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सिखों को विमान यात्रा के दौरान कृपाण रखने से रोकने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज - सिखों को विमान यात्रा के दौरान कृपाण रखने

एक जनहित याचिका में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा सिख समुदाय के लोगों को नागरिक उड़ानों के दौरान कृपाण ले जाने के लिए अनुमति देने वाली 4 मार्च, 2022 की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी. जिसे गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया.

दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Dec 22, 2022, 4:07 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने घरेलू विमान यात्राओं में सिख यात्रियों को कृपाल ले जाने की अनुमति देने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने अधिवक्ता हर्ष विभोर सिंघल की याचिका को खारिज करते हुए गुरुवार को अपना फैसला सुनाया।

जनहित याचिका में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा सिख समुदाय के लोगों को नागरिक उड़ानों के दौरान कृपाण ले जाने के लिए अनुमति देने वाली 4 मार्च, 2022 की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी. अधिसूचना में कहा गया है कि सिखों को कृपाण ले जाने की अनुमति दी जाएगी, बशर्ते कि उसके ब्लेड की लंबाई छह इंच से अधिक न हो और उसकी कुल लंबाई नौ इंच से अधिक न हो. बाद में एक शुद्धिपत्र जारी किया गया, जिसमें हवाई अड्डों पर काम करने वाले सिखों को भी कृपाण ले जाने की अनुमति दी गई थी.

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अपनी याचिका में, सिंघल ने तर्क दिया कि एक नागरिक विमान पर कृपाण की ढुलाई से विमानन सुरक्षा के लिए खतरनाक प्रभाव पड़ता है, और अतीत में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जहां उन्हें विमानों को अपहरण करने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया.

दलील में 1981 और 1984 के उदाहरणों का हवाला दिया गया, जब इस तरह के अपहरण को अंजाम दिया गया था और उग्रवादियों ने सरकार द्वारा गिरफ्तार कैदियों की रिहाई की मांग की थी. बता दें देश में सिखों को अपने धार्मिक नियमों के अनुसार कृपाण धारण करने की अनुमति दी गई है. संविधान द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत सिख समुदाय को यह छूट दी गई है.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने घरेलू विमान यात्राओं में सिख यात्रियों को कृपाल ले जाने की अनुमति देने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने अधिवक्ता हर्ष विभोर सिंघल की याचिका को खारिज करते हुए गुरुवार को अपना फैसला सुनाया।

जनहित याचिका में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा सिख समुदाय के लोगों को नागरिक उड़ानों के दौरान कृपाण ले जाने के लिए अनुमति देने वाली 4 मार्च, 2022 की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी. अधिसूचना में कहा गया है कि सिखों को कृपाण ले जाने की अनुमति दी जाएगी, बशर्ते कि उसके ब्लेड की लंबाई छह इंच से अधिक न हो और उसकी कुल लंबाई नौ इंच से अधिक न हो. बाद में एक शुद्धिपत्र जारी किया गया, जिसमें हवाई अड्डों पर काम करने वाले सिखों को भी कृपाण ले जाने की अनुमति दी गई थी.

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अपनी याचिका में, सिंघल ने तर्क दिया कि एक नागरिक विमान पर कृपाण की ढुलाई से विमानन सुरक्षा के लिए खतरनाक प्रभाव पड़ता है, और अतीत में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जहां उन्हें विमानों को अपहरण करने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया.

दलील में 1981 और 1984 के उदाहरणों का हवाला दिया गया, जब इस तरह के अपहरण को अंजाम दिया गया था और उग्रवादियों ने सरकार द्वारा गिरफ्तार कैदियों की रिहाई की मांग की थी. बता दें देश में सिखों को अपने धार्मिक नियमों के अनुसार कृपाण धारण करने की अनुमति दी गई है. संविधान द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत सिख समुदाय को यह छूट दी गई है.

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