नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत किए जाने का मुद्दा हर बार चुनाव से पहले उठता रहा है. दिल्ली की पूरी राजनीति इसी मुद्दे के इर्द-गिर्द सिमट कर रह गई है. 30 जुलाई को केंद्रीय शहरी और विकास राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि आगामी महीनों में दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इसे लेकर केंद्र का समर्थन मिलने की बात कही थी. ऐसा लगने लगा था कि इस बार चुनाव से काफी पहले अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को उनके घरों का मालिकाना हक मिल जाएगा. लेकिन बीते दिनों दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने एक ऐसा बयान दिया जिसने अनाधिकृत कॉलोनियों के मुद्दे पर चल रहे पूरी सियासी विमर्श को नया रूप दे दिया.
AAP ने दिया चुनावी एंगल
मनोज तिवारी ने कहा था कि केंद्र सरकार आगामी 6 महीनों में दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करने का काम करेगी. मनोज तिवारी के इस बयान को आम आदमी पार्टी ने लपका और इसे चुनावी एंगल देते हुए, इसका यह मतलब निकाला कि मनोज तिवारी नहीं चाहते कि विधानसभा चुनाव से पहले अनाधिकृत कॉलोनियां अधिकृत हों.
मनोज तिवारी के इस बयान का विरोध करते हुए आम आदमी पार्टी 21 सितंबर को धोखा दिवस मनाने के लिए बीजेपी मुख्यालय पर प्रदर्शन करने पहुंच गई.
आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय के नेतृत्व में सभी विधायक और उनके साथ सैकड़ों समर्थक और कार्यकर्ताओं ने बीजेपी नेताओं के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
उधर बीजेपी ने घोषणा कर दी
इधर आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन खत्म हुआ, उधर बीजेपी ने घोषणा कर दी कि दिल्ली की सभी अनाधिकृत कॉलोनियों में बीजेपी 22 सितंबर को 'दिल्ली बचाओ-भाजपा लाओ, अनधिकृत कॉलोनी जनसंपर्क अभियान शुरू करेगी.
इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन पर दिल्ली प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार ने साढ़े 4 साल के शासनकाल में एक भी अनियमित कॉलोनी की बाउंड्री तय नहीं की और न ही घोषणा-पत्र में इसके लिए किया गया वादा पूरा किया है.
'मंशा सही नहीं'
अनाधिकृत कॉलोनियों पर भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच के इस सियासी द्वंद्व पर जब हमने कांग्रेस का पक्ष लेने के लिए प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया से बातचीत की तो उनका कहना था कि इस मुद्दे पर कभी आम आदमी पार्टी सियासत करती है, कभी बीजेपी सियासत करती है, लेकिन अनाधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत किया जा सके, इसके लिए कोई भी सही मंशा के साथ सामने नहीं आता है.
शीला दीक्षित ने प्रोविजनल सर्टिफिकेट बांटा था
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने अनाधिकृत कॉलोनियों को प्रोविजनल सर्टिफिकेट भी बांट दिया था. उसके बाद पहली बार चुनावी मैदान में उतरते हुए आम आदमी पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में इसे एक महत्वपूर्ण वादे के तौर पर शामिल किया. हाल में अरविंद केजरीवाल ने घोषणा भी कर दी कि जल्द ही केंद्र के सहयोग से कॉलोनियां अधिकृत होंगी.
फिर से मामला वही पहुंच गया है
उस घोषणा के बाद दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने अरविंद केजरीवाल को इसे लेकर पत्र भी लिख दिया की रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू होने पर महिलाओं को इसके शुल्क से मुक्ति दी जाए. लेकिन अब फिर से मामला वही पहुंच गया है, जहां से अनाधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करने की चर्चा शुरू हुई थी.