नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के डाटा में ट्रांसजेंडर्स को थर्ड जेंडर के रुप में वर्गीकृत करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए एनसीआरबी को जवाब दाखिल करने को कहा है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर 7 दिसंबर को अगली सुनवाई करेगी.
ट्रांसजेंडर्स को थर्डजेंडर के रूप में शामिल करने की मांग
हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एनसीआरबी की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा को निर्देश दिया कि वे इस बारे में एनसीआरबी से निर्देश लेकर कोर्ट को सूचित करें. ये याचिका कानूनी पढ़ाई पढ़ चुके करण त्रिपाठी ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील यश मिश्रा और अखिल हसीजा ने कहा कि साल 2020 का एनसीआरबी का डाटा तैयार हो रहा है. इस डाटा के लिए ट्रांसजेंडर्स को थर्ड जेंडर के रुप में शामिल करने के लिए दिशा-निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि अभी तक डाटा में केवल पुरुष और महिला का कॉलम होता है और थर्ड जेंडर का कोई जिक्र नहीं होता है.
ट्रांसजेंडर कैदियों का डाटा मेंटेंन हो
याचिका में कहा गया है कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए कल्याण योजनाओं को नजरअंदाज कर दिया गया है। कोरोना संक्रमण के दौरान इस समुदाय के सदस्यों की जेलों के अंदर की स्थिति का भी जिक्र नहीं है. याचिका में मांग की गई है कि हाईकोर्ट केंद्र सरकार को ये निर्देश दे कि वो सभी जेल प्रशासन और विभागों को दिशानिर्देश जारी करे, जिसमें ट्रांसजेंडर कैदियों का कानून के मुताबिक डाटा मेंटेन किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन हो
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी बनाम केंद्र सरकार के मामले में दिए गए आदेश का जिक्र किया गया है, जिसमें एनसीआरबी को दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2014 में विशेषज्ञों की एक कमेटी ने ट्रांसजेंडर्स को लेकर अपनी एक रिपोर्ट दी थी. याचिका में मांग की गई है कि उस रिपोर्ट की अनुशंसाओं को लागू किया जाए. याचिका में जेलों में ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए नियम बनाए जाने की मांग की गई है.