी में भी कटौती की जा रही है.
दिल्ली सरकार के न्यूनतम वेतन के मुताबिक सभी कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ को 17,300 प्रति महीने देने का प्रावधान है. जुलाई महीने के पहले हर महीने इतनी सैलरी सबको मिलती थी, लेकिन इस बार जो जुलाई महीने की सैलरी अगस्त के आखिरी महीने में आई है.
बताया जा रहा है कि उसमें हर स्टाफ की सैलरी से 3000 से ज्यादा रुपए की कटौती की गई है. इसके बारे में कंपनी ने कुछ भी नहीं बताया कि किस मद में पैसे काटे गए हैं. अस्पताल में कांट्रेक्चुअल स्टाफ का पोषण के बजाय शोषण हो रहा है.
प्रधानमंत्री के आदेश के बावजूद लॉकडाउन में काटी गई सैलरी
कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी प्रेम शंकर ने बताया कि जिस समय कोरोना महामारी की वजह से पूरे देशभर में लॉकडाउन लगाया गया था. उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं निजी नियोक्ता कंपनियों से आग्रह किया था कि वो अपने कर्मचारियों की सैलरी नहीं काटेंगे. लेकिन इसके बावजूद लॉकडाउन के दौरान मार्च, अप्रैल और मई में जो कर्मचारी अपनी ड्यूटी नहीं कर पाए उनकी सैलरी काट ली गई.
उनका कहना है कि इसके बारे में कंपनी में कई बार शिकायत की. उन्हें इस बात का सबूत भी दिया कि वो जिस इलाके में रहते हैं. वहां पूरी तरह से लॉकडाउन लगा दिया गया है और आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को भी बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है. इनके बावजूद पैसे काटे जाते रहे है. प्रेम शंकर ने बताया कि कंटेनमेंट जोन में होने के बावजूद हर दिन का अटेंडेंस जमा की फिर भी उनकी सैलरी काट ली गई.
'पीएफ और ईएसआई की भी नहीं है सुविधा'
प्रेम शंकर ने बताया कि उनके कई ऐसे साथी हैं जिनको न तो पीएफ की सुविधा दी जा रही है और नहीं मेडिकल की सुविधा दी जा रही है. लेकिन इनके बदले में उनकी सैलरी से पैसे जरुर काटे जा रहे हैं. जिनका पीएफ का पैसा काटा जा रहा है.
उनके खाते में नहीं डाला जा रहा है, क्योंकि अभी तक किसी भी कर्मचारी को पीएफ नंबर नहीं दिया गया है. इमरजेंसी में किसी को कोई छुट्टी भी नहीं मिलती है. अगर किसी वजह से कोई छुट्टी कर लेता है, तो इसके पूरे पैसे काट लिए जाते हैं. रविवार को छोड़कर किसी भी कर्मचारी को चाहे कितनी भी मुसीबत क्यों ना आ जाए उन्हें कोई छुट्टी नहीं दी जाती है.
'नौकरी जाने का डर नहीं, न्याय मिलना चाहिए'
प्रेम शंकर को इस बात को मान रहे हैं कि अगर उनकी नौकरी चली जाए तो उन्हें कोई दुख नहीं होगा, लेकिन उनके साथ काम करने वाले कर्मचारियों को न्याय मिलना चाहिए. उनका कहना है कि इस कोरोना काल में अगर करोड़ों लोग बेरोजगार हुए हैं. तो उन करोड़ों लोगों में एक मेरा भी नाम जुड़ जाएगा. लेकिन हम सच्चाई को जरूर सामने लाएंगे.
नियम के मुताबिक साल में दो बार महंगाई भत्ता बढ़ाया जाता है, लेकिन अभी तक सिर्फ एक बार ही महंगाई भत्ता के रूप में कुछ सौ रुपये बढ़ाया गया है. 15 साल में एक बार महंगाई भत्ता बढ़ा है. जहां तक बोनस की बात है तो 10 साल में सिर्फ एक बार बोनस मिला है. हर बार दिवाली खाली जाती है, लेकिन बोनस नहीं मिलता.
प्रमोशन देकर डिमोट कर दिया जाता है
प्रेम शंकर ने कंपनी की मनमानी बताते हुए कहा कि कई बार कंपनी में प्रमोशन दिया जाता है, लेकिन बाद में जब सैलरी बढ़ाने की बात आती है. तो किसी न किसी बहाने से प्रमोशन को डिमोशन में बदल दिया जाता है. किसी भी कर्मचारी के पास ना तो कोई पहचान पत्र है. ना ही कोई सामाजिक सुरक्षा कार्ड है.
कोरोना महामारी के दौरान हमारे कई साथी कोरोना पॉजिटिव आए. उनके इलाज के दौरान जितनी छुट्टियां हुई उनके पैसे भी काट लिए गए. हमारे बहुत सारे साथी ऐसे हैं. जो बीमार होने के बावजूद सैलरी कटने के डर से काम पर आ रहे हैं. कंपनियों के शोषण का अंत होना चाहिए.