नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में वकील अशोक अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि निजी स्कूलों के फीस मामले में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग पर बात कर उसका हल निकालें. कोरोना के संकट के दौरान एक तरफ अभिभावक आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं दूसरी तरफ निजी स्कूल उन पर फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं.
अभिभावक सरकार और स्कूल के बीच फंसे
उन्होंने कहा कि स्कूल की फीस को लेकर अभिभावक सरकार और स्कूल के बीच फंसकर रह गए हैं. अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक केस में सुनवाई करते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और अभिभावकों को कहा कि वो अलग-अलग हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएं.
निजी स्कूल फीस जमा करने के लिए दे रहे हैं कर्ज
अशोक अग्रवाल ने कहा कि हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट का एक फैसला आया है, जिसके आधार पर स्कूल अभिभावकों को फीस के लिए परेशान करेंगे. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के सौ से ज्यादा निजी स्कूलों की चेन ने अभिभावकों को स्कूल फीस देने के लिए ऋण देने की शुरुआत की है. जो अभिभावक आज आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं उन पर कर्ज का दबाव बनाया जा रहा है.
केंद्र हस्तक्षेप करे
अशोक अग्रवाल ने कहा कि केंद्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप करने की जरुरत है. केंद्र सरकार इसके लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात कर एक अध्यादेश लाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार अपने स्कूलों में सुधार कर एक विकल्प नहीं पेश करना चाहती है. जिसकी वजह से लोग निजी स्कूलों की ओर रुख कर रहे हैं और निजी स्कूल अभिभावकों पर नाजायज दवाब बना रहे हैं. अगर कोई मजबूरी में सरकारी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाता है और उसकी स्थिति ठीक होते ही वो अपने बच्चे का दाखिला निजी स्कूल में करा देता है. इसका असर बच्चों पर भी पड़ रहा है और वे तनावग्रस्त हो रहे हैं.