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चुनावी हलफनामे में नहीं दी गलत सूचना, शादी के बाद बदला नाम- प्रीति तोमर - प्रीति तोमर शादी के बाद बदला नाम

आम आदमी पार्टी की त्रिनगर से विधायक प्रीति तोमर की फर्जी डिग्री मामले में सुनवाई के दौरान विधायक ने कहा कि उन्होंने चुनावी हलफनामे में कोई गलत जानकारी नहीं दी है.

Preeti Tomar said that wrong information was not given in the election affidavit
प्रीति तोमर की फर्जी डिग्री मामले की सुनवाई
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Published : Feb 6, 2021, 4:53 PM IST

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी की त्रिनगर से विधायक प्रीति तोमर ने हाईकोर्ट के नोटिस का जवाब देते हुए कहा है कि उन्होंने चुनावी हलफनामे में कोई गलत जानकारी नहीं दी है.


शादी से पहले तुलसा सिंह सोलंकी था नाम
तोमर ने हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि चुनावी हलफनामे में उनकी MSC और B ed की डिग्रियों में जो नाम अंकित है, वह शादी से पहले का है. 1998 में जीतेंद्र सिंह तोमर से शादी के बाद उन्होंने अपने नाम में परिवर्तन करा लिया था. शादी के पहले उनका नाम तुलसा सिंह सोलंकी था. उन्होंने चौधरी चरण सिंह युनिवर्सिटी के रघुनाथ गर्ल्स डिग्री कॉलेज से ये डिग्रियां हासिल की थीं.

शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत सूचना देने का आरोप
19 सितंबर 2020 को हाईकोर्ट ने चुनावी हलफनामे में गलत सूचना देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रीति तोमर को नोटिस जारी किया था. याचिका नवीन पराशर ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि प्रीति तोमर ने अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत सूचना दी. उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में खुद को MSC और B ed पास बताया है.

जब यूनिवर्सिटी में कोर्स ही नहीं तो डिग्री कैसे?

याचिकाकर्ता की ओर से वकील अनिल सोनी ने कोर्ट को बताया कि प्रीति तोमर BA भी पास नहीं हैं. उन्होंने कहा कि प्रीति तोमर ने अपने हलफनामे में कहा है कि उन्होंने 1994 में चौधरी चरण सिंह युनिवर्सिटी से B ed किया था, जब कि 1994 में चौधरी चरण सिंह युनिवर्सिटी में ऐसा कोई कोर्स था ही नहीं. याचिका में कहा गया है कि प्रीति ने अपनी शिक्षा के बारे में झूठी जानकारी देकर मतदाताओं को बेवकूफ बनाया है. ऐसा करना भ्रष्ट आचरण के तहत आता है और यह जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है.

गलत सूचना देने के मामले में निरस्त हो चुका है जीतेंद्र तोमर का निर्वाचन

पिछले 17 जनवरी को प्रीति तोमर के पति जीतेंद्र तोमर का निर्वाचन हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था. जीतेंद्र तोमर के खिलाफ 2015 के चुनाव के नामांकन में अपनी शिक्षा की गलत जानकारी देने का आरोप था. जीतेंद्र सिंह तोमर को 2015 में दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार में कानून मंत्री बनाया गया था, लेकिन जुलाई 2015 में उन्हें दिल्ली पुलिस ने फर्जी डिग्री के मामले में गिरफ्तार कर लिया था. हालांकि कुछ वक्त के बाद उन्हें जमानत मिल गई थी. फिलहाल ये मामला कोर्ट में लंबित है.

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी की त्रिनगर से विधायक प्रीति तोमर ने हाईकोर्ट के नोटिस का जवाब देते हुए कहा है कि उन्होंने चुनावी हलफनामे में कोई गलत जानकारी नहीं दी है.


शादी से पहले तुलसा सिंह सोलंकी था नाम
तोमर ने हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि चुनावी हलफनामे में उनकी MSC और B ed की डिग्रियों में जो नाम अंकित है, वह शादी से पहले का है. 1998 में जीतेंद्र सिंह तोमर से शादी के बाद उन्होंने अपने नाम में परिवर्तन करा लिया था. शादी के पहले उनका नाम तुलसा सिंह सोलंकी था. उन्होंने चौधरी चरण सिंह युनिवर्सिटी के रघुनाथ गर्ल्स डिग्री कॉलेज से ये डिग्रियां हासिल की थीं.

शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत सूचना देने का आरोप
19 सितंबर 2020 को हाईकोर्ट ने चुनावी हलफनामे में गलत सूचना देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रीति तोमर को नोटिस जारी किया था. याचिका नवीन पराशर ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि प्रीति तोमर ने अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत सूचना दी. उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में खुद को MSC और B ed पास बताया है.

जब यूनिवर्सिटी में कोर्स ही नहीं तो डिग्री कैसे?

याचिकाकर्ता की ओर से वकील अनिल सोनी ने कोर्ट को बताया कि प्रीति तोमर BA भी पास नहीं हैं. उन्होंने कहा कि प्रीति तोमर ने अपने हलफनामे में कहा है कि उन्होंने 1994 में चौधरी चरण सिंह युनिवर्सिटी से B ed किया था, जब कि 1994 में चौधरी चरण सिंह युनिवर्सिटी में ऐसा कोई कोर्स था ही नहीं. याचिका में कहा गया है कि प्रीति ने अपनी शिक्षा के बारे में झूठी जानकारी देकर मतदाताओं को बेवकूफ बनाया है. ऐसा करना भ्रष्ट आचरण के तहत आता है और यह जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है.

गलत सूचना देने के मामले में निरस्त हो चुका है जीतेंद्र तोमर का निर्वाचन

पिछले 17 जनवरी को प्रीति तोमर के पति जीतेंद्र तोमर का निर्वाचन हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था. जीतेंद्र तोमर के खिलाफ 2015 के चुनाव के नामांकन में अपनी शिक्षा की गलत जानकारी देने का आरोप था. जीतेंद्र सिंह तोमर को 2015 में दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार में कानून मंत्री बनाया गया था, लेकिन जुलाई 2015 में उन्हें दिल्ली पुलिस ने फर्जी डिग्री के मामले में गिरफ्तार कर लिया था. हालांकि कुछ वक्त के बाद उन्हें जमानत मिल गई थी. फिलहाल ये मामला कोर्ट में लंबित है.

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