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हेड ऑन जेनरेशन से रेलवे को होगा फायदा, दिल्ली मंडल ने 44 ट्रेनों के लिए अपनाई प्रणाली - अजय माइकल

उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने हेड ऑन जेनरेशन प्रणाली पर 44 ट्रेनों में 54 रैक को परिवर्तित कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. इस तकनीक को अब एल.एच.बी कोचों वाली सभी ट्रेनों में शुरू किया गया है.

head on generation
हेड ऑन जेनरेशन
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Published : Jul 9, 2020, 10:37 PM IST

नई दिल्ली: पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करने और बिजली बचाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने अपनी 44 ट्रेनों के लिए हेड ऑन जनरेशन प्रणाली का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. इस प्रणाली के जरिए पैंटोग्राफ के माध्यम से ट्रेन इंजन तक बिजली की लाइनों से ली गई, बिजली का उपयोग इंजन को चलाने और डिब्बों को खींचने के लिए किया जाता है. इससे बिजली की बचत होती है और एक्स्ट्रा एसी कोच जोड़ने की सहूलियत के साथ मुनाफा भी होता है.



रेल अधिकारियों की भी पसंद

दिल्ली मंडल के जनसंपर्क अधिकारी अजय माइकल ने जानकारी देते हुए कहा कि यह प्रणाली कई मायनों में फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि परिचालन की लागत में कमी और राजस्व की वृद्धि की वजह से यह रेल अधिकारियों को भी खूब पसंद आती है. माइकल ने कहा कि इस प्रणाली में एक पावर कार को हटाया भी जा सकता है. इसके साथ ही इस प्रणाली में ट्रेन के साथ एक एक्स्ट्रा एसी कोच लगाया जा सकता है.



डीजल खपत कम

उधर दिल्ली मंडल रेल प्रबंधक एस सी जैन ने कहा कि हेड ऑन जनरेशन प्रणाली के साथ जनरेटर कारों की डीजल खपत पर हर साल करीब 65 करोड़ की बचत की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि यह रेलवे के लिए फायदेमंद है.

नई दिल्ली: पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करने और बिजली बचाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने अपनी 44 ट्रेनों के लिए हेड ऑन जनरेशन प्रणाली का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. इस प्रणाली के जरिए पैंटोग्राफ के माध्यम से ट्रेन इंजन तक बिजली की लाइनों से ली गई, बिजली का उपयोग इंजन को चलाने और डिब्बों को खींचने के लिए किया जाता है. इससे बिजली की बचत होती है और एक्स्ट्रा एसी कोच जोड़ने की सहूलियत के साथ मुनाफा भी होता है.



रेल अधिकारियों की भी पसंद

दिल्ली मंडल के जनसंपर्क अधिकारी अजय माइकल ने जानकारी देते हुए कहा कि यह प्रणाली कई मायनों में फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि परिचालन की लागत में कमी और राजस्व की वृद्धि की वजह से यह रेल अधिकारियों को भी खूब पसंद आती है. माइकल ने कहा कि इस प्रणाली में एक पावर कार को हटाया भी जा सकता है. इसके साथ ही इस प्रणाली में ट्रेन के साथ एक एक्स्ट्रा एसी कोच लगाया जा सकता है.



डीजल खपत कम

उधर दिल्ली मंडल रेल प्रबंधक एस सी जैन ने कहा कि हेड ऑन जनरेशन प्रणाली के साथ जनरेटर कारों की डीजल खपत पर हर साल करीब 65 करोड़ की बचत की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि यह रेलवे के लिए फायदेमंद है.

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