नई दिल्ली: राजधानी में प्रत्येक वर्ष एक लाख से ज्यादा चोरी की वारदातें होती हैं. वहीं दो हजार से ज्यादा चोरी की घटनाएं केवल घरों में होती हैं. इसके अलावा लूट एवं झपटमारी की वारदात भी बड़ी संख्या में होती हैं. ऐसी वारदातों को सुलझाना पुलिस के लिए आसान नहीं होता. सूत्रों की मानें तो चोरी की महज 20 फीसदी वारदातों को ही पुलिस सुलझा पाती है. इनमें भी चोरी के सामान की बरामदगी की बात करें तो वह पुलिस के लिए बेहद मुश्किल होता है. पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद बरामदगी के मामलों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हो पा रही है.
पूर्व एसीपी वेदभूषण ने बताया कि चोरी की घटनाओं में पुलिस आरोपी को पकड़ने के बाद बरामदगी का प्रयास करती है. अधिकांश चोर घर से नगदी एवं गहने ही चोरी करते हैं. गहनों को वह जिस सुनार को बेचते हैं वह उसे पिघला देता है. इससे चोरी हुए गहनों को बरामद करने की संभावना खत्म हो जाती है. वहीं चोरी की गई नगदी को आरोपी खर्च कर देते हैं, इसके चलते नगदी भी बरामद नहीं हो पाती. घर से चोरी किये गए अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान को आरोपी कबाड़ी को बेच देते हैं. कबाड़ी इसे अंजान लोगों को बेच देते हैं जिसके चलते उसकी बरामदगी भी मुश्किल हो जाती है.
पुलिस कमिश्नर ने की महत्वपूर्ण पहल
एसीपी वेद भूषण ने बताया कि चोरी के मामले में अगर सामान बरामद भी हो जाता है तो उसे लेने के लिए पीड़ित को अदालत के समक्ष याचिका दायर करनी पड़ती है. अदालत की अनुमति के बाद यह सुपरदारी पर उसे मिल जाता है. लेकिन कई बार ऐसे मामले भी देखने में आते हैं जब सामान मालखाने में ही पड़ा रहता है.
ये भी पढ़ें:-दिल्ली सिविल डिफेंस के वॉलंटियर को गांजा तस्करी के लिए पुलिस ने किया गिरफ्तार
ऐसे मामलों को निपटाने के लिए दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव की तरफ से महत्वपूर्ण पहल की गई है. बीते कुछ महीनों में माल खाने में रखी हुई करोड़ों की संपत्ति उसके असली मालिकों को पुलिस द्वारा लौटाई गई है. इनमें नगदी, गहने एवं अन्य कीमती सामान शामिल हैं. पुलिस कमिश्नर की इस पहल का सभी जगह स्वागत किया गया है और यह उम्मीद जताई जा रही है कि भविष्य में भी इसी तरीके से पुलिस लोगों के लिए काम करेगी.
चोरी के मामले सुलझते हैं लगभग 20 फीसदी
अपराध | वर्ष 2019 | वर्ष 2020 |
घर में चोरी की घटनाएं | 2291 | 1657 |
अन्य चोरी की घटनाएं | 157727 | 108552 |
लूट | 1703 | 1606 |
झपटमारी | 5307 | 6318 |
(सभी आंकड़े 31 अक्टूबर तक के)