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दिल्ली में बारिश के बावजूद स्वतंत्रता दिवस पर लोगों ने की पतंगबाजी, आसमान में छाई रही पतंगें - पतंगें कागज के बजाय पॉलिथीन से बनी

राजधानी दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लोगों ने जमकर पतंगबाजी की. आसमान रंग-बिरंगे पतंगों से भरा नजर आया है. बारिश के बावजूद भी लोगों ने पतंग उड़ाया. यह पतंगें कागज के बजाय पॉलिथीन से बनी थी.

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Published : Aug 16, 2023, 8:51 AM IST

नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राजधानी दिल्ली में लोगों ने जमकर पतंगबाजी की. आसमान में जिधर निगाह डाली उधर पतंग ही पतंग नजर आ रही थी. पतंगबाजी के शौक का आलम यह है कि बारिश के दौरान भी लोग पॉलिथीन वाली पतंग उड़ा रहे थे. सुबह से ही लोगों ने पतंगबाजी शुरू कर दिया था. सुबह बारिश के कारण आसमान में काफी कम पतंगें दिख रहीं थी. दोपहर 12 बजे के बाद आसमान में पतंगों की संख्या काफी बढ़ गई.

विभिन्न सामाजिक संस्थाओं की अपील के बावजूद लोगों ने स्वतंत्रता दिवस पर जमकर पतंगबाजी की. यह पतंगें कागज के बजाय पॉलिथीन से बनी थी. दरअसल पॉलिथीन से बनी पतंगे बारिश के दौरान भी उड़ाई जा सकती हैं. इसीलिए लोग इन्हें पसंद करते हैं. हालांकि पिछले कुछ सालों से चाइनीज मांझा के कारण पतंगबाजी आम लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है. चाइनीज मांझे से कभी घायल होकर लोगों की मौत हुई है, तो कभी पक्षियों के लिए भी जानलेवा साबित हुआ है. चाइनीज मांझा के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने अभियान चलाकर कार्रवाई की और डेढ़ सौ से अधिक लोगों को गिरफ्तार भी किया.

दरअसल, 1927 में साइमन कमीशन का विरोध करने के लिए भारतीयों ने पतंग उड़ाया था. पतंग उड़ाकर लोगों ने साइमन कमीशन का विरोध किया था. इसीलिए आजादी के बाद 15 अगस्त को रंग-बिरंगी पतंगे उड़ाने का चलन शुरू हुआ. वक्त के साथ-साथ इन पतंगों के रंग और उन पर बने कैरेक्टर्स में बदलाव होता आया है. आजकल पॉलिथीन की बनी पतंगें उड़ाने का चलन तेजी से बड़ा है. क्योंकि यह बारिश के दौरान भी उड़ाई जा सकती हैं और मजबूत होती हैं. एक बार खरीदने के बाद में कई बार उड़ाया जा सकता है, जबकि कागज की पतंग फट जाती है.

ये भी पढ़ें : Delhi Police Campaign: चाइनीज मांझे से ना कटे जीवन की डोर, दिल्ली पुलिस ने शुरू किया अभियान

नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राजधानी दिल्ली में लोगों ने जमकर पतंगबाजी की. आसमान में जिधर निगाह डाली उधर पतंग ही पतंग नजर आ रही थी. पतंगबाजी के शौक का आलम यह है कि बारिश के दौरान भी लोग पॉलिथीन वाली पतंग उड़ा रहे थे. सुबह से ही लोगों ने पतंगबाजी शुरू कर दिया था. सुबह बारिश के कारण आसमान में काफी कम पतंगें दिख रहीं थी. दोपहर 12 बजे के बाद आसमान में पतंगों की संख्या काफी बढ़ गई.

विभिन्न सामाजिक संस्थाओं की अपील के बावजूद लोगों ने स्वतंत्रता दिवस पर जमकर पतंगबाजी की. यह पतंगें कागज के बजाय पॉलिथीन से बनी थी. दरअसल पॉलिथीन से बनी पतंगे बारिश के दौरान भी उड़ाई जा सकती हैं. इसीलिए लोग इन्हें पसंद करते हैं. हालांकि पिछले कुछ सालों से चाइनीज मांझा के कारण पतंगबाजी आम लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है. चाइनीज मांझे से कभी घायल होकर लोगों की मौत हुई है, तो कभी पक्षियों के लिए भी जानलेवा साबित हुआ है. चाइनीज मांझा के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने अभियान चलाकर कार्रवाई की और डेढ़ सौ से अधिक लोगों को गिरफ्तार भी किया.

दरअसल, 1927 में साइमन कमीशन का विरोध करने के लिए भारतीयों ने पतंग उड़ाया था. पतंग उड़ाकर लोगों ने साइमन कमीशन का विरोध किया था. इसीलिए आजादी के बाद 15 अगस्त को रंग-बिरंगी पतंगे उड़ाने का चलन शुरू हुआ. वक्त के साथ-साथ इन पतंगों के रंग और उन पर बने कैरेक्टर्स में बदलाव होता आया है. आजकल पॉलिथीन की बनी पतंगें उड़ाने का चलन तेजी से बड़ा है. क्योंकि यह बारिश के दौरान भी उड़ाई जा सकती हैं और मजबूत होती हैं. एक बार खरीदने के बाद में कई बार उड़ाया जा सकता है, जबकि कागज की पतंग फट जाती है.

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