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वकील महमूद प्राचा के दफ्तर पर छापे का मामला, कोर्ट ने अधिकारियों से मांगा जवाब - कोर्ट ने अधिकारियों से मांगा जवाब वकील महमूद प्राचा

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के केसों में पैरवी करने वाले वकील महमूद प्राचा के खिलाफ जारी सर्च वारंट के मामले पर सुनवाई करते हुए जांच अधिकारी से जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा है कि वे जो डाटा लेना चाहते हैं, वो बिना दूसरे डाटा में छेड़छाड़ किए कैसे ले सकते हैं.

Court seeks response from officers in search warrant case against lawyer Mahmood Pracha
वकील महमूद प्राचा के खिलाफ सर्च वारंट का मामला
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Published : Mar 12, 2021, 6:56 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के केसों में पैरवी करने वाले वकील महमूद प्राचा के खिलाफ जारी सर्च वारंट के मामले पर सुनवाई करते हुए जांच अधिकारी से पूछा है कि वे जो डाटा लेना चाहते हैं, वो बिना दूसरे डाटा में छेड़छाड़ किए कैसे ले सकते हैं. इस मामले में चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने जांच अधिकारी से 19 मार्च तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

वकील और मुवक्किल के बीच हुए संवाद की सुरक्षा कोर्ट की जिम्मेदारी

कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि वकील महमूद प्राचा दिल्ली पुलिस को पेन ड्राईव में मांगी गई डाटा देने को तैयार हैं. ऐसे में वो पेन ड्राईव में दिए गए डाटा से बिना छेड़छाड़ किए उसे कैसे हासिल कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 126 के तहत वकील और उसके मुवक्किल के बीच हुए संवाद की सुरक्षा कोर्ट की जिम्मेदारी है. ऐसे में जांच अधिकारी ये बताएं कि उन्हें जो डाटा चाहिए वो कंप्युटर के हार्ड डिस्क में रखे गए डाटा में छेड़छाड़ किए बिना कैसे हासिल करेंगे. कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी को इस पर सूक्ष्मता से विचार करने की जरुरत है.

कोर्ट ने लगाया था सर्च वारंट पर रोक

दरअसल, पिछले 9 मार्च को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने महमूद प्राचा के निजामुद्दीन ईस्ट स्थित दफ्तर पर छापा मारने गई थी, लेकिन दफ्तर में ताला लगे होने की वजह से लौट गई. उसके बाद महमूद प्राचा ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद कोर्ट ने 10 मार्च को कोर्ट ने महमूद प्राचा के खिलाफ जारी सर्च वारंट पर रोक लगा दिया था. सुनवाई के दौरान महमूद प्राचा ने कहा कि पुलिस ने पहले जो छापा मारा था, उस दौरान सभी दस्तावेज हासिल कर लिया था. ऐसे में अब किसी पड़ताल की कोई जरुरत नहीं है.

ये भी पढ़ें- सरकार से जुड़े लोग, अधिकारी राज्य निर्वाचन आयुक्त के तौर पर काम नहीं कर सकते: न्यायालय

दिल्ली पुलिस पर परेशान करने का आरोप

महमूद प्राचा ने कहा कि उनके खिलाफ फर्जी केस बनाया गया है. ये केस केवल उन्हें परेशान करने के लिए बनाया गया है. इस साजिश में राजनेता, नौकरशाह और कुछ न्यायिक अधिकारी भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली पुलिस को कोई खास दस्तावेज चाहिए तो वे उसे देने के लिए तैयार हैं. अगर कोर्ट आदेश करे तो वो अपना कंप्युटर लेकर कोर्ट में दिखा सकते हैं.

दिसंबर 2020 में मारा गया था छापा

बता दें कि प्राचा के दफ्तर पर दिल्ली पुलिस की ओर से 24 दिसंबर 2020 की दोपहर करीब बारह बजे से लेकर दरम्यानी रात के तीन बजे तक पुलिस ने छापा मारा था. प्राचा ने कहा था कि पुलिस ने कोर्ट के आदेश की आड़ में जांच के नाम पर कानून का खुला उल्लंघन किया है.

नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के केसों में पैरवी करने वाले वकील महमूद प्राचा के खिलाफ जारी सर्च वारंट के मामले पर सुनवाई करते हुए जांच अधिकारी से पूछा है कि वे जो डाटा लेना चाहते हैं, वो बिना दूसरे डाटा में छेड़छाड़ किए कैसे ले सकते हैं. इस मामले में चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने जांच अधिकारी से 19 मार्च तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

वकील और मुवक्किल के बीच हुए संवाद की सुरक्षा कोर्ट की जिम्मेदारी

कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि वकील महमूद प्राचा दिल्ली पुलिस को पेन ड्राईव में मांगी गई डाटा देने को तैयार हैं. ऐसे में वो पेन ड्राईव में दिए गए डाटा से बिना छेड़छाड़ किए उसे कैसे हासिल कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 126 के तहत वकील और उसके मुवक्किल के बीच हुए संवाद की सुरक्षा कोर्ट की जिम्मेदारी है. ऐसे में जांच अधिकारी ये बताएं कि उन्हें जो डाटा चाहिए वो कंप्युटर के हार्ड डिस्क में रखे गए डाटा में छेड़छाड़ किए बिना कैसे हासिल करेंगे. कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी को इस पर सूक्ष्मता से विचार करने की जरुरत है.

कोर्ट ने लगाया था सर्च वारंट पर रोक

दरअसल, पिछले 9 मार्च को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने महमूद प्राचा के निजामुद्दीन ईस्ट स्थित दफ्तर पर छापा मारने गई थी, लेकिन दफ्तर में ताला लगे होने की वजह से लौट गई. उसके बाद महमूद प्राचा ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद कोर्ट ने 10 मार्च को कोर्ट ने महमूद प्राचा के खिलाफ जारी सर्च वारंट पर रोक लगा दिया था. सुनवाई के दौरान महमूद प्राचा ने कहा कि पुलिस ने पहले जो छापा मारा था, उस दौरान सभी दस्तावेज हासिल कर लिया था. ऐसे में अब किसी पड़ताल की कोई जरुरत नहीं है.

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दिल्ली पुलिस पर परेशान करने का आरोप

महमूद प्राचा ने कहा कि उनके खिलाफ फर्जी केस बनाया गया है. ये केस केवल उन्हें परेशान करने के लिए बनाया गया है. इस साजिश में राजनेता, नौकरशाह और कुछ न्यायिक अधिकारी भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली पुलिस को कोई खास दस्तावेज चाहिए तो वे उसे देने के लिए तैयार हैं. अगर कोर्ट आदेश करे तो वो अपना कंप्युटर लेकर कोर्ट में दिखा सकते हैं.

दिसंबर 2020 में मारा गया था छापा

बता दें कि प्राचा के दफ्तर पर दिल्ली पुलिस की ओर से 24 दिसंबर 2020 की दोपहर करीब बारह बजे से लेकर दरम्यानी रात के तीन बजे तक पुलिस ने छापा मारा था. प्राचा ने कहा था कि पुलिस ने कोर्ट के आदेश की आड़ में जांच के नाम पर कानून का खुला उल्लंघन किया है.

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