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ओपन बुक परीक्षा: रामानुजन कॉलेज के प्रिंसिपल ने किया स्वागत, कहा- 'नीड ऑफ द आवर'

डीयू में होने जा रही ओपन बुक परीक्षा को लेकर कई शिक्षक, छात्र और दिव्यांग छात्रों ने आपत्ति जताई थी, वहीं रामानुजन कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. एसपी अग्रवाल ने इसका स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा लेने का इससे बेहतर कोई विकल्प नहीं.

DU's open book examination
ओपन बुक परीक्षा का सपोर्ट
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Published : Jun 9, 2020, 9:40 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले सभी कॉलेजों में पढ़ने वाले फाइनल ईयर के छात्रों की 1 जुलाई से ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा लेने का फैसला किया गया है. जहां इस परीक्षा को लेकर कई शिक्षक, छात्र और दिव्यांग छात्रों ने आपत्ति जताई थी, वहीं रामानुजन कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. एसपी अग्रवाल ने इसका स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा लेने का इससे बेहतर कोई विकल्प नहीं.

ओपन बुक परीक्षा का सपोर्ट

साथ ही प्रो. एसपी अग्रवाल ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है कि जिन छात्रों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है उनके लिए उनके आसपास के इलाकों से सहायता ली जा सके. साथ ही कहा कि अगर फिर भी कोई छात्र परीक्षा देने में असक्षम होता है तो उसके लिए भी विश्वविद्यालय विकल्प पर विचार कर रहा है.


ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा समय की जरूरत
ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा को लेकर रामानुजन कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. एसपी अग्रवाल ने कहा कि जिस तरह के हालात इस समय बने हुए हैं, ऐसे में ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा समय की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बिना परीक्षा फाइनल ईयर के छात्रों को पास कर देना उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा और परीक्षा कॉलेज में आयोजित की नहीं जा सकती. ऐसे में ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा ही सबसे बेहतर विकल्प है.

ऑनलाइन क्लास में 90 फीसदी हाजिरी रही है

परीक्षार्थियों को होने वाली सभी परेशानियों को लेकर उन्होंने कहा कि जहां तक सिलेबस का सवाल है तो उन्होंने दावा किया है कि रामानुजन कॉलेज के सभी शिक्षकों ने मार्च से ही छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाना शुरू कर दिया था, जिसमें 90 फीसदी छात्रों ने ये क्लासेस ली हैं और उनका सिलेबस भी पूरा है. साथ ही उन्होंने कहा कि इंटरनेट की सुविधा को लेकर भी पूरी कोशिश की जा रही है कि जहां भी छात्र गए हैं अगर छात्रों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है तो लोकल इंटरनेट सेंटर से बात कर छात्रों को वहां परीक्षा देने की सुविधा दी जा सके.

दिव्यांग छात्रों को दी गई है विशेष सहूलियत

प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि जहां तक दिव्यांग छात्रों की बात है, उन्हें अतिरिक्त समय के साथ-साथ और भी कई तरह की सहूलियत दी गई है. वो अपने साथ राइटर भी ले जा सकते हैं, कंप्यूटर सेंटर से परीक्षा भी दे सकते हैं. बाबत इसके यदि उन्हें किसी भी तरह की परेशानी होती है तो उसके लिए भी विश्वविद्यालय प्रशासन और कॉलेज प्रशासन हर तरह से मदद के लिए तैयार है.

वहीं प्रो. अग्रवाल ने बताया कि अगर संसाधन की कमी या कोरोना के चलते हुई मानसिक स्थिति के चलते कोई छात्र ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा नहीं दे पाता है तो उसके लिए फिजिकल परीक्षा आयोजन पर विचार चल रहा है.

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले सभी कॉलेजों में पढ़ने वाले फाइनल ईयर के छात्रों की 1 जुलाई से ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा लेने का फैसला किया गया है. जहां इस परीक्षा को लेकर कई शिक्षक, छात्र और दिव्यांग छात्रों ने आपत्ति जताई थी, वहीं रामानुजन कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. एसपी अग्रवाल ने इसका स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा लेने का इससे बेहतर कोई विकल्प नहीं.

ओपन बुक परीक्षा का सपोर्ट

साथ ही प्रो. एसपी अग्रवाल ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है कि जिन छात्रों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है उनके लिए उनके आसपास के इलाकों से सहायता ली जा सके. साथ ही कहा कि अगर फिर भी कोई छात्र परीक्षा देने में असक्षम होता है तो उसके लिए भी विश्वविद्यालय विकल्प पर विचार कर रहा है.


ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा समय की जरूरत
ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा को लेकर रामानुजन कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. एसपी अग्रवाल ने कहा कि जिस तरह के हालात इस समय बने हुए हैं, ऐसे में ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा समय की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बिना परीक्षा फाइनल ईयर के छात्रों को पास कर देना उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा और परीक्षा कॉलेज में आयोजित की नहीं जा सकती. ऐसे में ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा ही सबसे बेहतर विकल्प है.

ऑनलाइन क्लास में 90 फीसदी हाजिरी रही है

परीक्षार्थियों को होने वाली सभी परेशानियों को लेकर उन्होंने कहा कि जहां तक सिलेबस का सवाल है तो उन्होंने दावा किया है कि रामानुजन कॉलेज के सभी शिक्षकों ने मार्च से ही छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाना शुरू कर दिया था, जिसमें 90 फीसदी छात्रों ने ये क्लासेस ली हैं और उनका सिलेबस भी पूरा है. साथ ही उन्होंने कहा कि इंटरनेट की सुविधा को लेकर भी पूरी कोशिश की जा रही है कि जहां भी छात्र गए हैं अगर छात्रों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है तो लोकल इंटरनेट सेंटर से बात कर छात्रों को वहां परीक्षा देने की सुविधा दी जा सके.

दिव्यांग छात्रों को दी गई है विशेष सहूलियत

प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि जहां तक दिव्यांग छात्रों की बात है, उन्हें अतिरिक्त समय के साथ-साथ और भी कई तरह की सहूलियत दी गई है. वो अपने साथ राइटर भी ले जा सकते हैं, कंप्यूटर सेंटर से परीक्षा भी दे सकते हैं. बाबत इसके यदि उन्हें किसी भी तरह की परेशानी होती है तो उसके लिए भी विश्वविद्यालय प्रशासन और कॉलेज प्रशासन हर तरह से मदद के लिए तैयार है.

वहीं प्रो. अग्रवाल ने बताया कि अगर संसाधन की कमी या कोरोना के चलते हुई मानसिक स्थिति के चलते कोई छात्र ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा नहीं दे पाता है तो उसके लिए फिजिकल परीक्षा आयोजन पर विचार चल रहा है.

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