नई दिल्ली: दिल्ली सरकार बहुत जल्द राजधानी में क्लाउड किचन योजना लाने जा रही है. इससे दिल्ली में चल रहे करीब 20 हजार क्लाउड किचन और वहां काम करने वाले करीब 4 लाख लोगों को सीधा लाभ मिलेगा. बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में इंडिपेंडेंट फूड आउटलेट (क्लाउड किचन) के संचालन को लेकर चल रहे विभिन्न पहल की समीक्षा बैठक हुई. इस दौरान मुख्यमंत्री ने इस योजना के लिए बनाए गए श्वेत पत्र (वाइट पेपर) को मंजूरी दे दी है.
इस योजना को अंतिम रूप देने से पहले दिल्ली सरकार यहां के नागरिकों और क्लाउड किचन से जुड़े व्यापारियों के सुझाव लेगी. इसके बाद क्लाउड किचन पॉलिसी को अंतिम रूप देकर इसे दिल्ली में लागू कर दिया जाएगा. समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इंडिपेंडेंट फ़ूड आउटलेट (क्लाउड किचन) के विनियमन के लिए योजना लाई जाएगी, ताकि इस क्षेत्र में भी पर्याप्त रोजगार पैदा हो सकें.
उन्होंने कहा कि इस योजना के लागू होने से दिल्ली में क्लाउड किचन को कानूनी रूप दिया जाएगा. इससे क्लाउड किचन संचालित करने वाले और बिजनेस शुरू करने वालों को सरकार के किसी भी विभाग से लाइसेंस लेने के लिए परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. वे दिल्ली सरकार के एक ही पोर्टल पर अलग-अलग विभाग के लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकेंगे. सीएम ने कहा कि इस पॉलिसी के आने से दिल्ली की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. समीक्षा बैठक में उद्योग मंत्री सौरभ भारद्वाज के साथ विभिन्न विभाग के उच्चाधिकारी भी मौजूद रहे.
मौजूदा क्लाउड किचन को कानूनी रूप देगी सरकार: अक्सर लोग जोमैटो-स्विगी या अन्य मोबाइल ऐप से खाना मंगवाते हैं. मगर यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि इस तरह का खाना ज्यादातर छोटे-छोटे क्लाउड किचन के अंदर बनाया जाता है. जो व्यापारी इन क्लाउड किचन को संचालित करते हैं, उन्हें सरकार की अलग-अलग संस्थाओं एमसीडी, पुलिस, फायर डिपार्टमेंट, डीडीए में लाइसेंस के लिए आवेदन करना पड़ता है.
इस प्रक्रिया में व्यापारियों को कई तरह की परेशानियां भी झेलनी पड़ती हैं, क्योंकि यह एक नई पहल है और इस विषय में सरकार की अब तक कोई ठोस योजना या नीति नहीं बनी हुई थी. इसके कारण कुछ लोग बिना लाइसेंस के ही गैर-कानूनी रूप से ही क्लाउड किचन संचालित कर रहे थे. मगर अब दिल्ली सरकार इस पहल को कानूनी रूप देने व व्यवसायियों की जिंदगी को आसान बनाने के लिए क्लाउड किचन योजना लेकर आ रही है.
ईज-ऑफ डूइंग बिजनेस को मिलेगी बढ़ावा: आज देशभर में क्लाउड किचन काफी प्रचिलित है, मगर इसके लिए कोई ढांचा तैयार नहीं किया गया है. वर्तमान में जो लोग क्लाउड किचन संचालित कर रहे हैं, उन्हें सरकार के अलग-अलग विभाग के कई लाइसेंस लेने होते हैं. इसके लिए उन्हें हर विभाग के दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे. मगर दिल्ली सरकार ने लोगों के लिए बिजनेस करना आसान बनाना चाहती है और इसी उद्देश्य से दिल्ली के अंदर क्लाउड किचन योजना लाई जा रही है.
इसके चलते जिन लोगों को खाने से संबंधित बिजनेस शुरू करना है, वे दिल्ली सरकार के पोर्टल पर जाकर विभिन्न लाइसेंस के लिए एक साथ आवेदन कर सकेंगे. इससे उन्हें अलग-अलग सरकारी लाइसेंस प्राप्त करने के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे और उनका काम आसानी से हो सकेगा. इसके अलावा उन्हें इसी पोर्टल पर ही अपने आवेदन की स्थिति भी पता लग सकेगी.
20 हजार से ज्यादा क्लाउड किचन हो रहे संचालित: दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में मौजूदा समय में लगभग 20 हजार क्लाउड किचन व स्वतंत्र फूड आउटलेट्स चलाए जा रहे हैं. इसमें लगभग 4 लाख लोग काम कर रहे हैं या किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं. इनमें ज्यादातर फूड आउटलेट्स ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्र या व्यवसायिक संपत्तियों पर बने हुए हैं और अपने भोजन को ऑनलाइन माध्यम से बेचते हैं. आमतौर पर एक सामान्य स्वतंत्र फूड आउटलेट का आकार 600 वर्ग फुट से लेकर 2,000 वर्ग फुट के बीच बताया गया है.
क्लाउड किचन का काम कर रहे व करने के इच्छुक ज्यादातर व्यापारियों को इससे जुड़े जरूरी लाइसेंस की जानकारी भी नहीं होती है. ऐसे में दिल्ली सरकार का उद्देश्य यही है कि वो विनियमों को कम कर क्लाउड किचन के विकास और आधुनिकीकरण के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करे, जिससे व्यापार करने में आसानी हो और राजधानी की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिले.
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