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दूसरी बार मनाया गया विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस, लोगों को आजादी की कीमत बताने के लिए दिवस मनाने की शुरूआत - Indira Gandhi national centre for arts

देश में इस साल दूसरी बार विभिषिका दिवस मनाया जा रहा है. पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिवस को मनाने की लोगों से अपील की थी. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य आमजनों को आजादी की कीमत बताने का है. आज की युवा पीढ़ी को विभाजन के दौरान लोगों द्वारा झेली गई दुख और तकलीफ बताने के मसकद से यह दिवस मनाया जा रहा है.

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Published : Aug 14, 2023, 4:22 PM IST

नई दिल्ली: आजादी का जश्न मनाने के साथ आज की युवा पीढ़ी को हमेशा आजादी दिलाने वाले दिनों की याद ताजा रखनी चाहिए. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमें आजादी कैसे मिली. इस आजादी के लिए हमने क्या मूल्य चुकाया है. बंटवारे के दौरान पलायन कर कई लोग भारत आए. सभी ने उस दौर को देखा है जब बंटवारे के दौरान भारी त्रासदी के बीच लोग अपना सबकुछ छोड़ने पर मजबूर हुए. भारत के बंटवारे के दौरान जो अत्याचार हुआ वह नहीं भूलना चाहिए. उक्त बातें सोमवार को दिल्ली के भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान भारत सरकार में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कही.

दो करोड़ लोग हुए प्रभावित: भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र व पार्टीशन म्यूजियम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान हरदीप पुरी ने कहा कि विभाजन के दौरान भारी संख्या में लोगों का विस्थापन हुआ. करीब 20 मिलियन लोग इससे प्रभावित हुए. दिल्ली की 1952 जान जनगणना के अनुसार, 7 लाख लोग बढ़े. लोग रेल की बोगियों के ऊपर ट्रैवल करने को मजबूर हुए. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी में पिछले वर्ष कहा था कि आजादी से पहले हुए विभाजन की विभाषिका के बारे में लोगों को बताया जाए. पूर्व में सरकार ने जो गलतियां की उसका खमायिजा कैसे आम लोगों ने भुगता यह जनता का जानना जरूरी है.

ये भी पढ़ें: स्वतंत्रता दिवस पर परिवर्तित रहेगा ट्रैफिक रूट, घर से निकलें तो इन बातों का रखें ध्यान

आजादी की कीमत जानने के लिए विभिषिका दिवस मनाना जरूरी: इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि पीएम ने जब घोषणा की कि आज हम विभाजन दिवस मनाए, तब उसका मकसद यह था कि हमें इसके बारे में जाने. हमे जानना चाहिए कि आजादी हमें मुफ्त में नहीं मिली. आज की युवा पीढ़ी यह नहीं जानना चाहती है कि उनके पूर्वज ने क्या दंज झेला, कितने लोग शहीद हुए. युवा की पीढ़ी हमारा भविष्य है, उन्हें यह जानना चाहिए. पिछले वर्ष पहली बार विभाजन विभाषिका दिवस मनाया गया. इस साल हम दूसरी बार यह मना रहे हैं.

ये भी पढ़ें: PM Modi ने सफदरजंग अस्पताल की नर्स को स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए स्पेशल गेस्ट का न्योता भेजा

नई दिल्ली: आजादी का जश्न मनाने के साथ आज की युवा पीढ़ी को हमेशा आजादी दिलाने वाले दिनों की याद ताजा रखनी चाहिए. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमें आजादी कैसे मिली. इस आजादी के लिए हमने क्या मूल्य चुकाया है. बंटवारे के दौरान पलायन कर कई लोग भारत आए. सभी ने उस दौर को देखा है जब बंटवारे के दौरान भारी त्रासदी के बीच लोग अपना सबकुछ छोड़ने पर मजबूर हुए. भारत के बंटवारे के दौरान जो अत्याचार हुआ वह नहीं भूलना चाहिए. उक्त बातें सोमवार को दिल्ली के भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान भारत सरकार में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कही.

दो करोड़ लोग हुए प्रभावित: भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र व पार्टीशन म्यूजियम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान हरदीप पुरी ने कहा कि विभाजन के दौरान भारी संख्या में लोगों का विस्थापन हुआ. करीब 20 मिलियन लोग इससे प्रभावित हुए. दिल्ली की 1952 जान जनगणना के अनुसार, 7 लाख लोग बढ़े. लोग रेल की बोगियों के ऊपर ट्रैवल करने को मजबूर हुए. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी में पिछले वर्ष कहा था कि आजादी से पहले हुए विभाजन की विभाषिका के बारे में लोगों को बताया जाए. पूर्व में सरकार ने जो गलतियां की उसका खमायिजा कैसे आम लोगों ने भुगता यह जनता का जानना जरूरी है.

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आजादी की कीमत जानने के लिए विभिषिका दिवस मनाना जरूरी: इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि पीएम ने जब घोषणा की कि आज हम विभाजन दिवस मनाए, तब उसका मकसद यह था कि हमें इसके बारे में जाने. हमे जानना चाहिए कि आजादी हमें मुफ्त में नहीं मिली. आज की युवा पीढ़ी यह नहीं जानना चाहती है कि उनके पूर्वज ने क्या दंज झेला, कितने लोग शहीद हुए. युवा की पीढ़ी हमारा भविष्य है, उन्हें यह जानना चाहिए. पिछले वर्ष पहली बार विभाजन विभाषिका दिवस मनाया गया. इस साल हम दूसरी बार यह मना रहे हैं.

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