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गाजीपुर बॉर्डर पर पाठशाला, आंदोलन में आए कूड़ा बीनने वाले बच्चों को मिल रही शिक्षा - गाजीपुर बॉर्डर किसान आंदोलन

गाजीपुर बॉर्डर पर एक तरफ किसानों का प्रदर्शन नजर आ रहा है, वहीं दूसरी तरफ बॉर्डर से ही एक खूबसूरत तस्वीर सामने आई है. यहां पर कूड़े बीनने वाले मासूम बच्चों के लिए पाठशाला खोली गई है. इसके जरिए इन बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने का खूबसूरत मौका दिया जा रहा है.

pathshala is being run at ghazipur border
गाजीपुर बॉर्डर पर खुली पाठशाला
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Published : Feb 11, 2021, 4:11 PM IST

दिल्ली/गाजियाबाद: गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन के बीच देश और दिल्ली को अलग-अलग तस्वीरें देखने को मिल रही है. किसान आंदोलन में देश ने और दिल्ली ने धरना प्रदर्शन, ट्रैक्टर मार्च, दंगल, संगीत कार्यक्रम फिर कंटीले तारों का बॉर्डर और पौधा रोपण भी देखा, लेकिन अब गाजीपुर बॉर्डर से काफी खूबसूरत तस्वीर सामने आ रही है. आप देखिए कैसे बॉर्डर पर कूड़ा बीनते मासू बच्चों को शिक्षा का अवसर मिल रहा है और उनके लिए यहां पर पाठशाला खोली गई है.

गाजीपुर बॉर्डर पर खुली पाठशाला

गरीब बच्चों के लिए खुली पाठशाला

गाजीपुर बॉर्डर पर हर रोज दर्जनों मासूम बच्चे कूड़ा (प्लास्टिक) चुगते हुए नजर आते हैं. आंदोलन में कुछ ऐसे युवा शामिल हैं, जिन्होंने इन गरीब मासूम बच्चों के लिए पाठशाला खोली है. जो बच्चे पहले आंदोलन स्थल पर कूड़ा चुगते थे, अब वह इस पाठशाला में पढ़ते नजर आते हैं. इसके साथ ही आसपास के झुग्गी बस्तियों के गरीब बच्चे भी इस पाठशाला में पढ़ने आ रहे हैं.

पाठशाला खोलकर दिया समर्थन
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाली युवा समाजसेवी निर्देश सिंह बताती हैं कि वो करीब एक दशक से गरीब बच्चों की शिक्षा, महिला सशक्तिकरण आदि पर काम रही हैं. जब वह किसान आंदोलन में समर्थन देने आई, तो यहां पर उन्होंने देखा किसानों के लिए तमाम सुविधाएं तो मौजूद हैं, लेकिन आंदोलन स्थल पर भारी संख्या में गरीब बच्चे हैं जोकि कूड़ा चुगते रहते थे. तब उनके मन में आंदोलन स्थल पर पाठशाला खोलने का विचार आया और उन्होंने आंदोलन स्थल पर पाठशाला खोल दी.

नहीं ली जाती कोई फीस
निर्देश सिंह ने बताया कि पाठशाला में करीब 80 बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. पाठशाला में किसी प्रकार की भी फीस नहीं ली जाती है बल्कि बच्चों को किताबे कॉपियां आदि भी मुफ्त में मुहैया कराया जाता है. पाठशाला खुले के शुरुआती दिनों में तो बच्चों की संख्या बहुत कम थी, लेकिन धीरे-धीरे जब बच्चों को पढ़ने में मजा आने लगा तो और बच्चों ने भी पाठशाला में आना शुरू कर दिया. पाठशाला सुबह 8 से शाम 6 बजे तक चलती है. बच्चे समय से पहले ही पाठशाला में आकर बैठ जाते हैं.

ये भी पढ़ें:-कालकाजी: किसानों के समर्थन में उतरे लोग, बोले- जमीन भले नहीं है लेकिन जमीर है

बढ़ रही बच्चों की संख्या
पाठशाला में करीब पाँच युवा है जो हर रोज दस घंटे बच्चों को पढ़ाते हैं. पाठशाला में पढ़ाई के दौरान गरीब मासूम बच्चे भी काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं. निर्देश सिंह का कहना है कि आगे आने वाले समय में पाठशाला में बच्चों की संख्या और बढ़ सकती है. हमारा प्रयास है कि जब तक आंदोलन चलता है तब तक हम आसपास के अधिक से अधिक बच्चों का मन शिक्षा की ओर मोड़ सके.

दिल्ली/गाजियाबाद: गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन के बीच देश और दिल्ली को अलग-अलग तस्वीरें देखने को मिल रही है. किसान आंदोलन में देश ने और दिल्ली ने धरना प्रदर्शन, ट्रैक्टर मार्च, दंगल, संगीत कार्यक्रम फिर कंटीले तारों का बॉर्डर और पौधा रोपण भी देखा, लेकिन अब गाजीपुर बॉर्डर से काफी खूबसूरत तस्वीर सामने आ रही है. आप देखिए कैसे बॉर्डर पर कूड़ा बीनते मासू बच्चों को शिक्षा का अवसर मिल रहा है और उनके लिए यहां पर पाठशाला खोली गई है.

गाजीपुर बॉर्डर पर खुली पाठशाला

गरीब बच्चों के लिए खुली पाठशाला

गाजीपुर बॉर्डर पर हर रोज दर्जनों मासूम बच्चे कूड़ा (प्लास्टिक) चुगते हुए नजर आते हैं. आंदोलन में कुछ ऐसे युवा शामिल हैं, जिन्होंने इन गरीब मासूम बच्चों के लिए पाठशाला खोली है. जो बच्चे पहले आंदोलन स्थल पर कूड़ा चुगते थे, अब वह इस पाठशाला में पढ़ते नजर आते हैं. इसके साथ ही आसपास के झुग्गी बस्तियों के गरीब बच्चे भी इस पाठशाला में पढ़ने आ रहे हैं.

पाठशाला खोलकर दिया समर्थन
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाली युवा समाजसेवी निर्देश सिंह बताती हैं कि वो करीब एक दशक से गरीब बच्चों की शिक्षा, महिला सशक्तिकरण आदि पर काम रही हैं. जब वह किसान आंदोलन में समर्थन देने आई, तो यहां पर उन्होंने देखा किसानों के लिए तमाम सुविधाएं तो मौजूद हैं, लेकिन आंदोलन स्थल पर भारी संख्या में गरीब बच्चे हैं जोकि कूड़ा चुगते रहते थे. तब उनके मन में आंदोलन स्थल पर पाठशाला खोलने का विचार आया और उन्होंने आंदोलन स्थल पर पाठशाला खोल दी.

नहीं ली जाती कोई फीस
निर्देश सिंह ने बताया कि पाठशाला में करीब 80 बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. पाठशाला में किसी प्रकार की भी फीस नहीं ली जाती है बल्कि बच्चों को किताबे कॉपियां आदि भी मुफ्त में मुहैया कराया जाता है. पाठशाला खुले के शुरुआती दिनों में तो बच्चों की संख्या बहुत कम थी, लेकिन धीरे-धीरे जब बच्चों को पढ़ने में मजा आने लगा तो और बच्चों ने भी पाठशाला में आना शुरू कर दिया. पाठशाला सुबह 8 से शाम 6 बजे तक चलती है. बच्चे समय से पहले ही पाठशाला में आकर बैठ जाते हैं.

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बढ़ रही बच्चों की संख्या
पाठशाला में करीब पाँच युवा है जो हर रोज दस घंटे बच्चों को पढ़ाते हैं. पाठशाला में पढ़ाई के दौरान गरीब मासूम बच्चे भी काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं. निर्देश सिंह का कहना है कि आगे आने वाले समय में पाठशाला में बच्चों की संख्या और बढ़ सकती है. हमारा प्रयास है कि जब तक आंदोलन चलता है तब तक हम आसपास के अधिक से अधिक बच्चों का मन शिक्षा की ओर मोड़ सके.

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