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'शाहीन बाग में प्रदर्शनों के पीछे पीएफआई और कुछ नेताओं का हाथ'

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Published : Jul 24, 2020, 5:39 PM IST

अजय गौतम ने हलफनामा में कहा है कि देश के प्रमुख मीडिया संस्थानों ने भी ये रिपोर्ट बताई थी कि शाहीन बाग में प्रदर्शन को पीएफआई और कुछ नेता आर्थिक रुप से मदद कर रहे थे.

delhi high court
दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं का हाथ है. इस बात का दावा दिल्ली हाईकोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों की एनआईए से जांच की मांग करनेवाले याचिकाकर्ता अजय गौतम ने की है.

शाहीन बाग के प्रदर्शन के पीछे पीएफआई का हाथ!
'प्रदर्शन के पीछे पीएफआई का हाथ'

अजय गौतम ने हलफनामा में कहा है कि देश के प्रमुख मीडिया संस्थानों ने भी ये रिपोर्ट बताई थी कि शाहीन बाग में प्रदर्शन को पीएफआई और कुछ नेता आर्थिक रुप से मदद कर रहे थे. ईडी ने भी पाया कि शाहीन बाग के कुछ दफ्तरों को पीएफआई से आर्थिक मदद मिल रही थी. दिल्ली पुलिस ने भी कहा है कि शाहीन बाग, सीलमपुर, जाफराबाद, झील खुरेजी, इंद्रलोक और दूसरे इलाको में हुए प्रदर्शन आम प्रदर्शन नहीं थे, बल्कि वे सुनियोजित साजिश का हिस्सा थे. हलफनामे में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस इसके आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने से कतरा रही है.


एनआईए से जांच की मांग

अजय गौतम ने याचिका दायर कर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों की एनआईए से जांच की मांग की है. इस मामले पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. याचिका में कहा गया है कि इस प्रदर्शन के लिए की जा रही फंडिंग की भी जांच की जाए. याचिका में पूछा गया है कि क्या किसी खास समुदाय को इसकी अनुमति दी जा सकती है कि वो शांतिपूर्ण प्रदर्शन की आड़ में आम लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन करे. याचिका में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करनेवाले लोगों ने बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाई और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया.



प्रदर्शन में बुजुर्ग महिलाओं और बच्चों को आगे किया

याचिका में कहा गया है कि प्रदर्शन का पैटर्न बड़ा संदेहास्पद है. बुजुर्ग महिलाओं और बच्चों को ऐसे पेश किया जा रहा है जैसे वे ही मुख्य प्रदर्शनकारी हों. इस प्रदर्शन में शामिल पुरुष पीछे खड़े रहते हैं. वे ऐसे व्यवहार कर रहे हैं, जैसे वे फिलीस्तीन या खाड़ी के देश के एजेंट हों. याचिका में कहा गया है कि ऐसा लग रहा है कि ये हिन्दू विरोधी प्रदर्शन है.

नई दिल्ली: दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं का हाथ है. इस बात का दावा दिल्ली हाईकोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों की एनआईए से जांच की मांग करनेवाले याचिकाकर्ता अजय गौतम ने की है.

शाहीन बाग के प्रदर्शन के पीछे पीएफआई का हाथ!
'प्रदर्शन के पीछे पीएफआई का हाथ'

अजय गौतम ने हलफनामा में कहा है कि देश के प्रमुख मीडिया संस्थानों ने भी ये रिपोर्ट बताई थी कि शाहीन बाग में प्रदर्शन को पीएफआई और कुछ नेता आर्थिक रुप से मदद कर रहे थे. ईडी ने भी पाया कि शाहीन बाग के कुछ दफ्तरों को पीएफआई से आर्थिक मदद मिल रही थी. दिल्ली पुलिस ने भी कहा है कि शाहीन बाग, सीलमपुर, जाफराबाद, झील खुरेजी, इंद्रलोक और दूसरे इलाको में हुए प्रदर्शन आम प्रदर्शन नहीं थे, बल्कि वे सुनियोजित साजिश का हिस्सा थे. हलफनामे में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस इसके आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने से कतरा रही है.


एनआईए से जांच की मांग

अजय गौतम ने याचिका दायर कर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों की एनआईए से जांच की मांग की है. इस मामले पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. याचिका में कहा गया है कि इस प्रदर्शन के लिए की जा रही फंडिंग की भी जांच की जाए. याचिका में पूछा गया है कि क्या किसी खास समुदाय को इसकी अनुमति दी जा सकती है कि वो शांतिपूर्ण प्रदर्शन की आड़ में आम लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन करे. याचिका में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करनेवाले लोगों ने बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाई और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया.



प्रदर्शन में बुजुर्ग महिलाओं और बच्चों को आगे किया

याचिका में कहा गया है कि प्रदर्शन का पैटर्न बड़ा संदेहास्पद है. बुजुर्ग महिलाओं और बच्चों को ऐसे पेश किया जा रहा है जैसे वे ही मुख्य प्रदर्शनकारी हों. इस प्रदर्शन में शामिल पुरुष पीछे खड़े रहते हैं. वे ऐसे व्यवहार कर रहे हैं, जैसे वे फिलीस्तीन या खाड़ी के देश के एजेंट हों. याचिका में कहा गया है कि ऐसा लग रहा है कि ये हिन्दू विरोधी प्रदर्शन है.

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