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दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती का मामला, डॉ हंसराज सुमन ने कुलपति को लिखा पत्र

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Published : Feb 7, 2023, 10:33 PM IST

दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) शिक्षक संघ के मुताबिक डीयू में 5 हजार से अधिक स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है. इन शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति ना हो पाने के कारण वे बेहद तनाव में रहते हैं

Delhi University
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नई दिल्ली: फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र के माध्यम से दिल्ली सरकार के उन कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है, जिन कॉलेजों में स्थाई या कार्यवाहक प्रिंसिपल है. उन्होंने बताया कि पूर्व में भी कार्यवाहक या अस्थाई प्रिंसिपल द्वारा शिक्षकों की नियुक्तियां होती रही हैं.

फोरम ने कुलपति से अनुरोध किया है कि 31 अगस्त 2022 को असिस्टेंट रजिस्ट्रार द्वारा कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के चेयरपर्सन को सर्कुलर जारी कर कहा गया था कि जहां पर एक्टिंग या ऑफिस सेटिंग प्रिंसिपल है, वहां पर टीचिंग और नॉन टीचिंग के पदों पर स्थाई नियुक्ति तब तक ना की जाए, जब तक अस्थाई प्रिंसिपल की नियुक्ति ना हो जाए. साथ ही इस सर्कुलर में यह भी कहा गया था कि प्रिंसिपल अपने यहां टीचिंग पदों के लिए विज्ञापन निकाले उनके अनुसार जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन अपना सर्कुलर वापस नहीं लेती और फिर से सर्कुलर जारी कर स्थाई नियुक्ति के निर्देश नहीं देती. दिल्ली सरकार के इन कॉलेजों में नियुक्ति संभव नहीं है.

डॉ हंसराज सुमन ने कुलपति को लिखे पत्र में बताया कि जिन कॉलेजों में ऑफिस सेटिंग प्रिंसिपल हैं, उन्होंने अपने यहां शिक्षकों के स्थाई पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाल दिए हैं, अभी उन कॉलेजों में स्क्रीनिंग का काम जोरों पर चल रहा है. बहुत से कॉलेज में स्क्रीनिंग की प्रक्रिया पूरी भी कर ली गई है, लेकिन उन कॉलेज में स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया तब तक शुरू नहीं की जा सकती जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन उन कॉलेजों के प्रिंसिपल को सर्कुलर जारी कर नियुक्ति का निर्देश नहीं देता.

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डॉ सुमन ने बताया कि जिन कॉलेजों में स्थाई सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति की जानी है उन कॉलेजों में भीमराव अंबेडकर कॉलेज महाराजा अग्रसेन कॉलेज मोतीलाल नेहरू कॉलेज(इवनिंग) श्री अरबिंदो कॉलेज( इवनिंग) सत्यवती सहशिक्षा कॉलेज सत्यवती सहशिक्षा कॉलेज इवनिंग, श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज कमला नेहरू कॉलेज शिवाजी कॉलेज राजधानी कॉलेज शहीद भगत सिंह कॉलेज ( इवनिंग)के अलावा कुछ अन्य कॉलेज हैं, जहां स्थाई नियुक्तियों के लिए विज्ञापन निकाले गए हैं. इन कॉलेजों में स्क्रीनिंग वह स्क्रुटनी होने के बावजूद स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया इसलिए संभव नहीं हो पा रही है, क्योंकि इन कॉलेजों में अस्थाई प्रिंसिपल है. यदि इन पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई तो विज्ञापन की समय सीमा समाप्त हो जाएगी. विज्ञापन रद्द होते ही दुबारा विज्ञापन के लिए पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा, जिसमें काफी समय बर्बाद होगा साथ ही अभ्यर्थियों के धन और समय की भी बर्बादी होगी.

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डॉ सुमन ने बताया है कि पिछले एक दशक से भी अधिक समय से खाली पदों पर पढ़ा रहे 5000 एडहॉक शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति ना हो पाने के कारण वे बेहद तनाव में रहते हैं, जिससे शिक्षण कार्य भी प्रभावित होता है. इन शिक्षकों में अधिकांश ने कुल नौकरी का आधा हिस्सा व्यतीत भी कर लिया है और आज उन शिक्षकों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है. उन्होंने बताया कि विवेकानंद कॉलेज में तो एक शिक्षिका एक शिक्षक के रूप में ही अपने निर्धारित सेवाएं पूरी कर सेवा मुक्त हो चुकी है. अभी स्थिति यह है कि 45 से 50 वर्ष के बीच की उम्र के एडहॉक शिक्षकों की काफी संख्या है. गुरु नानक देव कॉलेज मैत्री कॉलेज राम लाल आनंद कॉलेज स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में 50 से भी ज्यादा उम्र के शिक्षक हैं, यह सभी शिक्षक स्थाई होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

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नई दिल्ली: फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र के माध्यम से दिल्ली सरकार के उन कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है, जिन कॉलेजों में स्थाई या कार्यवाहक प्रिंसिपल है. उन्होंने बताया कि पूर्व में भी कार्यवाहक या अस्थाई प्रिंसिपल द्वारा शिक्षकों की नियुक्तियां होती रही हैं.

फोरम ने कुलपति से अनुरोध किया है कि 31 अगस्त 2022 को असिस्टेंट रजिस्ट्रार द्वारा कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के चेयरपर्सन को सर्कुलर जारी कर कहा गया था कि जहां पर एक्टिंग या ऑफिस सेटिंग प्रिंसिपल है, वहां पर टीचिंग और नॉन टीचिंग के पदों पर स्थाई नियुक्ति तब तक ना की जाए, जब तक अस्थाई प्रिंसिपल की नियुक्ति ना हो जाए. साथ ही इस सर्कुलर में यह भी कहा गया था कि प्रिंसिपल अपने यहां टीचिंग पदों के लिए विज्ञापन निकाले उनके अनुसार जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन अपना सर्कुलर वापस नहीं लेती और फिर से सर्कुलर जारी कर स्थाई नियुक्ति के निर्देश नहीं देती. दिल्ली सरकार के इन कॉलेजों में नियुक्ति संभव नहीं है.

डॉ हंसराज सुमन ने कुलपति को लिखे पत्र में बताया कि जिन कॉलेजों में ऑफिस सेटिंग प्रिंसिपल हैं, उन्होंने अपने यहां शिक्षकों के स्थाई पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाल दिए हैं, अभी उन कॉलेजों में स्क्रीनिंग का काम जोरों पर चल रहा है. बहुत से कॉलेज में स्क्रीनिंग की प्रक्रिया पूरी भी कर ली गई है, लेकिन उन कॉलेज में स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया तब तक शुरू नहीं की जा सकती जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन उन कॉलेजों के प्रिंसिपल को सर्कुलर जारी कर नियुक्ति का निर्देश नहीं देता.

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डॉ सुमन ने बताया कि जिन कॉलेजों में स्थाई सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति की जानी है उन कॉलेजों में भीमराव अंबेडकर कॉलेज महाराजा अग्रसेन कॉलेज मोतीलाल नेहरू कॉलेज(इवनिंग) श्री अरबिंदो कॉलेज( इवनिंग) सत्यवती सहशिक्षा कॉलेज सत्यवती सहशिक्षा कॉलेज इवनिंग, श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज कमला नेहरू कॉलेज शिवाजी कॉलेज राजधानी कॉलेज शहीद भगत सिंह कॉलेज ( इवनिंग)के अलावा कुछ अन्य कॉलेज हैं, जहां स्थाई नियुक्तियों के लिए विज्ञापन निकाले गए हैं. इन कॉलेजों में स्क्रीनिंग वह स्क्रुटनी होने के बावजूद स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया इसलिए संभव नहीं हो पा रही है, क्योंकि इन कॉलेजों में अस्थाई प्रिंसिपल है. यदि इन पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई तो विज्ञापन की समय सीमा समाप्त हो जाएगी. विज्ञापन रद्द होते ही दुबारा विज्ञापन के लिए पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा, जिसमें काफी समय बर्बाद होगा साथ ही अभ्यर्थियों के धन और समय की भी बर्बादी होगी.

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डॉ सुमन ने बताया है कि पिछले एक दशक से भी अधिक समय से खाली पदों पर पढ़ा रहे 5000 एडहॉक शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति ना हो पाने के कारण वे बेहद तनाव में रहते हैं, जिससे शिक्षण कार्य भी प्रभावित होता है. इन शिक्षकों में अधिकांश ने कुल नौकरी का आधा हिस्सा व्यतीत भी कर लिया है और आज उन शिक्षकों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है. उन्होंने बताया कि विवेकानंद कॉलेज में तो एक शिक्षिका एक शिक्षक के रूप में ही अपने निर्धारित सेवाएं पूरी कर सेवा मुक्त हो चुकी है. अभी स्थिति यह है कि 45 से 50 वर्ष के बीच की उम्र के एडहॉक शिक्षकों की काफी संख्या है. गुरु नानक देव कॉलेज मैत्री कॉलेज राम लाल आनंद कॉलेज स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में 50 से भी ज्यादा उम्र के शिक्षक हैं, यह सभी शिक्षक स्थाई होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

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