नई दिल्ली: DU के हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद पर वरिष्ठता की लड़ाई जारी है. जिसके कारण अभी तक इस पद पर किसी भी प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हो पाई है. जिसको लेकर तमाम छात्र और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आवाज उठा रहे हैं और इस पद पर जल्द से जल्द नियुक्ति की मांग कर रहे हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय के तमाम कॉलेजों के छात्रों, प्रोफेसरों का कहना है कि प्रोफेसर स्वराज सिंह बेचैन जोकि इस पद के लिए वरिष्ठ हैं और योग्य हैं उनकी नियुक्ति दी जानी चाहिए. लेकिन क्योंकि वह दलित कम्युनिटी से आते हैं इसीलिए डीयू प्रशासन उनकी नियुक्ति नहीं कर रहा है.
दो प्रोफेसरों के बीच वरिष्ठता की लड़ाई
हिंदी विभाग में नियुक्ति को लेकर प्रोफेसर केएन तिवारी ने भी अपनी वरिष्ठता को लेकर दावा किया है. लेकिन तमाम प्रोफेसर इसे मानने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि डीयू प्रशासन जानबूझकर किसी दलित को अध्यक्ष पद पर नियुक्ति नहीं कर रहा है जो कि हम नहीं होने देंगे दिल्ली विश्वविद्यालय में जातिवाद हम नहीं चलने देंगे.
तमाम संगठन मार्च में हुए शामिल
इसी कड़ी में दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में आर्ट फैकल्टी से लेकर वीसी ऑफिस तक तमाम संगठनों ने मौन मार्च निकाला. जिसमें फोरम ऑफ एकेडमिक्स फॉर सोशल जस्टिस, यूथ फॉर सोशल जस्टिस, एसडीटीएफ, एससी, एसटी टीचर्स एसोसिएशन, शोधार्थी, छात्रों के अलावा कई सामाजिक संगठन इसमें शामिल हुए.
31 अक्टूबर के बाद करेंगे बड़ा आंदोलन
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जिस प्रकार 13 सितंबर को नए अध्यक्ष की हिंदी विभाग में नियुक्ति होनी थी, लेकिन वह नहीं हुई है. जो प्रोफेसर वरिष्ठ हैं वह एक दलित कम्युनिटी से आते हैं इसलिए दिल्ली विश्वविद्यालय ने नियुक्ति रोकी है. जिसका हम सरासर विरोध करते हैं. प्रदर्शनकारियों ने चुनौती भरे लहजे में कहा कि हम दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को 21 अक्टूबर तक का समय देते हैं अगर नियुक्ति नहीं होती है तो हम बड़ा आंदोलन करेंगे.