नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे मामले की सुनवाई के लिए पुलिस द्वारा नियुक्त वकीलों के पैनल को जिस तरह दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने खारिज कर दिया है, अब दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
वकीलों के इस पैनल को मंजूरी देने के लिए उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए थे, मगर पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए कैबिनेट ने इसे खारिज कर दिया है और उपराज्यपाल ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है. माना जा रहा है कि सरकार के इस फैसले को उपराज्यपाल खारिज कर सकते हैं.
कैबिनेट द्वारा प्रस्ताव खारिज किए जाने के बाद अभी तक उपराज्यपाल की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं आई है. माना जा रहा है कि उपराज्यपाल को यह हक है कि वह संविधान के अनुच्छेद 299 ए ए (4) का इस्तेमाल कर इस मामले को राष्ट्रपति के पास भेजें.
इस मुद्दे पर उपराज्यपाल और केजरीवाल सरकार के बीच अगर तालमेल सहमति नहीं बनी तो सरकार और उपराज्यपाल के बीच अन्य मुद्दों पर भी आगे टकराव की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना है.
मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर नहीं-सरकार
इस मुद्दे पर कैबिनेट के फैसले में जिस तरह केजरीवाल सरकार ने यह कहकर आलोचना की है कि उपराज्यपाल सरकार के कामकाज में बहुत ही अधिक हस्तक्षेप करते रहे हैं, वकीलों के पैनल का मामला सामान्य है, रेयरेस्ट ऑफ रेयर नहीं है. लिहाजा उपराज्यपाल को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
मामला संवेदनशील-उपराज्यपाल
जबकि उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली दंगे के मामले को अति संवेदनशील बताते हुए कहा कि इसमें पुलिस जोकि जांच कर रही है और अदालत को अब फैसला लेना है इसमें सरकार का हस्तक्षेप ना के बराबर होना चाहिए. ऐसा कहते हुए भी उन्होंने एक सप्ताह पहले मुख्यमंत्री को पत्र भेजा था.
कोरोना महामारी के समय दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच ऐसे समय में टकराव की स्थिति बनी है, जब दिल्ली पुलिस के समुदाय विशेष के खिलाफ भेदभाव पूर्ण रवैया से जुड़ी खबरें आई है. दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट पेश किए हैं. अब सवाल यही है कि उपराज्यपाल अनिल बैजल इस मुद्दे पर भी केजरीवाल सरकार को उससे उसके हिसाब से काम करने देंगे या नहीं.
बता दें कि दिल्ली दंगे के मामले की सुनवाई के लिए पुलिस ने 6 वकीलों की एक टीम तैयार की है. इसमें सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अमन लेखी भी शामिल है. दिल्ली सरकार के जरिए पुलिस के वकीलों के पैनल को मंजूरी नहीं दी गई. कैबिनेट ने कहा है कि यह आरोप लग रहे हैं कि इस मामले में दिल्ली पुलिस सही नहीं कर रही है, वह पूर्वाग्रह से ग्रसित रही है.