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सीवर सफाईकर्मियों की मौत पर घिरी केजरीवाल सरकार, लगे गंभीर आरोप

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष ने सीएम केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा. मनहर वालजी भाई जाला ने कहा कि सफाई कर्मचारियों तक सरकारी योजनाएं नहीं पहुंच पातीं.

सीवर सफाईकर्मियों की मौत पर घिरी केजरीवाल सरकार
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Published : Sep 24, 2019, 7:20 PM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की तरफ से सफाई कर्मचारियों को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा किए जाने वाले कार्यों की आज रिव्यू मीटिंग हुई. इस मीटिंग के बाद आयोग के अध्यक्ष मनहर वालजी भाई जाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने दिल्ली सरकार पर कई गंभीर सवाल खड़े किए.

सीवर सफाईकर्मियों की मौत पर घिरी केजरीवाल सरकार

मनहर वालजी भाई जाला ने दिल्ली में सीवर के अंदर घुसकर सफाई करते हुई सफाई कर्मचारियों की मौतों पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया. उन्होंने बताया कि मार्च 2017 से अब तक 38 सफाई कर्मचारियों की सीवर के अंदर घुस कर काम करते हुए मौत हो चुकी है, वहीं 2003 से 2019 तक के बीच यह संख्या 64 है.

'दिल्ली सरकार को दिए आदेश'
मनहर वालजी भाई जाला ने बताया कि इन 64 लोगों में से 46 लोग को 10 लाख का मुआवजा मिल चुका है, लेकिन बाकी लोगों को अभी भी नहीं दिया जा सका है. उन्होंने कहा कि इसे लेकर हमने दिल्ली सरकार को सख्त आदेश दिए हैं, जिसके बाद मुख्य सचिव की तरफ से आश्वासन दिया गया है कि एक हफ्ते में यह काम हो जाएगा.

आयुष्मान योजना का लाभ नहीं
मनहर वालजी भाई जाला ने ये भी कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से इन सफाई कर्मचारियों को न तो आयुष्मान योजना का लाभ मिल रहा है और ना ही उन्हें घर देने की केंद्र सरकार की योजना का. उन्होंने कहा कि 26 नवंबर 2017 को उपराज्यपाल के साथ हमारी मीटिंग हुई थी और उन्होंने हमें आश्वस्त किया था कि अब सीवर में कर्मचारियों की मौत नहीं होगी. लेकिन अब भी यह जारी है. उन्होंने यह भी कहा कि हमारी लेटेस्ट सर्वे रिपोर्ट में 50 लोग अब भी सीवर में काम करते हुए पाए गए हैं. बीते दिनों दिल्ली सरकार की तरफ से सीवर में घुसकर सफाई करने पर रोक लगाने के लिए मशीन युक्त गाड़ियां लांच की गई थीं. 200 गाड़ियों की बात थी. आयोग का कहना है कि उनमें से सिर्फ 116 गाड़ियां अभी तक सड़कों पर उतारी जा सकी हैं, वहीं इनमें से सिर्फ 38 गाड़ियां ही सफाई करते हुए मरने वाले लोगों के परिवारों को दी गईं हैं, बाकी गाड़ियों को अनुसूचित जाति, जनजाति और सामान्य वर्ग के लोगों को भी दिया गया है.

खाली पदों को लेकर सवाल
आयोग के अध्यक्ष ने ये भी कहा कि सफाई कर्मचारियों के कई पद अभी भी खाली हैं. साथ ही एमसीडी में भी कई पदों पर वैकेंसी है. उन्होंने कहा कि हमने इसे लेकर आदेश दिया है कि एक साल में सफाई कर्मचारियों के खाली पदों को भरा जाए, साथ ही उनकी सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक उन्नति को लेकर भी सरकार काम करे. उन्होंने कहा कि हमारे पास शिकायत आई है कि सभी को हेल्थ कार्ड इश्यू नहीं किया गया है, उसके लिए भी हमने आदेश दिया है.

आयोग के अध्यक्ष ने इसका भी जिक्र किया राजधानी दिल्ली में मैनुअल सीवर सफाई रोकने के लिए आयोग के अनुसार केंद्र सरकार की द्वारा फंडित 200 गाड़ियां सड़कों पर उतारने की बात थी. लेकिन उसे भी पूरी तरह से अमल में नहीं लाया जा सका है. इसके अलावा आयोग की तरफ से दिल्ली सरकार पर कई सवाल खड़े किए गए.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की तरफ से सफाई कर्मचारियों को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा किए जाने वाले कार्यों की आज रिव्यू मीटिंग हुई. इस मीटिंग के बाद आयोग के अध्यक्ष मनहर वालजी भाई जाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने दिल्ली सरकार पर कई गंभीर सवाल खड़े किए.

सीवर सफाईकर्मियों की मौत पर घिरी केजरीवाल सरकार

मनहर वालजी भाई जाला ने दिल्ली में सीवर के अंदर घुसकर सफाई करते हुई सफाई कर्मचारियों की मौतों पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया. उन्होंने बताया कि मार्च 2017 से अब तक 38 सफाई कर्मचारियों की सीवर के अंदर घुस कर काम करते हुए मौत हो चुकी है, वहीं 2003 से 2019 तक के बीच यह संख्या 64 है.

'दिल्ली सरकार को दिए आदेश'
मनहर वालजी भाई जाला ने बताया कि इन 64 लोगों में से 46 लोग को 10 लाख का मुआवजा मिल चुका है, लेकिन बाकी लोगों को अभी भी नहीं दिया जा सका है. उन्होंने कहा कि इसे लेकर हमने दिल्ली सरकार को सख्त आदेश दिए हैं, जिसके बाद मुख्य सचिव की तरफ से आश्वासन दिया गया है कि एक हफ्ते में यह काम हो जाएगा.

आयुष्मान योजना का लाभ नहीं
मनहर वालजी भाई जाला ने ये भी कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से इन सफाई कर्मचारियों को न तो आयुष्मान योजना का लाभ मिल रहा है और ना ही उन्हें घर देने की केंद्र सरकार की योजना का. उन्होंने कहा कि 26 नवंबर 2017 को उपराज्यपाल के साथ हमारी मीटिंग हुई थी और उन्होंने हमें आश्वस्त किया था कि अब सीवर में कर्मचारियों की मौत नहीं होगी. लेकिन अब भी यह जारी है. उन्होंने यह भी कहा कि हमारी लेटेस्ट सर्वे रिपोर्ट में 50 लोग अब भी सीवर में काम करते हुए पाए गए हैं. बीते दिनों दिल्ली सरकार की तरफ से सीवर में घुसकर सफाई करने पर रोक लगाने के लिए मशीन युक्त गाड़ियां लांच की गई थीं. 200 गाड़ियों की बात थी. आयोग का कहना है कि उनमें से सिर्फ 116 गाड़ियां अभी तक सड़कों पर उतारी जा सकी हैं, वहीं इनमें से सिर्फ 38 गाड़ियां ही सफाई करते हुए मरने वाले लोगों के परिवारों को दी गईं हैं, बाकी गाड़ियों को अनुसूचित जाति, जनजाति और सामान्य वर्ग के लोगों को भी दिया गया है.

खाली पदों को लेकर सवाल
आयोग के अध्यक्ष ने ये भी कहा कि सफाई कर्मचारियों के कई पद अभी भी खाली हैं. साथ ही एमसीडी में भी कई पदों पर वैकेंसी है. उन्होंने कहा कि हमने इसे लेकर आदेश दिया है कि एक साल में सफाई कर्मचारियों के खाली पदों को भरा जाए, साथ ही उनकी सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक उन्नति को लेकर भी सरकार काम करे. उन्होंने कहा कि हमारे पास शिकायत आई है कि सभी को हेल्थ कार्ड इश्यू नहीं किया गया है, उसके लिए भी हमने आदेश दिया है.

आयोग के अध्यक्ष ने इसका भी जिक्र किया राजधानी दिल्ली में मैनुअल सीवर सफाई रोकने के लिए आयोग के अनुसार केंद्र सरकार की द्वारा फंडित 200 गाड़ियां सड़कों पर उतारने की बात थी. लेकिन उसे भी पूरी तरह से अमल में नहीं लाया जा सका है. इसके अलावा आयोग की तरफ से दिल्ली सरकार पर कई सवाल खड़े किए गए.

Intro:राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की तरफ से सफाई कर्मचारियों को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा किए जाने वाले कार्यों की आज रिव्यू मीटिंग हुई. इस मीटिंग के बाद आयोग के अध्यक्ष मनहर वालजी भाई ज़ाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया, जिसमें उन्होंने दिल्ली सरकार पर कई गंभीर सवाल खड़े किए.


Body:नई दिल्ली: मनहर वालजी भाई ज़ाला ने दिल्ली में सीवर के अंदर घुसकर सफाई करते हुई सफाई कर्मचारियों की मौतों पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया. उन्होंने बताया कि मार्च 2017 से अब तक 38 सफाई कर्मचारियों की सीवर के अंदर घुस कर काम करते हुए मौत हो चुकी है, वहीं 2003 से 2019 तक के बीच यह संख्या 64 है.

उन्होंने बताया कि इन 64 लोगों में से 46 लोग को 10 लाख का मुआवजा मिल चुका है, लेकिन बाकी लोगों को अभी भी नहीं दिया जा सका है. उन्होंने कहा कि इसे लेकर हमन दिल्ली सरकार को सख्त आदेश दिए हैं, जिसके बाद मुख्य सचिव की तरफ से आश्वासन दिया गया है कि एक हफ्ते में यह काम हो जाएगा.

मनहर वालजी भाई ज़ाला ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से इन सफाई कर्मचारियों को न तो आयुष्मान योजना का लाभ मिल रहा है और ना ही उन्हें घर देने की केंद्र सरकार की योजना का. उन्होंने कहा कि 26 नवंबर 2017 को उपराज्यपाल के साथ हमारी मीटिंग हुई थी और उन्होंने हमें आश्वस्त किया था कि अब सीवर में कर्मचारियों की मौत नहीं होगी. लेकिन अब भी यह जारी है. उन्होंने यह भी कहा कि हमारी लेटेस्ट सर्वे रिपोर्ट में 50 लोग अब भी सीवर में काम करते हुए पाए गए हैं.

बीते दिनों दिल्ली सरकार की तरफ से सीवर में घुसकर सफाई करने पर रोक लगाने के लिए मशीन युक्त गाड़ियां लांच की गई थीं. 200 गाड़ियों की बात थी, आयोग का कहना है कि उनमें से सिर्फ 116 गाड़ियां अभी तक सड़कों पर उतारी जा सकी हैं, वहीं इनमें से सिर्फ 38 गाड़ियां ही सफाई करते हुए मरने वाले लोगों के परिवारों को दी गईं हैं, बाकी गाड़ियों को अनुसूचित जाति, जनजाति और सामान्य वर्ग के लोगों को भी दिया गया है.

उन्होंने यह भी कहा कि सफाई कर्मचारियों के कई पद अभी भी खाली हैं. साथ ही एमसीडी में भी कई पदों पर वैकेंसी है. उन्होंने कहा कि हमने इसे लेकर आदेश दिया है कि एक साल में सफाई कर्मचारियों के खाली पदों को भरा जाए, साथ ही उनकी सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक उन्नति को लेकर भी सरकार काम करे. उन्होंने कहा कि हमारे पास शिकायत आई है कि सभी को हेल्थ कार्ड इश्यू नहीं किया गया है, उसके लिए भी हमने आदेश दिया है.


Conclusion:आयोग के अध्यक्ष ने इसका भी जिक्र किया राजधानी दिल्ली में मैनुअल सीवर सफाई रोकने के लिए आयोग के अनुसार केंद्र सरकार की द्वारा फंडित 200 गाड़ियां सड़कों पर उतारने की बात थी. लेकिन उसे भी पूरी तरह से अमल में नहीं लाया जा सका है. इसके अलावा आयोग की तरफ से दिल्ली सरकार पर कई सवाल खड़े किए गए.
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