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वादों-दावों के दायरे से निकलकर नाक की लड़ाई बनता अनाधिकृत कॉलोनी मुद्दा

दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनियों का मुद्दा अब वादों और दावों के दायरे से दूर निकल कर दिल्ली व केंद्र की सत्ताधारी पार्टियों के लिए नाक की लड़ाई बनता दिख रहा है. दोनों पार्टियां इसे चुनाव में अपने-अपने नजरिए से भुनाने की कोशिश में जुटीं हैं.

अनधिकृत कालोनियों के मुद्दे पर मचा घमासान
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Published : Nov 24, 2019, 4:59 AM IST

Updated : Nov 24, 2019, 7:19 AM IST

नई दिल्ली: बीते कई दशकों से दिल्ली का महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा रहीं अनाधिकृत कॉलोनियां इस बार मुद्दा तो हैं, लेकिन अलग रूप में. बीते कई विधानसभा चुनावों में इनका इस्तेमाल, इनमें रहने वाले लोगों को उनके घरों का मालिकाना हक दिलाने के सपने से जुड़ा रहा. लेकिन इस बार वह इस सपने को जमीनी हकीकत बनाते दिखाने की सियासी होड़ में बदल चुका है.

अनाधिकृत कॉलोनियों के मुद्दे पर मचा घमासान

केंद्र सरकार की तरफ से जब अनाधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करने का फैसला हुआ, तो भाजपा के साथ-साथ आम आदमी पार्टी भी इसके श्रेय के लिए जमीन पर उतर गई. हालांकि इस श्रेय की सियासत लंबी नहीं चली और जैसे ही खबर आई कि केंद्र सरकार एक वेबसाइट के जरिए पहले लोगों को नंबर देकर रजिस्ट्री प्रक्रिया शुरू करने वाली है.

आम आदमी पार्टी ने हमला बोलने में तनिक भी देरी नहीं की. पार्टी ने केंद्र सरकार के इस फैसले को शीला दीक्षित सरकार की तरह प्रोविजनल सर्टिफिकेट बांटने जैसे कदम से जोड़ दिया.

आम आदमी पार्टी को इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर हमला करने का एक और मौका तब मिला, जब इसे लेकर संसद में बिल लाने का वादा कर चुकी भाजपा उन 27 बिलों की सूची में अनाधिकृत कॉलोनी को शामिल नहीं करा सकी, जिन्हें इस बार संसद में पेश किया जाना है. आम आदमी पार्टी के 3 राज्य सभा सांसद और एक लोकसभा सांसद ने इस मुद्दे पर संसद परिसर के भीतर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर प्रदर्शन भी किया.

श्रेय लेने की होड़
प्रदर्शन का असर कहें या कुछ और, केंद्रीय कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण बैठक में अनाधिकृत कॉलोनियों से जुड़े बिल को मंजूरी दे दी. इस पर भी आम आदमी पार्टी ने अपनी पीठ थपथपाई और कहा कि उसके दबाव के बाद यह बिल पेश लाया गया है.

लेकिन केंद्र सरकार के इस कदम और आम आदमी पार्टी के श्रेय की इस कोशिश के दो दिन बाद ही केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने वो वेबसाइट लॉन्च कर दी, जिनके जरिए रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू की जानी है.

2 वेबसाइट होंगी लॉन्च
इससे जुड़ी दो वेबसाइट लॉन्च की जानी है, जिनके जरिए मैपिंग को आधार बनाकर लोगों की जमीन और फ्लैट्स को चिन्हित किया जाएगा. पहली वेबसाइट की लॉन्चिंग के दिन हरदीप पुरी ने अपनी पीठ तो थपथपाई ही, आम आदमी पार्टी पर हमला करने का एक भी मौका नहीं छोड़ा.

इस दौरान हरदीप पुरी ने न सिर्फ इसका भी जिक्र किया कि किस तरह आम आदमी पार्टी अनाधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करने की केंद्र सरकार की कोशिशों में रोड़ा अटका आती रही, बल्कि संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने आम आदमी पार्टी के सांसदों के प्रदर्शन को लेकर भी उन्हें कटघरे में खड़ा किया.

दिल्ली में भाजपा के पास चुनावी मुद्दों की कमी और हरदीप पुरी के शहरी विकास मंत्रालय और उनके अधीन आने वाले डीडीए की इस मामले में सक्रियता को देखते हुए यह यह संभव लगता है कि चुनाव से ऐन पहले केंद्र सरकार कुछ लोगों को ही सही, उनकी जमीन के रजिस्ट्री पेपर दे देगी.

लेकिन देखने वाली बात होगी कि आम आदमी पार्टी इसे किस तरह से भुनाती है, क्योंकि मुख्यमंत्री केजरीवाल भी बीते दिनों ही यह कह चुके हैं कि रजिस्ट्री पेपर से कम कुछ भी मंजूर नहीं होगा और इसके लिए आम आदमी पार्टी आंदोलन भी करने को तैयार है.

नई दिल्ली: बीते कई दशकों से दिल्ली का महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा रहीं अनाधिकृत कॉलोनियां इस बार मुद्दा तो हैं, लेकिन अलग रूप में. बीते कई विधानसभा चुनावों में इनका इस्तेमाल, इनमें रहने वाले लोगों को उनके घरों का मालिकाना हक दिलाने के सपने से जुड़ा रहा. लेकिन इस बार वह इस सपने को जमीनी हकीकत बनाते दिखाने की सियासी होड़ में बदल चुका है.

अनाधिकृत कॉलोनियों के मुद्दे पर मचा घमासान

केंद्र सरकार की तरफ से जब अनाधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करने का फैसला हुआ, तो भाजपा के साथ-साथ आम आदमी पार्टी भी इसके श्रेय के लिए जमीन पर उतर गई. हालांकि इस श्रेय की सियासत लंबी नहीं चली और जैसे ही खबर आई कि केंद्र सरकार एक वेबसाइट के जरिए पहले लोगों को नंबर देकर रजिस्ट्री प्रक्रिया शुरू करने वाली है.

आम आदमी पार्टी ने हमला बोलने में तनिक भी देरी नहीं की. पार्टी ने केंद्र सरकार के इस फैसले को शीला दीक्षित सरकार की तरह प्रोविजनल सर्टिफिकेट बांटने जैसे कदम से जोड़ दिया.

आम आदमी पार्टी को इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर हमला करने का एक और मौका तब मिला, जब इसे लेकर संसद में बिल लाने का वादा कर चुकी भाजपा उन 27 बिलों की सूची में अनाधिकृत कॉलोनी को शामिल नहीं करा सकी, जिन्हें इस बार संसद में पेश किया जाना है. आम आदमी पार्टी के 3 राज्य सभा सांसद और एक लोकसभा सांसद ने इस मुद्दे पर संसद परिसर के भीतर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर प्रदर्शन भी किया.

श्रेय लेने की होड़
प्रदर्शन का असर कहें या कुछ और, केंद्रीय कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण बैठक में अनाधिकृत कॉलोनियों से जुड़े बिल को मंजूरी दे दी. इस पर भी आम आदमी पार्टी ने अपनी पीठ थपथपाई और कहा कि उसके दबाव के बाद यह बिल पेश लाया गया है.

लेकिन केंद्र सरकार के इस कदम और आम आदमी पार्टी के श्रेय की इस कोशिश के दो दिन बाद ही केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने वो वेबसाइट लॉन्च कर दी, जिनके जरिए रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू की जानी है.

2 वेबसाइट होंगी लॉन्च
इससे जुड़ी दो वेबसाइट लॉन्च की जानी है, जिनके जरिए मैपिंग को आधार बनाकर लोगों की जमीन और फ्लैट्स को चिन्हित किया जाएगा. पहली वेबसाइट की लॉन्चिंग के दिन हरदीप पुरी ने अपनी पीठ तो थपथपाई ही, आम आदमी पार्टी पर हमला करने का एक भी मौका नहीं छोड़ा.

इस दौरान हरदीप पुरी ने न सिर्फ इसका भी जिक्र किया कि किस तरह आम आदमी पार्टी अनाधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करने की केंद्र सरकार की कोशिशों में रोड़ा अटका आती रही, बल्कि संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने आम आदमी पार्टी के सांसदों के प्रदर्शन को लेकर भी उन्हें कटघरे में खड़ा किया.

दिल्ली में भाजपा के पास चुनावी मुद्दों की कमी और हरदीप पुरी के शहरी विकास मंत्रालय और उनके अधीन आने वाले डीडीए की इस मामले में सक्रियता को देखते हुए यह यह संभव लगता है कि चुनाव से ऐन पहले केंद्र सरकार कुछ लोगों को ही सही, उनकी जमीन के रजिस्ट्री पेपर दे देगी.

लेकिन देखने वाली बात होगी कि आम आदमी पार्टी इसे किस तरह से भुनाती है, क्योंकि मुख्यमंत्री केजरीवाल भी बीते दिनों ही यह कह चुके हैं कि रजिस्ट्री पेपर से कम कुछ भी मंजूर नहीं होगा और इसके लिए आम आदमी पार्टी आंदोलन भी करने को तैयार है.

Intro:दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों का मुद्दा अब वादों और दावों के दायरे से दूर निकल कर दिल्ली व केंद्र की सत्ताधारी पार्टियों के लिए नाक की लड़ाई बनता दिख रहा है. दोनों पार्टियां इसे चुनाव में अपने-अपने नजरिए से भुनाने की कोशिश में जुटीं हैं.


Body:नई दिल्ली: बीते कई दशकों से दिल्ली का महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा रहीं अनधिकृत कॉलोनियां इस बार मुद्दा तो हैं, लेकिन अलग रूप में. बीते कई विधानसभा चुनावों में इनका इस्तेमाल, इनमें रहने वाले लोगों को उनके घरों का मालिकाना हक दिलाने के सपने से जुड़ा रहा. लेकिन इस बार वह इस सपने को जमीनी हकीकत बनाते दिखाने की सियासी होड़ में बदल चुका है.

केंद्र सरकार की तरफ से जब अनधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करने का फैसला हुआ, तो भाजपा के साथ-साथ आम आदमी पार्टी भी इसके श्रेय के लिए जमीन पर उतर गई. हालांकि इस श्रेय की सियासत लंबी नहीं चली और जैसे ही खबर आई कि केंद्र सरकार एक वेबसाइट के जरिए पहले लोगों को नंबर देकर रजिस्ट्री प्रक्रिया शुरू करने वाली है, आम आदमी पार्टी ने हमला बोलने में तनिक भी देरी नहीं की. पार्टी ने केंद्र सरकार के इस फैसले को शीला दीक्षित सरकार की तरह प्रोविजनल सर्टिफिकेट बांटने जैसे कदम से जोड़ दिया.

आम आदमी पार्टी को इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर हमला करने का एक और मौका तब मिला, जब इसे लेकर संसद में बिल लाने का वादा कर चुकी भाजपा उन 27 बिलों की सूची में अनधिकृत कॉलोनी को शामिल नहीं करा सकी, जिन्हें इस बार संसद में पेश किया जाना है. आम आदमी पार्टी के 3 राज्य सभा सांसद और एक लोकसभा सांसद ने इस मुद्दे पर संसद परिसर के भीतर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर प्रदर्शन भी किया.

इस प्रदर्शन का असर कहें या कुछ और, केंद्रीय कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण बैठक में अनधिकृत कॉलोनियों से जुड़े बिल को मंजूरी दे दी. इसपर भी आम आदमी पार्टी ने अपनी पीठ थपथपाई और कहा कि उसके दबाव के बाद यह बिल पेश लाया गया है. लेकिन केंद्र सरकार के इस कदम और आम आदमी पार्टी के श्रेय की इस कोशिश के दो दिन बाद ही केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने वो वेबसाइट लॉन्च कर दी, जिनके जरिए रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू की जानी है.

इससे जुड़े दो वेबसाइट लॉन्च किए जाने हैं, जिनके जरिए मैपिंग को आधार बनाकर लोगों की जमीन और फ्लैट्स को चिन्हित किया जाएगा. पहली वेबसाइट की लॉन्चिंग के दिन हरदीप पुरी ने अपनी पीठ तो थपथपाई ही, आम आदमी पार्टी पर हमला करने का एक भी मौका नहीं छोड़ा. इस दौरान हरदीप पुरी ने न सिर्फ इसका भी जिक्र किया कि किस तरह आम आदमी पार्टी अनधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करने की केंद्र सरकार की कोशिशों में रोड़ा अटका आती रही, बल्कि संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने आम आदमी पार्टी के सांसदों के प्रदर्शन को लेकर भी उन्हें कटघरे में खड़ा किया.


Conclusion:दिल्ली में भाजपा के पास चुनावी मुद्दों की कमी और हरदीप पुरी के शहरी विकास मंत्रालय और उनके अधीन आने वाले डीडीए की इस मामले में सक्रियता को देखते हुए यह यह संभव लगता है कि चुनाव से ऐन पहले केंद्र सरकार कुछ लोगों को ही सही, उनकी जमीन के रजिस्ट्री पेपर दे देगी. लेकिन देखने वाली बात होगी कि आम आदमी पार्टी इसे किस तरह से भुनाती है, क्योंकि मुख्यमंत्री केजरीवाल भी बीते दिनों ही यह कह चुके हैं कि रजिस्ट्री पेपर से कम कुछ भी मंजूर नहीं होगा और इसके लिए आम आदमी पार्टी आंदोलन भी करने को तैयार है.
Last Updated : Nov 24, 2019, 7:19 AM IST
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